Dussehra 2021: बिहार के बांका में बकरों की कीमत से एक लाख से ज्यादा घरों में मनाया जाता है दशहरा
Dussehra 2021 आने को है। ऐसे में बिहार के बांका जिले की बात करें तो यहां बकरा बलि देने के लिए जिला दशकों से प्रसिद्ध है। यही वजह है कि किसान बकरी पालन शुरू कर देते हैं। त्योहार में यहां एक लाख से ज्यादा घरों के बकरे बाजार पहुंचते हैं।
राहुल कुमार, जागरण संवाददाता, बांका। दशहरा (Dussehra 2021) की दस्तक के साथ ही जिला के ग्रामीण हाटों में बकरा बेमोल होने लगा है। बांका का दशहरा दशकों से बकरा बलि के लिए प्रसिद्ध है। केवल नवमीं पूजा को ही जिलेभर में दो लाख के करीब बकरा की बलि दी जाती है। बलि के कारण ही पूजा में बकरा बाजार गरम हो जाता है। नतीजा, हर गरीब और किसान परिवार दशहरा खुशहाल करने के लिए अपने घर एक दो बकरा पाल लेता है। अभी बाजार में बकरा की कीमत ढाई-तीन हजार रुपया से लेकर 10 हजार रुपया तक है।
पास के समुखिया और ककवारा पशु हाट के अलावा पवई, श्यामबाजार, पवई, भरको, धोरैया, बाराहाट, महराणा में हर दिन हजारों हजार बकरा बिक रहा है। लाकडाउन की मंडी का भी इसके बाजार पर कोई असर नहीं है। तीन से पांच किलो का बकरा भी ढाई से तीन हजार रुपये से कम में नहीं है। अगर एक गरीब परिवार के पास एक दो बकरा भी पल गया तो दशहरा में कपड़े और मिठाई की फिक्र नहीं रहती है। जिला में गरीब परिवारों के पास बकरा बेचकर करीब छह अरब रूपये की आमदनी होती है। फिर इसी पैसे पर दशहरा की खुशियां निर्भर करती है।
वर्षों से बकरा ही दे रहा दशहरा की खुशी
समुखिया हाट में बकरा बेच रहे सुखदेव हांसदा, भरत मंडल, गड्डू सिंह आदि ने बताया कि गांव में रहने वालों के लिए एक-दो बकरा पालना कोई मुश्किल का काम नहीं है। दशहरा के वक्त किसी फसल का समय नहीं रहता है। किसान और मजदूरों का हाथ खाली रहता है। ऐसे में दशहरा की खुशियां पैसे के अभाव में फीकी पड़ जाती है। जिस परिवार के पास अभी एक-दो बकरा है, उसे बेचकर वह पांच हजार रुपया आसानी से प्राप्त कर सकता है। गरीब परिवार के लिए हजार दो हजार रुपया भी दशहरा मनाने के लिए काफी है।
केवल तेलडीहा मंदिर में ही 25 हजार बलि
बांका का तेलडीहा दुर्गा मंदिर में ही हर साल नवमीं को 25 हजार के करीब बकरे की बलि दी जाती है। वैसे इस साल प्रशासन ने कोरोना को देखते हुए इस मंदिर में बलि नहीं कराने का निर्णय लिया है। इसके अलावा गोड़धुवा, कुनौनी, कंझिया, करहरिया, जगतपुर आदि दुर्गा मंदिरों में भी हजारों हजार की संख्या में बलि दी जाती है। इस बार भी बलि होगी। जबकि जिला में बड़ी संख्या में भक्त नवमीं पूजा के दिन अपने घर के देवी स्थान में भी बलि देते हैं। इसके लिए बकरा खरीदारी का काम तेज है।