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कदवा दियारा में गरुड़ों का आश्रय स्थल भागलपुर को दिलाएगा वैश्विक पहचान Bhagalpur News

कदवा दियारा गरुडों की सबसे बड़ी प्रजनन कॉलोनी है। जो भागलपुर को जल्द वैश्विक पहचान दिलाने का काम करेगा।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sun, 29 Sep 2019 09:48 AM (IST)Updated: Sun, 29 Sep 2019 09:48 AM (IST)
कदवा दियारा में गरुड़ों का आश्रय स्थल भागलपुर को दिलाएगा वैश्विक पहचान Bhagalpur News

भागलपुर [जेएनएन]। गंगा-कोसी क्षेत्र का कदवा दियारा व जगतपुर झील जिले को अंतराष्ट्रीय पहचान दिला सकता है। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में विदेशी पक्षियां प्रजनन के लिए आती हैं। गरुड़ों ने तो कदवा दियारा को अपना प्रजनन कॉलोनी ही बना लिया है। दिन प्रतिदिन इसके घोसलों की संख्या यहां बढ़ती जा रही हैं। यह सब कुछ मंदार नेचर क्लब संस्था और स्थानीय लोगों की जागरुकता की वजह से संभव हो पाया है।

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बिहार में गरुड़ों की संख्या 450 : जैव विविधता पर काम कर रही राउंड गिलास मीडिया के अनुसार बिहार में गरुड़ों की संख्या असम के बराबर हो गई है। इस बात की पुष्टि बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के पूर्व निदेशक सह पर्यावरणविद् डॉ. असद रहमानी ने भी की है। डॉ. असद के अनुसार बिहार में लगभग 450 की संख्या में गरुड़ हैं।

2006 में कदवा दियारा प्रजनन स्थल की हुई थी खोज : मंदार नेचर क्लब, भागलपुर के संस्थापक अरविंद मिश्र ने अपने सहयोगी जय नंदन मंडल के साथ मिलकर 2006 में कदवा दियारा में गरुड़ों के प्रजनन स्थल की खोज की थी। अरविंद मिश्र की मानें तो यह संभवत: गरुडों की सबसे बड़ी प्रजनन कॉलोनी है। जो भागलपुर को जल्द वैश्विक पहचान दिलाने का काम करेगा। उन्होंने कहा कि आज गंगा और कोसी क्षेत्र में सवा सौ से ज्यादा घोंसले गरुड़ों ने बना रखा है।

वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग तथा तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में गरुड़ संरक्षण जागरूकता अभियान को लेकर गुरुवार को 35 छात्र- छात्रओं का दल कदवा दियारा पहुंचा। दल का नेतृत्व जंतु विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ अशोक कुमार ठाकुर एवं डॉ. डीएन चौधरी ने किया। उनके साथ वन विभाग की ओर से गरुड़ पुनर्वास केंद्र के केयरटेकर मो. अख्तर भी थे।

पूरे भारत पाई जाती हैं छह प्रजातियां : डॉ. चौधरी ने दावा किया कि कंबोडिया और असम के अलावा भागलपुर का कदवा दियारा एक मात्र इलाका है, जहां गरुड़ों की संख्या बढ़ रही है। डॉ. चौधरी ने कहा कि अभी गरुड़ों का प्रजनन काल शुरु होने का समय है। पूरे भारत में गरुड़ों की 6 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिसमें भागलपुर का यह कदवा दियारा एक मात्र ऐसा स्थल है जहां बड़ा गरुड़, छोटा गरुड़ एवं जांघिल देखे जा रहे हैं। छात्र छात्रओं ने आश्रम टोला, बगरी टोला, कासिमपुर में कदंब के पेड़ों पर गरुड़ों को देखा। बगरी टोला में जांघिल प्रजाति के गरुड़ों के कई घोंसले देखे गए।


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