एसडीओ साहब से 'खामोसी' पर मांगा जवाब, देर करने पर 25 हजार का भरना पड़ेगा जुर्माना, जानिए पूरा मामला
समय पर आरटीआई का जवाब नहीं देने पर सुपौल सदर के एसडीओ से जवाब तलब किया गया है। राज्य मुख्य सूचना आयुक्त ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एक महीने में सूचना उपलब्ध कराने को कहा है।
जागरण संवाददाता, सुपौल। सूचना अधिकार के तहत मांगी गई सूचना का समय से जवाब नहीं देना और आवेदक को सही-सही सूचना उपलब्ध नहीं कराना सदर एसडीओ को महंगा पड़ा है। राज्य मुख्य सूचना आयुक्त ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एक महीने में सूचना उपलब्ध कराते हुए स्पष्टीकरण की मांग की है। ऐसा नहीं होने की स्थिति में उन पर 25 हजार अर्थदंड लगाने की भी चेतावनी दी है। मामला अतिक्रमण हटाने से संबंधित है।
दरअसल सदर प्रखंड के बभनी निवासी निकेश कुमार झा ने सूचना अधिकार अधिनियम के तहत लोक सूचना पदाधिकारी सदर एसडीओ से 21 फरवरी 2018 को कुछ जानकारी मांगी थी। मांगी गई सूचना के तहत उन्होंने जानना चाहा था कि जो टीम अतिक्रमण हटाने गई थी उसने बिना अतिक्रमण हटाए विभाग को गुमराह किया। ऐसे में टीम में शामिल अधिकारियों के विरुद्ध क्या-क्या कार्रवाई की गई है।
इसकी सूचना जब आवेदक को उपलब्ध नहीं कराई गई तो उन्होंने अपर समाहर्ता के पास अपील की। अपील उपरांत उन्हें जो सूचना उपलब्ध कराई गई उस पर उन्होंने आपत्ति जताई और राज्य सूचना आयोग में 10 अगस्त 2018 को द्वितीय अपील दायर की। सुनवाई के दौरान राज्य मुख्य सूचना आयुक्त ने माना कि विलंब के साथ जो सूचना उपलब्ध कराई गई वह मांगी गई सूचना से मिलान नहीं खाता है। यह भी कहा गया कि यदि प्रतिवादी कहते हैं कि अतिक्रमण हटा लिया गया था और एसडीओ के आदेश की अवहेलना नहीं हुई तो इसी बिंदु पर ससमय इन्हें सूचना दे देनी चाहिए थी। सूचना देने में दो साल आठ महीने की देरी की गई। इसके बाद जो सूचना उपलब्ध कराई गई वह सही नहीं है।
राज्य मुख्य सूचना आयुक्त ने सदर एसडीओ को एक महीने के अंदर मांगी गई सूचना के आधार पर सूचना उपलब्ध कराने का आदेश दिया है। अपने आदेश में उन्होंने कहा है कि यदि आवेदक को समय से सूचना उपलब्ध नहीं कराई जाती है तो वह आयोग में शिकायत वाद दायर कर सकते हैं। आयुक्त ने सुनवाई की अगली तिथि मुकर्रर करते हुए सूचना उपलब्ध कराने का आदेश देते हुए स्पष्टीकरण की मांग की है।