दोगुनी आय के लिए मशरूम की खेती करें किसान, कृषि वैज्ञानिक ने दिए टिप्स
तीन तरह के मशरूम का उत्पादन होता है। अभी सितम्बर महीने से 15 नवंबर तक ढिगरी मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं। इसके बाद आप बटन मशरूम का उत्पादन ले सकते हैं।
भागलपुर (जेएनएन)। बाजार में मशरूम की मांग तेजी से बढ़ रही है, जिस हिसाब से बाजार में इसकी मांग है, उस हिसाब से अभी इसका उत्पादन नहीं हो रहा है। यह बिना खेत की खेती है। ऐसे में किसान मशरूम की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। पिछले कई वर्षों से मशरूम की खेती का प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केंद्र में देने का काम किया जा रहा है। युवा इस दिशा में काफी जागरूक हुए है और मशरूम का बेहतर उत्पादन कर अपनी जिंदगी संवार रहे हैं।
उक्त बातें कृषि विज्ञान केंद्र सबौर की वैज्ञानिक अनिता कुमारी ने कही। उन्होंने कहा कि तीन तरह के मशरूम का उत्पादन होता है। अभी सितम्बर महीने से 15 नवंबर तक ढिगरी मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं। इसके बाद आप बटन मशरूम का उत्पादन ले सकते हैं। फरवरी-मार्च तक ये फसल जारी रहती है। इसके बाद मिल्की मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं। जो जून जुलाई तक होता है। इस तरह आप साल भर मशरूम का उत्पादन कर दोगुनी से चार गुने तक आय प्राप्त कर सकते हैं।
ऑयस्टर मशरूम उत्पादन की जानकारी देते वैज्ञानिक अनिता ने कहा कि इसकी खेती बड़ी आसान और सस्ती है। इसमें दूसरे मशरूम की तुलना में औषधीय गुण भी अधिक होते हैं। दिल्ली, कलकत्ता, मुम्बई एवं चेन्नई जैसे महानगरों में इसकी बड़ी मांग है। तमिलनाडु और उड़ीसा में तो इसकी खेती घर-घर में होती है और खूब बिकता है।
उत्पादन के लिए इन चीजों की होती है जरूरत
इसके उत्पादन के लिए भूसा, पॉलीबैग, कार्बेंडाजिम, फॉर्मेलिन और स्पॉन (बीज) की जरूरत होती है। दस किलो भूसे के लिए एक किलो स्पॉन आवश्यक है।
ऐसे शुरू करें उत्पादन
दस किलो भूसे को 100 लीटर पानी में भिगोया जाता है। फिर 150 मिली. फार्मलिन, सात ग्राम कॉर्बेंडाजिन को पानी में घोलकर इसमें दस किलो भूसा डुबोकर उसका शोधन किया जाता है। भूसा भिगोने के बाद लगभग बारह घंटे यानि अगर सुबह फैलाते हैं तो शाम को और शाम को फैलाते हैं तो सुबह निकाल लें। इसके बाद भूसे को किसी जालीदार बैग में भरकर या फिर चारपाई पर फैला देते हैं। जिससे अतिरिक्त पानी निकल जाता है।
इसके बाद एक किलो सूखे भूसे को एक बैग में भरा जाता है, एक बैग में तीन लेयर लगानी होती है, एक लेयर लगाने के बाद उसमें स्पॉन की किनारे-किनारे रखकर उसपर फिर भूसा रखा जाता है, इस तरह से एक बैग में तीन लेयर लगानी होती है। ऑयस्टर बैग में स्पॉन लगाने के बाद पंद्रह दिनों में सफेद-सफेद खूटियां निकलने लगती हैं, ये मशरूम बैग में चारों तरफ निकलने लगता है। इस मशरूम में सबसे अच्छी बात होती है इसे किसान सुखाकर भी इसका मूल्य संवर्धन कर सकते हैं, इसका स्वाद भी तीनों मशरूम में सबसे बेहतर होता है। प्रति किलोग्राम इसके उत्पाद का लागत 175 रुपये होता है जबकि बिक्री 350 से 400 रुपये तक होती है।