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बिहार के इस जांबाज थानेदार की खूब हो रही चर्चा, नक्सली बरसाते रहे गोली पर नहीं थमी बाइक की रफ्तार

बिहार के पीरी बाजार के जांबाज थानेदार की हर तरह चर्चा हो रही है। सोमवार की रात नक्‍सलियों की गोलियों की बौछार भी उनके बाइक की रफ्तार को कम नहीं कर सकती। वे पीछा करते रहे हालांकि इस दौरान तीन गोलियां उनकी बाइक...

By Abhishek KumarEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 11:56 AM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 11:56 AM (IST)
बिहार के इस जांबाज थानेदार की खूब हो रही चर्चा, नक्सली बरसाते रहे गोली पर नहीं थमी बाइक की रफ्तार
लखीसराय के पीरी बाजार के थानाध्‍यक्ष प्रजेश दूबे (दाएं)।

संवाद सहयोगी, लखीसराय। भगवान का लाख-लाख शक्र है कि शनिवार की रात पुलिस-नक्सली मुठभेड़ के दौरान पीरी बाजार थानाध्यक्ष प्रजेश दूबे नक्सलियों की गोली का शिकार होते-होते बाल-बाल बच गए। जिस बाइक से थानाध्यक्ष नक्सलियों का पीछा कर रहे थे उसमें नक्सलियों की तीन गोली लगी है।

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थानाध्यक्ष की बहादुरी की पीरी बाजार क्षेत्र में जोर-शोर से चर्चा हो रही है। हर कोई थानाध्यक्ष की हिम्मत की दाद दे रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार शनिवार की रात सशस्त्र महिला-पुरूष नक्सलियों का झुंड चौकरा रामपुर गांव में डीलर भागवत प्रसाद के घर पर धाबा बोलकर उसके पुत्र दीपक कुमार का अपहरण कर लिया। पीरी बाजार थाना स्थित बजरंगबली मंदिर में पूजा कर रहे डीलर भागवत प्रसाद को इसकी जानकारी मिली।

डीलर ने इसकी सूचना तुरंत थानाध्यक्ष को दी। थानाध्यक्ष ने एसटीएफ जवानों को अपने पीछे आने को कहकर स्वयं एक चौकीदार को साथ लेकर डीलर की बाइक पर सवार होकर नक्सलियों का पीछा करने चौकड़ा रामपुर की ओर चल पड़े। पीछे से छह बाइक पर सवार होकर एसटीएफ के जवान बिना वर्दी के ही थानाध्यक्ष के पीछे चल दिए। चौकरा रामपुर गांव पहुंचने पर ग्रामीणों ने बताया कि नक्सली दीपक कुमार को लठिया की ओर ले गया है।

भगतपुर-लठिया पथ पर करीब एक किलोमीटर आगे बढ़ते ही नक्सलियों ने थानाध्यक्ष के बाइक की लाइट का निशाना लगाकर फायङ्क्षरग शुरू कर दी। नक्सलियों की गोली ठीक बाइक की हेडलाइट में लगी। नक्सलियों की गोली थानाध्यक्ष को भी लग सकती थी। इसके बाद बाइक में नक्सलियों की दो और गोली लगी। इसके बाद थानाध्यक्ष बाइक को सड़क पर ही छोड़कर सड़क के किनारे स्थित गड्ढा में पोजीशन लिया।

एसटीएफ ने भी पोजीशन लेकर जवाबी फायङ्क्षरग शुरू कर दी। इस कार्रवाई में प्रमोद कोड़ा मारा गया। अपने साथी को ढेर होते देख अन्य नक्सली अपनी-अपनी जान बचाने के लिए भागने के लिए मजबूर हुए। अपने साथी की लाश भी ले जाने की हिम्मत नक्सली नहीं जुटा सके।हालांकि अपहृत दीपक को साथ ले जाने में सफल रहे।  


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