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1954 में बना था गिल्हाबाड़ी अस्पताल अब किसी काम का नहीं, तीन दशक से लटका है ताला

आज से सात दशक पूर्व बना उप स्वास्थ्य केन्द्र गिल्हाबाड़ी जर्जर व खंडहर में तब्दील हो चुका है। यहां करीब तीन दशक से ताला लटका रहता है। इससे आसपास के लोगों को इलाज के लिए दूर जाना पड़ता है।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 05:08 PM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 05:08 PM (IST)
1954 में बना था गिल्हाबाड़ी अस्पताल अब किसी काम का नहीं, तीन दशक से लटका है ताला
उप स्वास्थ्य केन्द्र गिल्हाबाड़ी में तीन दशक से लटक रहा है ताला।

किशनगंज, जेएनएन। पोठिया प्रखंड क्षेत्र के अंतर्गत फाला पंचायत स्थित उप स्वास्थ्य केन्द्र गिल्हाबाड़ी विगत 32 वर्षों से बंद पड़ा है। विभागीय उदासीनता का उदाहरण बना यह अस्पताल अब भूत बंगला में तब्दील हो चुका है। पूरी तरह जर्जर हो चुके अस्पताल भवन का खिड़की और दरवाजा ध्वस्त हो चुका है। छत का टीना चदरा भी पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। तबेला बन चुके इस इस भवन में ग्रामीण जलावन रख रहे हैं। जबकि इस उप स्वास्थ्य केन्द्र पर आज भी एक एएनएम पदास्थापित है।

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स्थानीय घनश्याम झा, दुलालजीत ङ्क्षसह, कालू ङ्क्षसह, दिनदयाल हरिजन, वार्ड सदस्य नरेश हरिजन, काठू राम ङ्क्षसह, देवेन ङ्क्षसह, ज्ञानचंद्र ङ्क्षसह आदि बताते हैं कि पूर्वजों के अनुसार इस स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण कार्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा 1954 में कराया गया था। तब पोठिया प्रखंड क्षेत्र में एक भी अस्पताल नहीं था। पूरे प्रखंड क्षेत्र के मरीज इसी उप स्वास्थ्य केंद्र पर इलाज कराने आते थे। यहां दो डॉक्टर और दो नर्स की बहाली विभाग द्वारा किया गया था। एक ऑपरेशन थियेटर तथा एक लैव भी था। यहां डॉक्टर सुरक्षित प्रसव के साथ जनसंख्या नियंत्रण को लेकर बंध्याकरण का आपरेशन भी होता था। सहूलियत इस कदर थी कि तब प्रखंड क्षेत्र के लोगों को इलाज के पश्चिम बंगाल या किशनगंज नहीं जाना पड़ता था। चिकित्सकों व नर्सों के रहने के लिए भी सुविधाएं उपलब्ध थी। लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण वर्ष 1988 से इलाज होना बंद हो गया। परिणामस्वरूप आज ग्रामीणों को सुरक्षित प्रसव, जनसंख्या नियंत्रण के लिए बंध्याकरण या किसी के गंभीर बीमारी की इलाज के लिए 20 किमी दूर पोठिया या फिर 40 किमी दूरी तय कर पश्चिम बंगाल जाना पड़ता है। जबकि आज भी इस उप स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थापित एएनएम गिल्हाबाड़ी गांव में किसी के बैठक में बैठकर अपनी कागजी प्रक्रिया को पूरा करते हैं।

ग्रामीणों ने बताया की 1988 से लेकर अबतक इस क्षेत्र में विधायक के रूप में कांग्रेस से मोहम्मद हुसैन आजाद और उनके पुत्र डॉ. मु. जावेद, जनता दल से मु. सुलेमान, भाजपा से सिकंदर ङ्क्षसह चुने गए। सांसद के तौर पर मो. तस्लीमुद्दीन, सैयद शाहनवाज हुसैन, मौलाना असरारूल हक कासमी और डॉ. मु. जावेद आजाद को प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। लेकिन इस स्वास्थ्य केंद्र को चालू करने के लिए किन्ही के द्वारा सकारात्मक पहल नहीं किया गया।


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