चिंता ना करें बिहार में मिल जाएगी सरकारी नौकरी, लेकिन वेतन के लिए करना होगा इंतजार
बिहार में शिक्षक नियोजन के तृतीय चरण की काउंसलिंग की प्रक्रिया चल रही है। शिक्षक अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों की जांच की जा रही है। प्रमाण पत्रों के सत्यापन के बाद ही नियुक्ति पत्र निर्गत करने के निर्देश दिए गए थे। इसका शिक्षक संघ ने निर्णय पर जताई नाराजगी।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। शिक्षक नियोजन के तृतीय चरण की काउंसलिंग की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। चयनित शिक्षक अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों के सत्यापन का कार्य चल रहा है। शिक्षा विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार शिक्षकों के प्रमाण पत्रों के सत्यापन के बाद ही उन्हें नियुक्ति पत्र निर्गत करने के निर्देश दिए गए थे। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि कोरोना संकट और उसके बाद मैट्रिक-इंटर की परीक्षा में सभी विभागीय कर्मियों की डयूटी लगाई गई है।
ऐसे में सभी शिक्षक अभ्यर्थियों के सभी प्रमाण पत्रों का सत्यापन नहीं हो सका है। कई अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र दूसरे राज्यों के संस्थानों से संबंधित हैं। ऐसे में प्रमाण पत्र की जांच करवाने में कुछ और समय लग सकता है। ऐसे में नियुक्ति की प्रक्रिया पूर्ण कराने के लिए विभाग के स्तर से यह निर्णय लिया गया है कि जिन अभ्यर्थियों के शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीइटी और बीइटीइटी) के प्रमाण पत्रों की जांच हो चुकी है, उन्हें 23 फरवरी से नियुक्ति पत्र निर्गत किया जाए। नियुक्त अभ्यर्थियों के शेष प्रमाण पत्रों का सत्यापन 30 सितंबर तक हर हाल में पूर्ण करने के निर्देश दिए गए हैं। विभाग के अपर मुख्य सचिव ने कहा कि नियुक्त शिक्षकों के वेतन का भुगतान सभी प्रमाण पत्रों के सत्यापन के बाद ही किया जा सकेगा।
इधर, प्रारंभिक माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष डा. शेखर गुप्ता ने सरकार की ओर से जारी अधिसूचना पर नाराजगी जताई है। शिक्षक नेता ने कहा कि यह सरकार की लापरवाही है। प्राथमिकता के आधार पर अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों का सत्यापन करवाना चाहिए। यह विभागीय अधिकारियों की लापरवाह कार्यप्रणाली का उदाहरण है। अभी जिला में 34 हजार 540 कोटि के 70 शिक्षकों का वेतन प्रमाण पत्र सत्यापन कराने के नाम पर रोक दिया गया है। प्रमाण पत्र सत्यापन के नाम पर वेतन नहीं देना कहीं से जायज नहीं है।