Flood in Supaul : उफान पर कोसी, कई गांवों में बाढ़, घरों में कैद हुए लोग, पशुओं के लिए नहीं हो रही चारे की व्यवस्था
सुपौल में कोसी का कहर जारी है। कई गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। तटबंध के अंदर बसे लोग घर छोड़ कर पलायन कर गए हैं। लेकिन सबसे बड़ी समस्या पशुओं के लिए चारा है। पशुपालक इसको लेकर चिंंतित हैं।
संवाद सूत्र, सरायगढ़ (सुपौल)। कोसी नदी के जलस्तर में वृद्धि होने से सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड क्षेत्र के एक दर्जन से अधिक गांव में एक बार फिर लोगों के घर-आंगन में पानी प्रवेश कर गया है। कोसी का पानी लोगों के घरों से होकर बह रहा है जिससे कठिनाईयां काफी बढ़ गई है। कोसी के जलस्तर में मंगलवार की शाम अचानक वृद्धि होने लगी और देखते ही देखते वह लोगों के घरों में पहुंच गया। कोसी का पानी औरही पलार, बनैनिया पलार, बलथरवा पलार, कटैया-भुलिया, भुलिया, ढ़ोली, झखराही, कटैया, सियानी, बाजदारी, तकिया, कवियाही, करहरी, लौकहा पलार आदि गांव में दो से तीन फीट तक भरा हुआ है। पानी के कारण माल-मवेशी के चारे की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। नाव के अभाव में लोग घरों से नहीं निकल पा रहे हैं। प्रभावित गांव से कई लोगों ने बताया कि कोसी के पानी का यदि यहीं हालात रहा तो उन लोगों को घर छोडऩा पड़ सकता है। पानी की तेज धारा के बीच लोग अपने अनाज, बर्तन, कपड़ा तथा माल-मवेशी को बचाने के लिए जद्दोजहद में जुटे हुए थे। कई जगहों से लोगों ने बताया कि पानी का वेग इतना तेज है कि उसमें बह जाने का भी खतरा बना हुआ है। पानी के बीच सहमे लोग अपने-अपने घरों में कैद थे। ढोली गांव से संतोष कुमार ङ्क्षसह, कटैया गांव से प्रमोद कुमार, वीरेंद्र कुमार सहित अन्य लोगों ने बताया इस बार पानी अधिक प्रलय कर रखा है।
किसानों पर कहर बरपा रही कोसी, डूबी फसलें
किसानों पर प्राकृतिक आपदा का कहर लगातार टूट रहा है। प्राकृतिक आपदा ने किसानों की कमर तोड़ दी है। पिछले कई वर्षो से प्राकृतिक आपदा के कारण किसानों को व्यापक नुकसान उठाना पड़ा है। पिछले दिनों यास चक्रवात व तेज बारिश के कारण मक्का व गेहूं की फसल को व्यापक क्षति हुई थी। अब कोसी नदी धान की फसल पर कहर बरपा रही है। मंगलवार की रात अचानक कोसी के जलस्तर में हुए वृद्धि के कारण धान और पाट की फसल पूरी तरह से डूब चुकी है।
बार-बार हो रही है यह स्थिति
कोसी के जलस्तर में इस वर्ष बार-बार वृद्धि होने से प्रभावित गांव के किसान धान की फसल से निराश होने लगे हैं। कई किसानों ने बताया कि वह सब काफी मेहनत से धान का फसल लगाए थे, लेकिन कोसी के पानी में ज्यादा दिन तक डूबे रहने के कारण अब उसके होने की संभावना नहीं है। पूरे कोसी के इलाके में धान का बिचड़ा पानी के बीच डूब जाने और उसके अधिक दिन तक पानी में रहने से भी काफी नुकसान हो रहा है।