बोले विशेषज्ञ और चिकित्सक - कोरोना से डरें नहीं... सावधानी और सुरक्षा बरतें; अफवाह ना फैलाएं Bhagalpur News
सोशल मीडिया द्वारा मामले में अनावश्यक भ्रम फैलाया जा रहा है। बहुत तेज बुखार के साथ यदि सर्दी-खांसी हो तभी कोरोना की आशंका होती है। जिनता डर है उतना डरने की जरूरत नहीं है।
भागलपुर [आनंद कुमार सिंह]। कोरोना को लेकर डरने की नहीं, सावधानी बरतने की जरूरत है। चिकित्सक भी इसे स्वीकार करते हैं कि सोशल मीडिया और बाजार के प्रभाव में आकर लोग पैनिक हो रहे हैं। इससे डिप्रेशन भी बढ़ रहा है। सोमवार सुबह 10 बजे के करीब भीखनपुर चौक की बानगी लेते हैं। यहां साक्षी सरकार अपनी 10 वर्षीया बेटी के साथ दवाएं लेने पहुंचती हैं। एटीएम दो हजार रुपये का नोट उगल देता है। वह महिला पास में खड़ी एक लड़की के पास आती है, जो तुरंत ही दूसरी एटीएम से पांच-पांच सौ के बहुत सारे नोट लेकर निकली है। उससे मजबूरी बताती है कि दवा खरीदने के लिए उसके दो हजार के नोट को पांच-पांच सौ के चार नोटों में बदल दे। दवा का नाम और चेहरे पर मास्क देखकर लड़की की सहेली उसे लगभग खींचती हुई स्कूटी पर बिठाकर चल देती है। बच्ची खीझकर बोलती है-एमुन कोरो ना (ऐसा नहीं करो)।
शहरी इलाकों का यह हाल है तो ग्रामीण इलाकों की बात सहज ही सोची जा सकती है। खगडिय़ा जिले के सूदूरवर्ती ढांढी-नवटोलिया गांव की बात है। उत्तरप्रदेश के सीतापुर में मजदूरी करने वाले छंगुरी मुनि को सर्दी-बुखार के बाद चिकित्सक ने एक महीना आराम करने की सलाह दी। रविवार को छंगुरी गांव पहुंच गए। लोगों ने इसकी सूचना प्रशासन को दी और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एंबुलेंस लेकर पहुंच गए। इस दहशत में छंगुरी वहां से फरार हो गए। पूरा गांव उन्हें खोजने में लग गया और एक घर से उन्हें खोजकर निकाला गया। इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। सिविल सर्जन के अनुसार छंगुरी में कोरोना का कोई लक्षण नहीं है। बांका के एक गांव में चीन से लौटे एक व्यक्ति को लोगों ने वहां से खदेड़ दिया। बांका की ही दूसरी घटना लेते हैं। यहां कोरोना के एक संदिग्ध व्यक्ति के सदर अस्पताल पहुंचते ही कर्मी उससे दूरी बनाने लगे। परिजन और एंबुलेंस कर्मी किसी तरह उसे लेकर इमरजेंसी विभाग तक पहुंचे। सदर अस्पताल की हालत यह थी कि मनोचिकित्सक डॉ एमयू फारुख को मरीज की जांच करने की जिम्मेदारी मिली। उन्होंने कटोरिया रेफरल अस्पताल की पर्ची देखी और मरीज से पूछताछ की। बिना कोई इलाज किए मरीज को भागलपुर रेफर कर दिया। दबी जुबान से अस्पताल के कर्मी बताते हैं कि वे खुद तीन दिनों से एक ही मास्क पहने हैं। बांका के सिविल सर्जन ने एक मामले में स्वीकार किया कि एक स्थानीय जनप्रतिनिधि के दबाव में उन्हें मरीज की पर्ची पर संदिग्ध कोरोना लिखवाना पड़ा। मुंगेर से संग्रामपुर के एक संदिग्ध कोरोना मरीज को जांच के लिए भागलपुर रेफर किया गया, लेकिन वह फरार हो गया। लोग तो लोग, बाजार भी कोरोना का फायदा उठाने से नहीं चूक रहा है। 20 रुपये में बिकने वाला मास्क अब 50 से 100 रुपये में बिक रहा है। आम तौर पर जिस सैनिटाइजर को कोई नहीं पूछता, उसकी कालाबाजारी हो रही है। दुकानदार अधिक कीमत लेकर यह एहसान भी जता रहे हैं कि इसकी आपूर्ति बंद है, सिर्फ आपके लिए अपने घर के इस्तेमाल वाले सैनिटाइजर से एक आपको दिया है।
सोशल मीडिया द्वारा मामले में अनावश्यक भ्रम फैलाया जा रहा है। बहुत तेज बुखार के साथ यदि सर्दी-खांसी हो, तभी कोरोना की आशंका होती है। अभी तक स्थिति बिगड़ी नहीं है। जो मरीज हैं, उन्हें ही मास्क लगाने की जरूरत है। लोगों को सावधानी रखनी चाहिए, लेकिन दहशत में नहीं आना चाहिए। - डॉ. अशोक भगत, विभागाध्यक्ष, मानसिक रोग विभाग, जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल, भागलपुर।
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जिनता डर है, उतना डरने की जरूरत नहीं है। कोरोना के 100 संक्रमण के मामले में दो या तीन मौतें हुई होती हैं। चीन इसके लिए तैयार नहीं था, इस कारण वहां बीमारी इतनी भयावह हुई।
भारत सजग है, इस कारण यहां उतनी खराब स्थिति नहीं हो सकती है। यह बीमारी सिर्फ आंख, मुंह और नाक से फैलती है। हाथ धोने के लिए सैनिटाइजर कोई जरूरी नहीं है, साबुन से भी काम लिया जा सकता है। डब्ल्यूएचओ के निर्देशानुसार हैंड वाश करें। लोग इंजैटी और पैनिक होकर डिप्रेशन में जा रहे हैं। मास्क 100 फीसद सुरक्षित नहीं है, लोगों को सजग रहना होगा। अंत में, भयभीत होने की जरूरत नहीं है। लोग विटामिन सी का उपयोग अधिक करें। हां, कोरोना के लक्षण आम सर्दी-खांसी के लक्षण की तरह हैं। - डॉ. आसिफ अली खान, मनोचिकित्सक, पटना
खास बातें
:- बाहर जाने वालों को तीन घंटे में हाथ साफ करने हैं।
:- यदि आप घर पर हैं तो छह घंटे में हाथ साफ करें।
:- सैनिटाइजर की जगह साबुन का कर सकते हैं प्रयोग।
:- एन 95 मास्क की जगह सामान्य मास्क भी प्रभावी।