पूर्णिया के साहित्यकार सतीनाथ भादुड़ी पर बनेगी डाक्यूमैंट्री, आजादी की लड़ाई में तीन बार गए थे जेल
पूर्णिया के साहित्यकार सतीनाथ भादुड़ी पर डाक्यूमैंट्री बनेगी। उन्होंंने न केवल साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया था बल्कि वे आजादी की लड़ाई में भी सक्रिय थे। उन्हें अग्रेज सरकार ने तीन बार जेल में बंद कर दिया था।
जागरण संवाददाता, पूर्णिया। अपनी कालजयी रचनाओं के कारण प्रथम रविंद्र पुरस्कार प्राप्त करने वाले ख्यातिप्राप्त साहित्यकार सह स्वतंत्रता सेनानी सतीनाथ भादुड़ी की जयंती समारोह पूर्वक मनाई गई। बिहार बंगाली समिति के शाखा कार्यालय में आयोजित इस समारोह में साहित्य व कला क्षेत्र से जुड़े कई मूर्धन्य लोग मौजूद थे। इस दौरान उनकी जीवनी पर जल्द ही डाक्यूमैंट्री बनाने की घोषणा भी की गई।
इस दौरान वक्ताओं ने सतीनाथ भादुड़ी की अमर कृति जागरी सहित कई अन्य उपन्यास अचिन रागिनी,संकट व दिगभ्रान्त पर अपने-अपने विचार व्यक्त किए। वक्ताओं ने एक स्वर से माना कि उनकी हर कृति एक विशाल व सुलझी ²ष्टि का परिचायक है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान वे तीन बार कारावास में भी रहे और ग्रामीण जीवन को नजदीक से देखने का प्रयास किया।
उनका यह पर्यवेक्षण उनकी साहित्य में स्पष्ट ²ष्टिगोचर होता है।इस दौरान उनकी कृति ढोड़ाई चरित मानस पर भी विशद चर्चा हुई। साथ ही रेणु एवं सतीनाथ साहित्य विषय पर भी चर्चा की गई। समारोह में साहित्यकार आलो राय,अजय सान्याल,रवींद्र कुमार नाहा, प्रशांत कुमार चक्रवर्ती, चैताली सान्याल, तपती साहा, शाम की पाठशाला के शशि रंजन,लेखक सह रंगकर्मी डा. अखिलेश कुमार जयसवाल, प्रख्यात गायक नीरज नाथ ठाकुर सहित अन्य वक्ताओं ने अपने विचार रखे। साहित्यकार आलो राय ने सतीनाथ से जुड़ी कई घटनाओं का उल्लेख्य किया। साथ ही उससे संबंधित बारीकियों पर भी प्रकाश डाला।
सतीनाथ के जीवन एवं साहित्य को डिजीटल माध्यम में संरक्षित करने की पहल गीतकार नीरज नाथ ठाकुर द्वारा की जा रही है। जल्द ही उनकी जीवनी पर आधारित डाक्यूमैंट्री बनाने की घोषणा की गई। शाम की पाठशाला के संस्थापक शशि रंजन ने सतीनाथ के बहुमुखी प्रतिभा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गत साल हिंदी - बांग्ला सहित्य पर परिचर्चा कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी।
बाद में लाकडाउन के कारण से बंद करना पड़ा था। पुन: हिंदी बंगाल साहित्य परिचर्चा शुरू की जाएगी, ताकि युवा वर्ग में साहित्य के प्रति रुझान बढ़े। प्रशांत ने सतीनाथ की लघु कहानियों की विशेषता को रखा। बंगला साहित्यकार अजय सांन्याल सतीनाथ साहित्य पर चर्चा करते हुए उनके जीवन से जुड़ी कई बातों की जानकारी दी।
लेखक डा. अखिलेश जयसवाल ने सतीनाथ की लेखन शैली व साहित्य मूल्यांकन पर विशद परिचर्चा की आवश्यकता जताई। चैताली सान्याल ने सतीनाथ के समग्र जीवन एवं साहित्य, पूर्णियां के मिट्टी के प्रति समर्पण व उनके आदर्शवाद पर प्रकाश डाला। घन्यवाद ज्ञापन बंगाली समिति के युग्म संपादक रवींद्र कुमार नाहा ने किया।