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एमएसपी पर धान बेचकर किसान पैसे के लिए कर रहे च‍िरौरी, सहरसा में 48 घंटे के अंदर नहीं हो रहा भुगतान

बिहार में एमएसपी पर धान बेचने वाले किसान परेशान हैं। उन्‍हें 48 घंटे के अंदर भुगतान नहीं हो रहा है। सहसा में सबसे अधिक किसान परेशान हैं। यहां किसानों को पैसे के लिए रोज चक्‍कर काटना पड़ रहा है। लेकिन...

By Abhishek KumarEdited By: Published: Sun, 16 Jan 2022 10:28 AM (IST)Updated: Sun, 16 Jan 2022 10:28 AM (IST)
एमएसपी पर धान बेचकर किसान पैसे के लिए कर रहे च‍िरौरी, सहरसा में 48 घंटे के अंदर नहीं हो रहा भुगतान
बिहार में एमएसपी पर धान बेचने वाले किसान परेशान हैं।

संस, सहरसा। सरकार ने धान बेचनेवाले किसानों को 48 घंटे के अंदर भुगतान का निर्देश दिया है,परंतु जिले में एक- डेढ़ माह से भी अधिक समय से दर्जनों किसान भुगतान के लिए भटक रहे हैं। पैक्सों की मनमानी के कारण जहां छोटे किसानों का धान नहीं खरीदा जा रहा है। जरूरत पूरा करने के लिए इन किसानों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी कम कीमत पर बाजार में धान बेचा जा रहा है। वहीं धान बेचने के बाद भुगतान के लिए दर्जनों किसान पैक्स अध्यक्षों की चिरौरी कर रहे हैं। सरकार की इस योजना का लाभ बिचौलिया व जमाखोंरो को मिल रहा है। आम किसान सरकार की इस सुविधा से वंचित हो रहे हैं।

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अबतक 29 हजार पांच सौ एमटी धान की हुई खरीद

गत वर्ष जिले के धान का खरीद का लक्ष्य 90 हजार एमटी था। इस वर्ष खरीफ की बर्बादी के कारण इस लक्ष्य को घटाकर 38 हजार एमटी कर दिया गया। बाद में किसानों की सुविधा का ख्याल रखते हुए लक्ष्य को लगभग 12 हजार एमटी और बढ़ा दिया गया, परंतु इसका लाभ पैक्सों की मिलीभगत से किसानों के बदले बिचौलिया व जमाखोर ले रहे हैं। जिन ग्यारह हजार किसानों ने धान बेचने के लिए अपना पंजीकरण कराया उसमें अबतक मात्र 58 सौ किसानों से धान खरीदा जा सका।

अधिकांश छोटे और मझोले किसान धान नहीं बेच पाए हैं। इन किसानों और बटाईदारों से धान की खरीद नहीं हो पा रही है। जरूरत के मारे किसान निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य से लगभग आधे कीमत पर अपना धान बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं। इन किसानों को खेती का लागत मूल्य भी नहीं निकल पा रहा है। जिन किसानों से धान की खरीद हुई, उन्हें समय पर भुगतान भी नहीं हो पा रहा है। लक्ष्य की बढ़ोतरी का भी लाभ छोटे व मझोले किसान के बजाय पैक्स व बिचौलिया ले रहे हैं।

क्या कहते हैं किसान

सिटानाबाद के मो. मंसूर कहते हैं कि उन्होंने डेढ़ महीने पूर्व अपना धान बेचा, परंतु अबतक भुगतान नहीं हो सका। चंदौर के किसान मेदनी यादव कहते हैं कि सरकार 48 घंटे के अंदर भुगतान का दावा करती है, परंतु उनलोगों को महीनों से भुगतान के लिए दौड़ाया जा रहा है। सहुरिया के रामरतन कुमार का कहना है कि एकतरफ पैक्स अपने फायदे के लिए जिले का लक्ष्य बढ़ाने की मांग करता रहा है, वहीं दूसरी ओर किसानों का धान खरीदने में बहाना किया जा रहा है। साहपुर के खोखा ङ्क्षसह का कहना है कि एक तो छोटे किसानों का धान नहीं लिया जाता, धान अगर खरीदा भी जाता है, तो भुगतान के लिए दौड़ाया जाता है।

कुछ किसानों ने पैक्सों में राशि नहीं रहने के बावजूद भी राशि उपलब्ध होने पर भुगतान की शर्त पर धान दे दिया था। ऐसे किसानों के भुगतान में ही कुछ विलंब हुआ। इन किसानों को भुगतान किया जा रहा है। बिना ठोस कारण के भुगतान नहीं करनेवाली समितियों के विरूद्ध् कार्रवाई की जाएगी। शिवशंकर कुमार, डीसीओ, सहरसा।


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