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कल्याण विभाग के पूर्व अधिकारियों व कर्मियों से होगी पूछताछ

भागलपुर। सृजन घोटाला मामले में जिला कल्याण विभाग में 2007 से अगस्त 2017 के बीच कार्यरत अधिकारि

By JagranEdited By: Published: Fri, 12 Aug 2022 03:00 AM (IST)Updated: Fri, 12 Aug 2022 03:00 AM (IST)
कल्याण विभाग के पूर्व अधिकारियों व कर्मियों से होगी पूछताछ
कल्याण विभाग के पूर्व अधिकारियों व कर्मियों से होगी पूछताछ

भागलपुर। सृजन घोटाला मामले में जिला कल्याण विभाग में 2007 से अगस्त 2017 के बीच कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों से सीबीआइ पूछताछ करेगी। सीबीआइ ने आधा दर्जन अधिकारियों व कर्मचारियों को नोटिस भेजा है। 2007 से 2017 के बीच जिला कल्याण पदाधिकारी के रूप में राम लला सिंह, ईश्वर चंद, ललन सिंह और अरुण कुमार कार्यरत थे, जबकि कर्मचारी के रूप में महेश मंडल सहित दो अन्य कर्मी कार्यरत थे। महेश मंडल सृजन घोटाला मामले में गिरफ्तार हुए थे, लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी। घोटाला उजागर होने के बाद पूर्व जिला कल्याण पदाधिकारी अरुण कुमार को गिरफ्तार किया गया था।

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सीबीआइ डीएसपी ने की बैंक स्टेटमेंट की मांग

कल्याण विभाग ने सृजन घोटाला से संबंधित कागजात को तैयार रखा है। पिछले महीने सीबीआइ के डीएसपी ने जिला कल्याण पदाधिकारी से 2007 से 2017 तक के बैंक स्टेटमेंट, महालेखाकार की आडिट रिपोर्ट सहित अन्य कागजातों की मांग की थी। विभाग की ओर से कागजातों को पहुंचा दिया गया है। ऐसा माना जा रहा है कि सीबीआइ और भी कागजातों की मांग कल्याण विभाग से कर सकती है।

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156 पारित विपत्र व बैंकर्स चेक के माध्यम से सृजन में गई थी राशि

जिला कल्याण विभाग की राशि 156 पारित विपत्र (वाउचर) व बैंकर्स चेक के माध्यम से सृजन महिला विकास सहयोग समिति के खाते में गई थी। इन वाउचर व चेक से संबंधित पूरी जानकारी सीबीआइ ने जिला कल्याण विभाग से मांग चुकी है। सीबीआइ ने 99 करोड़ 88 लाख 69 हजार 830 रुपये के गबन की जांच शुरू कर दी है। सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के विभिन्न खाते में अवैध रूप से रुपये हस्तांतरित कर गबन कर लिया गया। इस मामले में सीबीआइ लगातार कल्याण विभाग से जानकारी एकत्र कर रही है। कई कागजात सीबीआइ ने पहले ही मंगा चुकी है।

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221 करोड़ 60 लाख का घोटाला

कल्याण विभाग का 221 करोड़ 60 लाख रुपये सृजन महिला विकास सहयोग समिति के छह खाते में गया है। सृजन के खाते में सरकारी पहुंचाने में कल्याण विभाग के अधिकारी व कर्मी के अलावा बैंक आफ इंडिया, बैंक आफ बड़ौदा व इंडियन बैंक के अधिकारियों व कर्मियों की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जिला कल्याण पदाधिकारी द्वारा कोतवाली में एफआइआर के लिए जो आवेदन दिया था, उसमें कहा गया है कि आरपी रोड स्थित बैंक आफ बड़ौदा शाखा, पटल बाबू रोड स्थित इंडियन बैंक शाखा और त्रिवेणी अपार्टमेंट स्थित बैंक आफ इंडिया के तत्कालीन शाखा प्रबंधक एवं संबंधित कर्मियों द्वारा सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड सबौर के अध्यक्ष, सचिव व अन्य कर्मियों के साथ मिलकर व धोखाधड़ी कर 156 पारित विपत्र, बैंकर्स चेक के माध्यम से 99 करोड़ 88 लाख 69 हजार 830 रुपये सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के विभिन्न खाते में अवैध रूप से हस्तांतरित कर गबन कर लिया गया। बैंक आफ बड़ौदा शाखा में 110 पारित विपत्र, बैंकर्स चेक के माध्यम से 82 करोड़, 36 लाख, 77 हजार 718 रुपये जिला कल्याण पदाधिकारी के नाम से भुगतेय था, को सृजन संस्था के तत्कालीन अध्यक्ष, सचिव व अन्य कर्मियों के साथ बैंक के शाखा प्रबंधक एवं अन्य संबंधित कर्मियों द्वारा मिलीभगत कर अवैध तरीके से सृजन के विभिन्न खातों में हस्तांतरण कर गबन कर लिया गया। इंडियन बैंक में 33 पारित विपत्र, बैंकर्स चेक के माध्यम से दस करोड़ 60 लाख 58 हजार चार सौ रुपये सृजन के खाते में हस्तांतरित कर गबन कर लिया गया। बैंक आफ इंडिया में 11 पारित विपत्र व बैंकर्स चेक के माध्यम से दो करोड़ 91 लाख 33 हजार 712 और कार्यालय से जारी दो चेक संख्या 725527 से दो करोड़ व चेक संख्या 755931 से दो करोड़ को अवैध तरीके से सृजन के खाते में जमा करा दिया गया। इसमें बैंक अधिकारियों व कर्मियों के अलावा सृजन के पदधारक की मिलीभगत रही है।

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2017 में दर्ज हुई थी पहली प्राथमिकी

सृजन घोटाला उजागर होने के बाद पहली प्राथमिकी सात अगस्त 2017 को जिला नजारत शाखा के नाजिर ने दर्ज कराई थी। इसके बाद कई विभागों की जाच में अवैध निकासी का बड़ा खुलासा हुआ था। जिला कल्याण विभाग से 221 करोड़ 60 लाख रुपये की अवैध निकासी का मामला सामने आया था। एजी की आडिट रिपोर्ट में भागलपुर में रहे जिला कल्याण पदाधिकारी रामलला सिंह, राम ईश्वर शर्मा, ललन कुमार सिंह और अरुण कुमार के कार्यकाल में अवैध निकासी की बात सामने आई थी। 121 करोड़ 71 लाख 61 हजार रुपये की अवैध निकासी को लेकर 2017 में दो प्राथमिकी हो चुकी है। प्राथमिकी के बाद महालेखाकार ने 2007 से 2017 तक की जाच कराई। जाच के बाद अवैध निकासी का दायरा बढ़कर 221.60 करोड़ रुपये हो गई। लगभग सौ करोड़ रुपये की अवैध निकासी को लेकर दिसंबर 20 में प्राथमिकी दर्ज कराई गई।


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