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ग्रांड नैने केला को पहचान दिलाने में जुटे किसान

आधा दर्जन किसान इसकी खेती की ओर उन्मुख हुए हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Aug 2018 01:58 PM (IST)Updated: Tue, 21 Aug 2018 01:58 PM (IST)
ग्रांड नैने केला को पहचान दिलाने में जुटे किसान
ग्रांड नैने केला को पहचान दिलाने में जुटे किसान

किशनगंज (मयंक प्रकाश )। अनानास उत्पादन में सूबे में अव्वल किशनगंज जिले में किसान जी-9(ग्रांड नैने) टिश्यू कल्चर केला की खेती कर समृद्धि की गाथा लिखने को बेताब हैं। मालभोग, चिनिया, जहाजी, झाजी सहित अन्य किस्म के केला की खेती करनेवाले किसानों के लिए यह बेहतर विकल्प बनकर उभरा है। जिले में आधा दर्जन किसान इसकी खेती की ओर उन्मुख हुए हैं। इस केला की खासियत है कि यह रोगमुक्त होता है। इसके पौधे टिश्यू कल्चर लैब में तैयार किए जाते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा किसानों के बीच इसका प्रशिक्षण व प्रत्यक्षण कराया जा रहा है। यही कारण है कि किसानों में इस केले की खेती के प्रति रुचि जगी है। वैज्ञानिकों की मानें तो जिले में दस से पंद्रह हेक्टेयर में जी-9 केला की खेती होने लगी है। सबसे खास बात यह कि इसके पौधे छोटा होने के कारण कम जगहों पर अधिक पौधे का समावेश हो जाता है। जिससे सघन बागवानी कर किसान केला का अधिक उत्पादन कर मुनाफा कमा सकते हैं। सामान्य केले की तुलना में इसका फल बड़ा और मोटा एवं स्वादिष्ट होता है। इसमें नौ से दस महीने में ही फल लग जाते हैं। बिहार कृषि विश्वविद्यालय के टिश्यू कल्चर लैब में सलाना 8 से 10 लाख पौधे तैयार किए जा रहे हैं। एक पौधे की कीमत 14 रुपए है। किसान को कृषि विभाग द्वारा भी इसके पौधे उपलब्ध कराए जाते हैं। इसके अलावा बिहार कृषि विश्वविद्यालय या अन्य प्रमाणित टिश्यु कल्चर लैब से भी किसान इसके पौधे की खरीद कर सकते हैं।

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कई किसान जी-9 केला की कर रहे खेती

केला की खेती बृहत पैमाने पर ठाकुरगंज व पोठिया प्रखंड में होती है। जिसमें ठाकुरगंज के छैतल, दोगही, भातगांव व बैटागर पंचायत व पोठिया प्रखंड के रायपुर, अर्राबाड़ी सहित अन्य पंचायतों में की जाती है। किशनगंज प्रखंड के फूलबाड़ी के किसान भूवेन लाल ¨सह पिछले डेढ़ सालों से जी-9 केला की खेती कर रहे हैं। वे अपने आधा एकड़ जमीन में केला की खेती कर अन्य किसानों को इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं। इनकी देखादेखी कुछ किसान जी-9 केला की खेती कर रहे हैं। इनमें भोलाभिट्ठा गांव के छांगुर यादव, दोगही के फरमान आलम व कमलेश यादव ठाकुरगंज शामिल हैं। कृषि विज्ञान केंद्र के उद्यान वैज्ञानिक डा. हेमंत कुमार ¨सह के देखरेख में किसान इसका प्रत्यक्षण कर रहे हैं।

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कोट:-

किशनगंज जिले में मालभोग केला के विकल्प के रूप में जी-9 केला के प्रशिक्षण व प्रत्यक्षण कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा कराया जा रहा है। यह केला रोगमुक्त है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय में टिशू कल्चर केला जी-9 का आठ से दस लाख पौधे सलाना तैयार किए जाते हैं। इसे किसानों के बीच 14 रुपए प्रति पीस की दर से दिया जाता है। - डा. आरके सोहाने, निदेशक, प्रसार शिक्षा, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर।


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