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घर में लगाएं घास, ऑक्सीजन पाएं पर्याप्त

भागलपुर [नवनीत मिश्र] घरों के लॉन में महज सुंदरता के लिए उगाई जाने वाली घास भी प्रदूषण पर बड़ा वार

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 May 2018 10:00 PM (IST)Updated: Fri, 18 May 2018 10:00 PM (IST)
घर में लगाएं घास, ऑक्सीजन पाएं पर्याप्त

भागलपुर [नवनीत मिश्र]

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घरों के लॉन में महज सुंदरता के लिए उगाई जाने वाली घास भी प्रदूषण पर बड़ा वार कर सकती है। इसे कायदे से लगाने और रात में दो घटे डिपिंग यानी बूंद-बूंद कर पानी देने से बहुत अधिक मात्रा में ऑक्सीजन का उत्सर्जन होता है।

तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के वनस्पति शास्त्र के प्रोफेसर डॉ. एके राय ने अपने शोध में पाया है कि घास में रात में पानी देने से यह वातावरण से प्रदूषण को भी सोखता है। खास बात यह कि इस तरीके को अपनाने में कोई खर्च नहीं बल्कि बचत ही होती है।

पेड़ से ज्यादा ऑक्सीजन देती है घास : शोध में पता चला कि 12 गुणा 12 वर्ग मीटर एरिया में लगा पेड़ एक घरेलू गैस सिलिंडर भरने लायक ऑक्सीजन उत्सर्जित करता है। वहीं, इतने ही एरिया में दो घटे डिपिंग की तकनीकि से तर होने वाली घास दिन भर में करीब ढाई सिलिंडर के बराबर ऑक्सीजन देती है। इस तरीके से घास सींचने में पानी भी कम लगता है।

इसलिए तरीका अपनाने की है जरूरत : डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में 20 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में से 14 शहर भारत के हैं। भागलपुर भी प्रदूषित शहरों में शुमार हो गया है। ऐसे में घास उगाने के बाद इसे सही ढंग से सिंचित कर काफी हद तक प्रदूषण घटाया जा सकता है। साथ ही ऑक्सीजन पैदा की जा सकती है। वहीं, गलत ढंग से होने वाली सिंचाई बंद होने से पानी भी बचेगा। शहर साफ और सुंदर भी दिखेगा।

दुबई में फुटपाथ और फ्रास में दीवारों पर घास : दुबई, अबूधाबी और सउदी जैसी जगहों में सड़क किनारे भी घास लगाई जाती है। इन जगहों पर तापमान 45 से 52 डिग्री सेल्सियस रहता है। वहीं फ्रास में कई मकानों की दीवारों पर भी अर्टिफिशियल तरीके से घास उगाई जाती है। वहां से लाए घास पर जब रिसर्च शुरू किया तो घास की उपयोगिता सामने आई।

नहीं उठने देती वातावरण में प्रदूषण के कण : पेड़ के मुकाबले घास कार्बन डाईऑक्साइड, हाइड्रोजन फ्लोराइड, नाइट्राइड को भी पेड़ के मुकाबले 27 गुना ज्यादा कम करती है।

दरअसल, बूंद-बूंद पानी से सिंचित होने पर घास में पत्तियों से पानी वाष्पीकृप होता है। इससे दिन में भी जमीन का सरफेस भारी रहता है। इससे धूल के कण ऊपर नहीं उठते और प्रदूषण के कण घास सोख लेती है।

बड़ी पत्ती वाले घास खास लाभदायक

बड़ी और चौड़ी पत्ती वाले घास ज्यादा ऑक्सीजन देती है। पत्ती के छिद्र में ऑक्सीजन लेने की क्षमता होती है। भागलपुर में भी लोग घास लगा रहे हैं और डिपिंग के जरिए सिंचाई कर रहे हैं।

एक आदमी को चाहिए ऑक्सीजन

वयस्क रेस्ट के दौरान करीब 7 या 8 लीटर (एक क्यूबिक फूट का लगभग चौथाई) प्रति मिनट हवा ग्रहण और उत्सर्जन करता है। इस हिसाब से वह एक दिन में करीब 11,000 लीटर की हवा (388 घन फीट) इन्हेल और एक्जेल करता होगा। इन्हेल किए जाने वाली हवा में लगभग 20 प्रतिशत ऑक्सीजन होती है। उसी तरह एक्जेल जाने वाली हवा में लगभग 15 प्रतिशत ऑक्सीजन होती है। इससे यह पता चलता है कि हवा का पांच प्रतिशत हिस्सा प्रत्येक इन्हेल और एक्जेल के दौरान कन्ज्यूम किया जाता है।

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कोट :-

सीमित क्षेत्र में लगे एक पेड़ की तुलना में उतने ही क्षेत्र में लगी घास अधिक ऑक्सीजन का उत्सर्जन करती है। बशर्ते की उसे सही तरीके से लगाया और उसमें रात के वक्त बूंद-बूंद पानी दी जाए। घास लगाने के फायदे भी फौरन मिलने शुरू हो जाते हैं। अगर प्रदूषण मुक्त होना है तो घरों, पार्को और सड़क किनारे घास लगाना बेहद जरूरी है।

- प्रो. एके राय, प्राध्यापक

वनस्पति शस्त्र विभाग


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