सृजन घोटाला : बैंकों से वसूली के लिए जिला नजारत ने दायर किया मनी सूट Bhagalpur News
जिला नजारत से ही सबसे पहले 12 करोड़ रुपये की अवैध निकासी का मामला सामने आया था। इस मामले में बैंक ऑफ बड़ौदा पर केस दर्ज कराया गया था। इसके बाद सृजन के घोटाले का पर्दाफाश हुआ।
भागलपुर [जेएनएन]। सृजन घोटाले में जिला नजारत के खाते से 220 करोड़ रुपये की अवैध निकासी के लिए संबंधित बैंकों से वसूली के लिए सिविल कोर्ट में मनी सूट दायर किया गया। यह पहला मौका है जब इस मामले में किसी विभाग ने राशि वसूली के लिए मनी सूट दायर किया है। इस मामले में अधिकतर विभागों ने निलाम पत्र वाद ही दायर किया है। सृजन मामले में 21 सौ करोड़ सरकारी राशि का घोटाला हुआ था।
जिला नजारत शाखा के प्रभारी गुलाब हुसैन ने अधिवक्ता के माध्यम से बैंक ऑफ बड़ौदा पर 102 करोड़ और इंडियन बैंक पर 141 करोड़ की वसूली के लिए सिविल कोर्ट में मनी सूट दायर किया है। डीएम प्रणव कुमार ने जिला नजारत शाखा के प्रभारी को बैंकों से राशि की वसूली के लिए मनी सूट दायर करने का आदेश जुलाई में दिया था। इसके बाद जिला प्रशासन ने मनी सूट के लिए जरूरी 1.10 लाख रुपये की मांग सामान्य प्रशासन विभाग से भी की थी। अधिवक्ता से सलाह लेने के बाद मंगलवार को बैंक ऑफ बड़ौदा और इंडियन बैंक से राशि की वसूली के लिए मनी सूट दायर कर दिया गया।
पहले 12 करोड़ की अवैध निकासी का मामला आया था सामने
जिला नजारत से ही सबसे पहले 12 करोड़ रुपये की अवैध निकासी का मामला सामने आया था। इस मामले में बैंक ऑफ बड़ौदा पर केस दर्ज कराया गया था। इसके बाद सृजन के घोटाले का पर्दाफाश हुआ। जिला प्रशासन ने जरूरत पडऩे पर राशि की निकासी के लिए चेक लगाए थे, लेकिन चेक तीन बार बाउंस हुए। इसके बाद प्रशासन ने जांच की। तत्कालीन डीएम आदेश तितरमारे के जांच करवाने के बाद सृजन महिला विकास सहयोग समिति के खाते में रुपये ट्रांसफर करने का मामला सामने आया। जांच के दौरान पता चला कि कैशबुक में गड़बड़ी करने वाले पूर्व सहायक नाजिर अमरेंद्र यादव की बड़ी जिम्मेदारी थी। वह सीबीआइ के हत्थे भी चढ़ा। इस मामले की ऑडिटर जनरल की टीम ने भी 220 करोड़ की अवैध निकासी का मामला पकड़ा।
मुख्य बातें
-220 करोड़ रुपये की अवैध निकासी के लिए दो बैंकों को ठहराया गया है जिम्मेदार
-102 करोड़ रुपये बैंक ऑफ बड़ौदा पर है बकाया
-141 करोड़ रुपये इंडियन बैंक पर है बकाया
-2100 करोड़ सरकारी राशि का घोटाला हुआ था
सृजन घोटाला मामले में कर्मचारी अरुण कुमार निलंबित
सृजन घोटाला मामले में डीआरडीए के पूर्व कर्मचारी अरुण कुमार की भूमिका सामने आने के बाद डीएम प्रणव कुमार ने उन्हें निलंबित कर दिया। अरुण कुमार अभी आपदा विभाग में कार्यरत हैं। सृजन घोटाला की जांच में सीबीआइ को कर्मचारी अरुण कुमार संलिप्तता मिली है। अरुण कुमार द्वारा चेक जारी होने की बात कही गई है। सीबीआइ कभी भी अरुण कुमार को गिरफ्तार कर सकती है। सृजन घोटाला में अरुण कुमार की भूमिका आने के बाद विभागीय कार्रवाई पिछले दिनों शुरू की गई थी। डीएम प्रणव कुमार को इस आशय का प्रस्ताव भेजा गया है। डीएम ने मंगलवार को इसकी स्वीकृति दे दी।
सृजन घोटाला मामले में सीबीआइ ने जिला प्रशासन के दो कर्मियों पर शिकंजा कसने के साथ डीआरडीए से अवैध निकासी मामले में सन्हौला प्रखंड को दिए गए चेक की जानकारी ली थी। सीबीआइ ने सन्हौला प्रखंड को दिए गए दो चेक की छाया प्रति डीआरडीए से ली थी। इसके अलावा चेक से संबंधित अन्य जानकारियां भी ली गईं थी। सीबीआइ ने पूरी जानकारी डीआरडीए से कुछ दिन पहले ही मांगी थी। माना जाता है कि डीआरडीए से पांच प्रखंडों को राशि निर्गत की गई थी। शेष प्रखंडों के विषय में जांच एजेंसी जानकारी हासिल कर चुकी है।
अभी हाल में सीबीआइ को जिन दो कर्मियों के खिलाफ जिला प्रशासन से अभियोजन की स्वीकृति मिली है, वे दोनों ही डीआरडीए के नाजिर पद पर रह चुके हैं। इनमें से एक की संलिप्तता उजागर हो चुकी है। डीआरडीए के खाते से हुई अवैध निकासी मामले में पूर्व में भी यहां के लेखा और वित्त विभाग के अधिकारियों को दिल्ली बुलाया जा चुका है। सीबीआइ पूछताछ के लिए दो बार डीडीसी को भी दिल्ली बुला चुकी है। सीबीआइ पूछताछ में यह जानना चाहती है कि किस परिस्थिति में चेक सृजन संस्था को दिया गया। मालूम हो कि डीडीसी के प्रभार में कुछ ही दिन रहे प्रभात कुमार सिन्हा पर सीबीआइ कार्रवाई कर चुकी है। पूर्व नाजिर अमरेंद्र कुमार यादव को गिरफ्तार भी किया जा चुका है।