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बाढ़ ने दी दस्तक, खतरे के निशान से गंगा 16 CM दूर, देखें तस्वीर Bhagalpur News

बाढ़ के कारण दियारा में लगी सब्जी मक्का सहित सबौर दक्षिणी क्षेत्र के लैलख परघड़ी जमसी गोराडीह प्रशस्तडीह आदि क्षेत्रों में लगी धान की फसल डूब गई है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 01:18 PM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 01:18 PM (IST)
बाढ़ ने दी दस्तक, खतरे के निशान से गंगा 16 CM दूर, देखें तस्वीर Bhagalpur News
बाढ़ ने दी दस्तक, खतरे के निशान से गंगा 16 CM दूर, देखें तस्वीर Bhagalpur News

भागलपुर [जेएनएन]। भागलपुर में गंगा खतरे के निशान को पार करने वाली है। शुक्रवार को दोपहर एक बजे खतरे के निशान से महज 16 सेंटीमीटर दूर रह गई है। जिले के सुल्तानगंज से लेकर पीरपैंती तक के दियारा क्षेत्रों में बाढ़ का मंजर साफ दिखने लगा है। इन क्षेत्रों में अफरा तफरी की स्थिति बनी हुई है। लोग जहां तहां ऊंचे स्थानों पर शरण ले रहे हैं। एनएच 80 को लोगों ने अपना आशियाना बना लिया है। पीडि़त परिवारों के बच्चे व मवेशी भूख से बिलबिला रहे हैं। इन्हें देखने वाल कोई नहीं है। जिला प्रशासन की नजर में अभी बढ़ की स्थिति नहीं है।

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लाखों का फसल हुआ बर्बाद, किसान बेहाल

बाढ़ के कारण दियारा में लगी सब्जी, मक्का सहित सबौर दक्षिणी क्षेत्र के लैलख, परघड़ी, जमसी, गोराडीह, प्रशस्तडीह आदि क्षेत्रों में लगी धान की फसल डूब गई है। इन क्षेत्रों में सुखाड़ के बावजूद भी लोगों ने सिंचाई कर धान की फसल लगाई थी। बाढ़ के कारण हुई लाखों के नुकसान से किसानों का हाल बेहाल हो गया है।

नाथनगर और नवगछिया में एनडीआरएफ की टीम तैनात

तेजी से बढ़ रहे जलस्तर के कारण भागलपुर में गंगा शुक्रवार को खतरे के निशान के बिल्कुल करीब पहुंच गई है। नाथनगर और सबौर के कई इलाकों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। केंद्रीय जल आयोग ने संभावना जताई है कि अगर यही हाल रहा तो शुक्रवार को गंगा खतरे के निशान को पार कर जाएगी। इसमें प्रतिघंटा एक सेंटीमीटर की वृद्धि हो रही है। केंद्रीय जल आयोग बेतार केंद्र हनुमान घाट के स्थल प्रभारी केएन सिंह ने जलस्तर में वृद्धि जारी रहने का संकेत दिया है। सुल्तानगंज से पीरपैंती तक के दियारा क्षेत्रों में बाढ़ की आशंका से अफरातफरी मची है।

नाथनगर के बैरिया पंचायत के मुखिया प्रमोद यादव ने बताया कि शंकरपुर और रत्तीपुर बैरिया के दस हजार से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। दियारा में सैकड़ों एकड़ खेत में लगी सब्जी व मक्के की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। दिलदारपुर के कुछ प्रभावितों ने टिल्हा कोठी और शंकरपुर बिंद टोली के लोगों ने इवनिंग कॉलेज में शरण ली है। बाढ़ के खतरे को देखते हुए नवगछिया और नाथनगर में एनडीआरफ की टीम को तैनात कर दिया गया है।

जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने कहा कि बाढ़ की संभावना को देखते हुए एसडीओ, डीसीएलआर, सीओ और थानाध्यक्ष को भ्रमणशील रहने के लिए कहा गया है। निरोधात्मक और सुरक्षात्मक कार्रवाई के लिए कहा गया है। बाढ़ से प्रभावित लोगों को निर्धारित कैंप या शिविर में भेजने के लिए अग्रिम तैयारी करने के लिए कहा गया है।

आज भागलपुर का हवाई सर्वेक्षण करेंगे मुख्यमंत्री : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शुक्रवार को बक्सर से भागलपुर तक गंगा के जलस्तर का हवाई सर्वेक्षण करेंगे। गुरुवार को उन्होंने पटना में गंगा और हाजीपुर में गंडक के जलप्रवाह के निरीक्षण के बाद अधिकारियों को अलर्ट रहने का निर्देश दिया।

