अविश्वास प्रस्ताव : सदन में आए मात्र 11 जिला परिषद सदस्य, और बच गई अध्यक्ष की कुर्सी
जिप अध्यक्ष से असंतुष्ट पार्षदों ने उनपर कई गंभीर आरोप लगाते हुए अविश्वास प्रस्ताव लाया था। लेकिन सभी के मंसूबे उस समय फेल हो गए, जब प्रस्ताव के दौरान11 सदस्य ही उपस्थित हुए।
भागलपुर [जेएनएन]। जिला परिषद् में मंगलवार को अध्यक्ष के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव गिर गया। चर्चा के लिए हुई बैठक की अध्यक्षता जिप उपाध्यक्ष आरती कुमारी ने की। चर्चा में जिप सदस्य डॉ.अशोक कुमार आलोक, अरविंद मंडल सहित कई सदस्यों ने भाग लिया। अविश्वास प्रस्ताव गिरने के विरोध में जिप अध्यक्ष के कक्ष में तोडफ़ोड़ की गई। अध्यक्ष के कमरे में रखी कुर्सियां, शीशे, पंखे और एसी को तोड़ दिया गया। अध्यक्ष के नाम का बोर्ड तोड़कर गिरा दिया गया। बाद में उनके कक्ष में ताला बंद कर दिया गया। अध्यक्ष के खिलाफ नारेबाजी की गई। उन्हें भगौड़ा कहा गया। आरोप लगाया कि अध्यक्ष ने 20 सदस्यों को गुमनाम स्थान पर रखा है।
पूरे घटनाक्रम में जिप अध्यक्ष मौजूद नहीं थे। करीब आधा घंटा तक जिला परिषद कार्यालय परिसर में तांडव मचता रहा। जिस समय घटना घटी उस समय उप विकास आयुक्त सभागार में थे। वे जब छत से उतर रहे थे उस समय नीचे बवाल हो रहा था। बवाल शांत होने के पहले डीडीसी निकल गए।
उप विकास आयुक्त सुनील कुमार ने कहा कि मंगलवार को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हुई। सदन में उपस्थिति सिर्फ 11 थी, जब कि कुल सदस्यों की संख्या 31 है। चर्चा के बाद मत विभाजन की नौबत नहीं आई। इसलिए अविश्वास प्रस्ताव गिर गया। अनंत कुमार अध्यक्ष बने रहेंगे।
डीडीसी ने कहा कि हंगामे की आवाज सुनकर उन्होंने एसडीओ को दंडाधिकारी और पुलिस पदाधिकारी भेजने के लिए फोन किया। डीएम ऑफिस को भी फोर्स भेजने को कहा गया था। डीडीसी ने कहा कि उन्हें जिला परिषद के कर्मियों ने अध्यक्ष के कक्ष में तोडफ़ोड़ की जानकारी नहीं दी है। वे प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी गोराडीह के बीडीओ प्रभात केसरी और पुलिस पदाधिकारी जोगसर टीओपी के एएसआइ प्रदीप कुमार के संयुक्त प्रतिवेदन का इंतजार कर रहे हैं। डीडीसी ने कहा कि घटना की प्राथमिकी गोराडीह के बीडीओ के द्वारा कराई जाएगी। बीडीओ ने कहा कि वे अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा रहे हैं।
मेरी हत्या की थी साजिश : अध्यक्ष
जिप अध्यक्ष अनंत कुमार उर्फ टुनटुन साह ने कहा कि मंगलवार को जिस तरह की घटना हुई है उससे यह लग रहा है कि मेरी हत्या की साजिश थी। अध्यक्ष ने सवाल किया है कि उनके कक्ष में तोडफ़ोड़ क्यों की गई, जब कि उस समय डीडीसी वहां थे। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र की हत्या है। सरकारी संपति को नुकसान पहुंचाना अपराध है। उन्होंने कहा कि अगर वे रहते तो उनके साथ मारपीट हो सकती थी। डीडीसी को इसका जवाब देना चाहिए कि इस तरह की घटना पर उनके द्वारा क्या कार्रवाई की गई।
