TMBU : गांधी विचार विभाग में स्थापित हुई डॉ. रामजी सिंह पीठ, जानिए... उनकी खासियत और उपलब्धि Bhagalpur News
पहली बार इस विभाग की स्थापना का प्रस्ताव कुलपति रहते हुए राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर (1964) ने दिया था। वे चाहते थे कि विश्वविद्यालय में गांधी के विचारों की पढ़ाई हो।
भागलपुर [माधवेन्द्र]। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में गांधी विचार विभाग के संस्थापक अध्यक्ष रहे डॉ. रामजी सिंह ने अपनी पांच हजार किताबें और हस्तलिखित फुटनोट्स विभाग को दे दी है। इन किताबों में अधिकतर दर्शन और गांधी विचार से जुड़ी हैं। वहीं, हस्तलिखित फुटनोट्स उनके व्याख्यान से जुड़े हैं। ये फुटनोट्स सेमिनार और अन्य आयोजनों में भाषण के दौरान बनाए गए थे। गांधी विचार विभाग में इन किताबों को व्यवस्थित करते डॉ. रामजी सिंह पीठ स्थापित की गई है।
इसके लिए पुस्तकालय में ही एक कक्ष में बोर्ड लगाकर उसे अलग रूप दिया गया है। इस कक्ष में नौ अलमारियों में उन किताबों को रखा गया है। इसके अलावा दो अलमारियों में फुटनोट्स रखे गए हैं। विभाग के अध्यक्ष डॉ. विजय कुमार कहना है कि इन फुटनोट्स को लेमिनेट कर संरक्षित रखा जाएगा। महात्मा गांधी पर शोध करने वाले छात्रों के लिए यह थाती होगी। विभागाध्यक्ष ने बताया कि भागलपुर के पूर्व सांसद डॉ. रामजी सिंह मूल रूप से दर्शन शास्त्र के प्रोफेसर हैं लेकिन वैचारिकी स्तर पर उनका झुकाव गांधी की तरफ है। यही वजह रही कि जेपी आंदोलन के समय सांसद बनने के बाद उन्होंने गांधी विचार विभाग की स्थापना की दिशा में सफल प्रयास किया।
दरअसल, पहली बार इस विभाग की स्थापना का प्रस्ताव कुलपति रहते हुए राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर (1964) ने दिया था। वे चाहते थे कि विश्वविद्यालय में गांधी के विचारों की पढ़ाई हो। किसी कारण वश इस पर अमल नहीं हो सका। डॉ. रामजी सिंह ने इसे 1980 में मूर्त रूप दिया। वे 1992 में विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त हुए। उम्र के इस पड़ाव में भी डॉ. रामजी सिंह (94 वर्ष) गांधी के विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए सक्रिय हैं।
डॉ. रामजी सिंह पीठ को व्यवस्थित करने की कवायद
बुधवार को गांधी विचार विभाग में अध्यक्ष विजय कुमार के नेतृत्व में चर्चा हुई। इसमें डॉ. रामजी सिंह पीठ को व्यवस्थित करने पर विमर्श हुआ। इस दौरान डॉ. रामजी सिंह पीठ कक्ष में उनकी तस्वीर लगाने पर भी विचार हुआ। चर्चा में पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर परमानंद सिंह भी मौजूद थे। इनके अलावा सह प्राध्यापक रीता झा, सहायक प्राध्यापक डॉ. अमित रंजन सिंह, डॉ. उमेश प्रसाद नीरज, गौतम कुमार, मनोज कुमार दास और शोधार्थी नरेन नवनीत आदि मौजूद थे।