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चार करोड़ के फर्जीवाड़े का भंडाफोड़, तीन कर्मी निलंबित

पूर्णिया : स्वास्थ्य विभाग में चार करोड़ के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। फर्जीवाड़े के कारण तीन कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 11 May 2018 02:29 PM (IST)Updated: Fri, 11 May 2018 02:29 PM (IST)
चार करोड़ के फर्जीवाड़े का भंडाफोड़, तीन कर्मी निलंबित
चार करोड़ के फर्जीवाड़े का भंडाफोड़, तीन कर्मी निलंबित

पूर्णिया [दीपक शरण] : स्वास्थ्य विभाग में चार करोड़ के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। फर्जी भुगतान का मामला पकड़ में आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने तीन कर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। फर्जी भुगतान के इस मामले में तत्कालीन दो सिविल सर्जन के ऊपर भी कार्रवाई की गाज तय मानी जा रही है।

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यह फर्जी भुगतान स्वास्थ्य विभाग के उन छंटनीग्रस्त कर्मियों को किया गया जिन्हें न्यायालय ने सेवा बहाल करने का निर्देश तो दिया था लेकिन अपने आदेश में यह भी साफ कर दिया था कि नो वर्क नो पेमेंट के तहत इन कर्मचारियों को बकाए का भुगतान नहीं किया जाए। मगर स्वास्थ्य विभाग द्वारा न्यायालय के इस निर्देश के बाद भी एक दर्जन स्वास्थ्य कर्मियों को चार करोड़ का फर्जी ढंग सेभुगतान कर दिया गया। यह वेतन भुगतान चार साल की अवधि का था।

विभाग द्वारा फर्जी भुगतान के मामले में लिपिक पंकज राय, वेणु गोपाल, भोला यादव को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। इसके साथ मामले में दो सिविल सर्जन समेत तत्कालीन एसीएमओ भी जांच के दायरे में है। उक्त कार्रवाई विभाग द्वारा उच्चस्तरीय जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर हुई है।

बताया जाता है कि 2011- 12 वित्तीय वर्ष में स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न विभागों में कार्यरत छंटनीग्रस्त कर्मियों को चार साल का वेतन भुगतान कर दिया गया था। इस दौरान कर्मियों ने विभाग में सेवा नही दीं थी। कोर्ट के आदेश मुताबिक छंटनीग्रस्त कर्मियों की सेवा दोबारा बहाल की गई थी लेकिन उस अवधि का वेतन भुगतान का आदेश नहीं था। सभी छंटनी ग्रस्त कर्मियों का भुगतान बिना किसी सरकारी आदेश के कर दिया गया। ऑडिट में यह मामला उस समय उजागर हुआ और एक उच्च स्तरीय जांच समिति विभाग द्वारा गठित की गई थी। जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में इसे घोर अनियमितता मानते हुआ रिपोर्ट सौंप दिया। रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट छंटनीग्रस्त कर्मियों की सेवा नियमित करने का केवल आदेश दिया था जबकि उस अवधि के वेतन का भी भुगतान कर लिया गया। यह अवधि चार साल की है। जिन छंटनीग्रस्त कर्मियों को भुगतान किया गया उसमें रामदेव प्रसाद, अचिकित्सा सहायक जिन्होंने पांच लाख 7 हजार 807 रुपये का उठाव किया। मुरलीधर ¨सह जो अभी सेवानिवृत्त हो चुके हैं इनको आठ लाख 46 हजार 40 रुपये का भुगतान कर दिया गया। कौशल किशोर ने 5 लाख 38 हजार 215 रुपये का भुगतान पाया। इस तरह के कई कर्मियों को भुगतान कर दिया गया। स्वास्थ्य विभाग ने अवैध ढंग से भुगतान लेने के आरोप में इसके अलावा गयासुद्दीन, रामदेव नारायण प्रसाद, अशोक वर्मा, मुबारक अंसारी आदि कर्मियों पर कार्रवाई की गई है।

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कोट के लिए:-

मामले में तत्कालीन दो सिविल सर्जन से स्पष्टीकरण मांगा गया है। इसके साथ ही तत्कालीन एसीएमओ से जवाब देने को कहा गया है।

डॉ. आरडी रंजन, निदेशक, स्वास्थ्य विभाग, पटना


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