Mahavir Jayanti 2022: क्षत्रियकुंड में ऋषिकेश के लक्ष्मण झूला की तर्ज पर होगा इको ब्रिज, इस पथ से गुजरे थे भगवान महावीर
Mahavir Jayanti 2022 ऋषिकेश के लक्ष्मण झूला की तर्ज पर होगा इको ब्रिज का निर्माण। कुंडघाट जलाशय के ऊपर से किया जाएगा ब्रिज का निर्माण। 75 साल के बाद इस ब्रिज का निर्माण हो रहा है। जैन मुनि और धर्मावलंबी आसानी से मंदिर तक पहुंच सकेंगे।
विभूति भूषण, जमुई। विश्व को शांति-अहिंसा का संदेश देने वाले भगवान महावीर की जन्मस्थली क्षत्रियकुंड ग्राम में ऋषिकेश के लक्ष्मण झूला की तर्ज पर इको ब्रिज का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार के पर्यटन विभाग ने स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस ब्रिज का निर्माण होने से लछुआड़ धर्मशाला से क्षत्रियकुंड पहुंचने की दूरी सात किलोमीटर कम हो जाएगी।
भगवान महावीर का जन्म आज से 2620 वर्ष पूर्व क्षत्रिय कुंडग्राम में हुआ था। वे इसी पथ से होकर गुजरे थे। आज से लगभग 75 वर्ष पूर्व जैन मुनि और श्रद्धालु मगही पथ के नाम से प्रचलित पैदल रास्ता का उपयोग लछुआड़ धर्मशाला से कुंडग्राम मंदिर तक पहुंचने के लिए करते थे। जैन धर्म में पहाड़ की तलहटी की यात्रा पैदल करने का ही प्रविधान है। यह मार्ग जैन धर्म के श्रद्धालुओं के लिए अटूट आस्था का केंद्र भी है। इस ब्रिज की लंबाई लगभग दो किलोमीटर होगी। इसका निर्माण कुंडघाट जलाशय के ऊपर किया जाएगा।
75 साल के बाद इस ब्रिज का निर्माण होने के बाद फिर जैन मुनि और धर्मावलंबी सुगम तरीके से मंदिर तक पहुंच सकेंगे। कालांतर में स्थानीय लोगों द्वारा इस पथ का अतिक्रमण करने से इसका अस्तित्व मिट गया था। जैन धर्मावलंबियों की मानें तो इस पथ से होकर गुजरना जैन धर्म में काफी पुण्य का कार्य माना जाता है। विदित हो कि लछुआड़ धर्मशाला से पांच किलोमीटर की दूरी पर भगवान महावीर का च्यवन और दीक्षा कल्याणक स्थित है। वहीं धर्मशाला से 17 किलोमीटर की दूरी पर कुंडग्राम में जन्म कल्याणक स्थित है। इसे भगवान की जन्मस्थली भी कहा जाता है। पावापुरी को भगवान महावीर का निर्वाण कल्याणक स्थल माना जाता है।
काफी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं। विशेष आयोजन में तो यहां देश-विदेश के हजार जैन मत के अनुयायी यहां पहुंचते हैं। स्थानीय स्तर पर बेहतर इंतजाम किया गया है। यह एक धार्मिक स्थल है, जो पर्यटन को बढ़वा देने में सहायक है। 14 अप्रैल को भगवान महावीर की जयंती है।