मंत्री के आदेश हुए बेअसर, किसान निराश, 22 वर्षों से जमीन को नहीं मिल रहा पानी
बांका में 22 वर्षों से दो हजार एकड़ जमीन तक पानी नहीं पहुंच रहा है। पिछले दिनों जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी आए थे। उनके आदेश का भी कोई असर नहीं हुआ।
बांका, जेएनएन। विलासी जलाशय से नहर द्वारा माताथान तक पानी पहुंचाने की घोषणा हवा हवाई साबित हो गई है। इस कारण लगभग दो हजार एकड़ पानी के बिना बेकार हो रही है। मोहनपुर, हथिया पाथर, लेटाबरण खिरीकोल, फुल्लीडुमर एवं छत्तर के किसानों ने बताया कि शुरू के तीन वर्षो तक सिंचाई हुई थी। इसके बाद 22 वर्षों से सिंचाई बाधित है। किसानों ने कहा कि डैम में पानी का पर्याप्त भंडार रहने के बावजूद महज आधा किलोमीटर से चार किलोमीटर तक के किसान पानी के लिए तरस रहे हैं। समतलीकरण व गाद की समस्या से पानी रहने के बाद भी खेत तक नहीं पहुंच रहा है।
ज्ञात हो कि तत्कालीन जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने डैम एवं नहरों का निरीक्षण किया था। उसी दौरान उन्होंने किसानों की समस्याओं को सुनने के बाद कोझी डैम के पानी को नहर द्वारा फुल्लीडुमर माताथान तक पहुंचाने का आदेश संबंधित अधिकारियों को दिया था। पर आज तक परिणाम शून्य है। इसके पूर्व तत्कालीन सांसद जयप्रकाश नारायण यादव ने एवं विधायक गिरिधारी यादव ने भी माताथान नहर द्वारा कोझी डैम के पानी को अठगामा के खेत तक पहुंचाने का भरोसा दिया था। विधायक की पहल पर कुछ कार्य भी कराए गए, लेकिन माताथान तक पानी नहीं पहुंचा। इधर, राजद विधायक रामदेव यादव ने कहा कि इस समस्या के समस्या के लिए प्रयास किया जा रहा है।
किसान की राय
खेत तक पानी लाने के लिए तरस रहे हैं , लेकिन बिना सरकारी प्रयास के तो होगा नहीं । कई बार आपस में चंदा कर नहर की सफाई कर पानी खेत तक लाया गया। पर समस्या का समाधान नहीं हुआ।
राजेन्द्र यादव, किसान
डैम के पश्चिम मुख्य नहर का तल माता थान नहर के तल से नीचे है। जिससे पानी माता थान नहर में आना संभव नहीं हो रहा है। इसके लिए तकनीकी पदाधिकारियों को सोचना होगा। पर आज तक नहर में पानी नहीं पहुंचने का दुख है। - विवेकानंद मंडल ,पंसस
पश्चिमी मुख्य नहर के से निकले माताथान नहर के 27 चेन से चेन 46 तक अगर ढलाई युक्त नहर का निर्माण करा दिया जाय तो पानी कभी बंद नहीं होगा । कई बार चेन 27 से 46 तक कि डांड़ की सफाई कर खेत की सिंचाई कर चुके हैं । गाद की स्थायी सफाई होने से ङ्क्षसचाई की समस्या का समाधान होगा। - रणजीत यादव, किसान