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बिहार में कैसे हो मजबूत हो महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था? केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश के बावजूद नहीं स्थापित हुई थानों में हेल्प डेस्क

बिहार में हर दिन महिलाओं से जुड़ी बड़ी वारदात सामने आ ही जाती है। दहेज हत्या से लेकर दुष्कर्म तक की खबरें सुर्खियां भी बटोरती हैं। ऐसे में उनकी सुरक्षा व्यवस्था के लिए केंद्र सरकार ने जो निर्देश दिए थे। उसपर पहल नहीं की गई। अलबत्ता तीन जिलों को छोड़कर...

By Shivam BajpaiEdited By: Published: Sat, 25 Jun 2022 06:19 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jun 2022 06:19 PM (IST)
बिहार में कैसे हो मजबूत हो महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था? केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश के बावजूद नहीं स्थापित हुई थानों में हेल्प डेस्क
महिला हेल्प डेस्क के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय गंभीर।

संजय सिंह, भागलपुर: राज्य के 500 थाना भवनों में महिला हेल्प डेस्क की स्थापना की जानी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय इस मामले को लेकर गंभीर है। राज्य सरकार को इस मामले पर अनेकों बार मंत्रालय की ओर से स्मारित भी किया गया है। लेकिन इसका असर जिला स्तर पर नहीं देखा जा रहा है। पुलिस अधीक्षक कमजोर वर्ग ने फिर सभी जिलों के आरक्षी अधीक्षकों को पत्र लिख इस काम में तेजी लाने का निर्देश दिया है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि एक सप्ताह के भीतर प्रतिवेदन मांगा गया था लेकिन कई जिलों से प्रतिवेदन नहीं भेजा गया है। यह रवैया खेदजनक है।

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कमजोर वर्ग के एसपी ने अपने पत्र में कहा है कि शिवहर, मधेपुरा एवं बगाहा से ही प्रतिवेदन मिला है। महिला हेल्प डेस्क की स्थापना का उद्देश्य पीड़ित महिलाओं को पुलिस की सहायता उपलब्ध कराना है। पूर्व बिहार, कोसी और सीमांचल के कई जिलों में अब तक महिला हेल्प डेस्क संचालित नहीं हो सके हैं।

सहरसा में महिला हेल्प डेस्क की शुरूआत नहीं हो पाई है। यहां हर महीने महिला प्रताड़ना के एक दर्जन से ज्यादा मामले सामने आते हैं। पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह ने अपने अधीनस्थ कर्मियों को अविलंब थानों में महिला डेस्क स्थापित करने का निर्देश दिया है। मधेपुरा जिले में एसपी राजेश कुमार की पहल पर हर थाने में महिला हेल्प डेस्क की स्थापना की जा चुकी है। यहां औसतन हर महीने महिला संबंधित आधा दर्जन मामले दर्ज किए जाते हैं। 

बात करें खगड़िया जिले की तो यहां के नौ थानों में ही महिला हेल्प डेस्क की स्थापना की गई है। डेस्क के द्वारा पहले दोनों पक्षों के बीच समझौता कराने का प्रयास किया जाता है। समझौता न होने की स्थिति में आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाती है। पूर्णिया जिले का काम महिला थाने से संचालित हो रहा है। यहां हर महीने महिला प्रताड़ना से संबंधित दो दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज किए जाते हैं।

दूरदराज के इलाकों की बात करें तो यहां अब भी महिला प्रताड़ना का मामला महिला थानों की जगह सामान्य थानों में दर्ज किया जाता है। मुंगेर के 14 थानों में महिला हेल्प डेस्क की स्थापना की गई है। यहां घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न आदि से संबंधित दो दर्जन से ज्यादा मामले सामने आते हैं। इसी तरह बांका में गृह मंत्रालय के निर्देश का पालन नहीं हुआ है। अररिया की भी स्थिति ऐसी ही है। 

सभी पुलिस अधीक्षकों को यह निर्देशित किया गया है कि थानों में महिला हेल्प डेस्क की स्थापना कर इसकी जानकारी अविलंब उपलब्ध कराएं। इस डेस्क पर काम करने वाली महिला पुलिस पदाधिकारी और कर्मियों का नाम, मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी भी उपलब्ध कराने को कहा गया है। 


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