युवक की सड़क दुर्घटना में हो गई थी मौत, पुलिस बता रही थी लापता... मामला हुआ उजागर तो DIG ने उठाये यह कठोर कदम Munger News
इस मामले में डीआइजी ने मुंगेर और भागलपुर के पांच पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। इन पांचों पर विभागीय कार्रवाई भी होगा।
मुंगेर [जेएनएन]। बीते 14 जून से लापता 21 वर्षीय मोनू उसी दिन सफियाबाद पेट्रोल पंप के पास सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गया था। मोनू को उसी दिन मुंगेर के सदर अस्पताल में लावारिश के तौर पर भर्ती कराया गया और फिर उसे मायागंज अस्पताल भागलपुर रेफर कर दिया गया। यहां उसकी मौत 17 या 19 जून को हो गई। मोनू के शव को भागलपुर में एक लावारिश की तरह सरकारी प्रक्रिया के तहत ठिकाने लगा दिया गया और वह पुलिस की नजर में लापता बना रहा।
व्यवस्था में बैठे नाकारा लोगों की इस लापरवाही पर आखिरकार डीआइजी मनु महराज ने कड़ी कार्रवाई की है। इस मामले में डीआइजी ने मुंगेर और भागलपुर के पांच पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। इन पांचों पर विभागीय कार्रवाई भी होगा। डीआइजी ने इस मामले में मुंगेर सदर अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी पर भी कार्रवाई के लिए डीएम को पत्र लिखा है, जबकि कासिम बाजार थानाध्यक्ष शैलेश कुमार से स्पष्टीकरण मांगा है। निलंबित अधिकारियों में भागलपुर जिला के बरारी थाना के थानाध्यक्ष सुनील कुमार झा, ओडी पदाधिकारी एसआइ सुरेंद्र प्रसाद यादव, एसआइ पूरेंद्र शर्मा एवं एएसआइ शैलेश कुमार सिंह, मुंगेर कासिम बाजार थाना में तैनात पूर्व एसआइ एवं वर्तमान में शामपुर ओपी प्रभारी लालबहादुर सिंह शामिल हैं।
14 जून से लापता था मोनू
जमालपुर थाना क्षेत्र के जमालपुर डीह गांव निवासी 21 वर्षीय मोनू कुमार अपनी बहन रेखा देवी के घर सफियासराय ओपी क्षेत्र के नौलक्खा में रहता था। वह कैटरिंग का काम करता था। 14 जून को वह सब्जी लाने के लिए घर से निकला जो लौट कर घर नहीं आया। रेखा देवी ने सफियासराय ओपी जमालपुर थाना में शिकायत दर्ज कराने गई। पर पुलिस उसे टहलाती रही। आखिरकार कासिम बाजार थाना ने 18 को आवेदन लिया। ढाई माह बाद जब मोनू का कहीं अता-पता नहीं लगा तो रेखा देवी एवं अन्य परिजन अनहोनी की आशंका से दहशत में आ गए।
बहन के आवेदन पर डीआइजी ने गठित की थी टीम
लापता मोनू की बहन रेखा देवी ने अपने लापता भाई को खोजने में पुलिस से सहयोग नहीं मिलने पर डीआइजी मनु महाराज को आवेदन दिया। इसके बाद डीएसपी यातायात मनोज कुमार सिन्हा के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया। टीम मोनू को तलाश करने में लग गई। जांच टीम के जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि 16 जून को मोनू की गुमशुदगी से संबंधित रिपोर्ट कराने गए वादी से आवेदन थाना में नहीं लिया गया। 19 जून को वादी के आवेदन पर केस दर्ज हुआ। वादी लक्ष्मी प्रसाद यादव ने 18 जुलाई को डीआइजी को एक ज्ञापन दिया जिस पर एसपी को बरामदगी का निर्देश दिया गया। जांच रिपोर्ट में कहा गया कि मोनू कुमार 14 जून को सफियाबाद पेट्रोल पंप के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। उसे लोगों ने सदर अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी ने घोर लापरवाही की और ओडी स्लिप तक जारी नहीं किया। दूसरे दिन उसे अज्ञात व्यक्ति के तौर पर मायागंज अस्पताल भागलपुर रेफर कर दिया गया। इसके बाद मायागंज अस्पताल भागलपुर में चिकित्सक द्वारा ओडी स्लिप जारी की गई, परंतु वहां के बरारी थानाध्यक्ष एवं पुलिस पदाधिकारी द्वारा कार्रवाई नहीं की गई। घायल व्यक्ति का 17 जून को मृत्यु हो गई। उसी अस्पताल में दूसरे अज्ञात घायल व्यक्ति की भी 19 जून को मृत्यु हो गई। इस पर भी ओडी स्लिप जारी की गई। परंतु संबंधित थानाध्यक्ष द्वारा कोई संज्ञान नहीं लिया गया। बाद में सरकारी प्रक्रिया के तहत दोनों शवों का संस्कार कर दिया गया।
कैसे हुआ था मामले का खुलासा
डीआइजी के निर्देश पर गठित पुलिस टीम ने छानबीन प्रारंभ की तो मोनू का मोबाइल एक युवक के पास मिला। युवक को हिरासत में लेकर पूछताछ करने पर उसने बताया कि 14 जून की रात मोनू दुर्घटना में सफियासराय पेट्रोल पंप के पास घायल हो गया था। उसने युवक को उठाकर सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भरती करा कर छोड़ दिया। कई दिनों तक पुलिस ने दो युवकों को हिरासत में रखकर पूछताछ की थी।