टिल्हाकोठी और पुरानी सराय से पलायन करने को विवश

गंगा की गोद में बसी दियारा क्षेत्र को बड़ी त्रासदी झेलनी पड़ रही है। शुक्रवार की शाम तक खतरे के निशान को पार करने के बाद गंगा ने नाथनगर दियारा क्षेत्र के 20 हजार की आबादी को बेघर होने के लिए विवश कर दी है। जबकि 40 हजार एकड़ भूमि में लगी सब्जी व मकई की फसल बाढ़ में बर्बाद हो गई है। नाथनगर के पांच पंचायतों में से शंकरपुर चौवनियां और रत्तीपुर बैरिया पंचायत पूरी तरह से बाढ़ की चपेट में है। जबकि राघोपुर, गोसाईदासपुर व रन्नुचक पंचायत में आंशिक प्रभाव पड़ा है। शंकरपुर व रत्तीपुर के दरापुर, बिंद टोला, मोहनपुर, रसीदपुर, बंडाल, सहुनिया के बाढ़ पीडि़त लगातार दो दिनों से शहर की ओर पलायन कर रही है। बाढ़ से आधा दर्जन से अधिक गांव घिरा हुआ है। गांव के ऊंचे स्थल भी बाढ़ के चपेट में आ गया है। बांस की चचरी का मचान पर लोग रात गुजारने को विवश हो गए है। आवागमन की समस्या भी दियारा क्षेत्र में बड़ी परेशानी का कारण बना हुआ है। प्रशासन ने अब तक नाव की व्यवस्था तक नहीं की है। शहर आने के लिए पीडि़तों को निजी नाव का घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। प्रशासनिक उदासीनता की वजह से बाढ़ पीडि़तों को बदतर जिंदगी जीने को विवश होना पड़ रहा है।

राहत शिविर की नहीं हुई व्यवस्था

जिला प्रशासन ने बाढ़ के लिए कागजों पर दो माह पूर्व ही तैयारी कर ली थी। अब जब बाढ़ से लोग पलायन करने लगे तो इनके लिए राहत शिविर की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है। भूतनाथ मंदिर परिसर, टिल्हाकोठी परिसर, पुराना बीएन कॉलेज आदि में बाढ़ पीडि़त शरण लिए हुए है। पीडि़तों के लिए अस्थायी शौचालय, स्वच्छ पेयजल, रोशनी व स्वास्थ्य शिविर की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है। जबकि टिल्हाकोठी, कांग्रेस भवन व महाशय डयोढी को प्रशासन ने राहत शिविर के लिए चिन्हित कर रखा है। इन शिविरों में रहने वाले पीडि़तों तक प्रशासन की व्यवस्था नहीं पहुंची है। नाथनगर प्रखंड प्रशासन इतनी सुस्त है कि बाढ़ क्षेत्र के आकलन को लेकर सीआइ और राजस्व कर्मचारी तक को भ्रमण के लिए नहीं भेजा गया। जबकि इसकी रिपोर्ट पर ही जिला प्रशासन आपदा विभाग से राहत कार्य शुरू किया जाना है। पीडि़तों के लिए पंचायत व प्रखंड अनुश्रवण समिति की भी बैठक नहीं हुई।

बच्चों से साथ मवेशियों की चिंता

दियारा क्षेत्र से मवेशियों के साथ पलायन होने का सिलसिला गत बुधवार से जारी है। एक कंधे पर बच्चों को संभाले तो वहीं दूसरी ओर मवेशी को पानी की धारा से पार करा रहे है। जद्दोजहद के बीच पलायन का सिलसिला जारी है। अखिलेश महतो कैलाश महत्तो व लक्ष्मण महत्तो ने बताया तीन पंचायत के 25 हजार मवेशी को सुरक्षित शहर की ओर लाया जा रहा है। अब इनके लिए चारा की समस्या है। जितना चारा है उससे चार दिन तक ही मवेशी को दिया जा सकता है। पुराना बीएन कॉलेज में दो सौ से अधिक मवेशी लाए गए है। जबकि टिल्हाकोठी परिसर में मवेशी को रखा गया है।

शहर भी बाढ़ की चपेट में

गंगा के तटवर्ती शहर के दर्जनों मोहल्ले बाढ़ के चपेट में आ गए है। चंपानगर के बाइसबिग्घी, मोहनपुर, साहेबगंज,लालूचक, बुद्धुचक व बूढ़ानाथ।

आसमान के नीचे बीत रही रात

दियारा से शहर के प्रमुख स्थानों पर बसेरा डालने के बाद बाढ़ पीडि़तों को खुले आसमान के नीचे गुजर बसर करना पड़ रहा है। इनके पास जितने संसाधन है उससे अनाज के भंडारण, जलावन व घरेलू सामान को बचा रहे हैं। बारिश व धूप में पीडि़तों को बदहाल जिंदगी जीना पड़ रहा है। प्रशासन ने इनके लिए प्लास्टिक की व्यवस्था नहीं की है।

गंगा का जलस्तर

चेतावनी लेबल : 32.68 मीटर

खतरे का लेबल : 33.68 मीटर

उच्चतम बाढ़ का लेबल : 34.72 मीटर 2016 में

वर्तमान लेबल : 33.55 मीटर

खतरे के लेबल से : 00.13 सेंटीमी. नीचे


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