सोमवार को जिला परिषद् के दस सदस्यों ने डीएम को ज्ञापन देकर अविश्वास प्रस्ताव पर बहस को लेकर बैठक की तिथि आगे बढ़ाने की मांग की थी। जिप सदस्य डॉ. अशोक कुमार आलोक, शिव कुमार, लीना सिन्हा, शबाना आजमी, प्रीति कुमारी, आशा देवी, प्रेमलता देवी, माला देवी, बीरबल कुमार और अरविंद मंडल ने डीएम को दिए ज्ञापन में कहा था कि 20 सदस्यों को अध्यक्ष अज्ञात स्थान पर लेकर चले गए हैं। इस कारण तिथि को आगे बढ़ा दिया जाए।
आरोप लगाया कि ऐसे सदस्यों को प्रलोभन देकर जिप अध्यक्ष अज्ञात स्थान पर लेते गए हैं। सदस्यों ने कहा है कि इस वजह से अविश्वास प्रस्ताव प्रभावित होगा। सदस्यों ने डीएम से मांग की है कि सभी पार्षदों को अपने सामने सशरीर उपस्थित होने का निर्देश दें या बैठक की तिथि को आगे बढ़ा दें। उधर, नियमानुसार एक बार बैठक की तिथि घोषित होने के बाद तिथि बदलने का प्रावधान नहीं है। डीएम ने इस मामले में डीडीसी सहित पंचायत विभाग से नियमों की जानकारी ली। डीएम ने निर्धारित तिथि 15 जनवरी को ही अविश्वास प्रस्ताव पर बहस करने को कहा।
अध्यक्ष के कक्ष में तोड़फोड की
प्रस्ताव गिर जाने से आक्रोशित जिप सदस्यों ने अध्यक्ष के कक्ष में तोड़फोड़ की। कमरे की कुर्सियां तोड़ इधर उधर फेंक दी। एसी और पंखा भी तोड़ दिया। वहीं, कमरे के बाहर लगा नेम प्लेट भी लाठी से मारकर गिरा दिया। अध्यक्ष के खिलाफ नारेबाजी हुई। हालांकि अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के लिए सुरक्षा के प्रबंध किए गए थे। दंडाधिकारी और पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति की गई थी। इसके बावजूद जिला परिषद अध्यक्ष का विरोध कर रहे सदस्यों ने जमकर हंगामा और तोड़फोड़ की। इस घटना की प्राथमिकी गोराडीह के प्रखंड विकास पदाधिकारी ने कराई।
अध्यक्ष को हटाने कोर्ट में दायर होगी याचिका
जिला परिषद में अविश्वास प्रस्ताव लाने में मुख्य भूमिका निभाने वाले सदस्य डॉ. अशोक कुमार आलोक ने कहा कि वे जिप अध्यक्ष को पद से हटाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। हाईकोर्ट में याचिका दायर की जाएगी।
अविश्वास प्रस्ताव गिरने के बाद पत्रकारों से कहा कि अध्यक्ष ने खरीद फरोख्त को बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष ने अधिनियम का माखौल उड़ाया है। उन्होंने अध्यक्ष सहित अनुपस्थित सदस्यों का काल डिटेल्स खंगालने की मांग की। कहा कि इसकी सूचना राज्य निर्वाचन आयोग और राज्यपाल को दी गई है। उन्होंने कोर्ट से अध्यक्ष को पदच्यूत करने की भी मांग की। तब तक उपाध्यक्ष सदन का नेतृत्व करेंगी। अरविंद मंडल ने भी कहा कि अध्यक्ष के नेतृत्व में होने वाली बैठक का बहिष्कार होगा। अध्यक्ष इस कुर्सी पर बैठने योग्य नहीं है। अध्यक्ष पर पार्षदों को डराने और धमकाने का भी आरोप लगाया। कहा कि तीन जनवरी को ही बैठक का पत्र जारी हुआ था। कहा गया कि पार्षदों को दुमका, तारापीठ, दीघा और चांदीपुर में रखा गया। कुछ पार्षदों के नेपाल ले जाने की भी सूचना है। कहा गया कि मंगलवार को होने वाली बैठक की सूचना सभी सदस्यों को दी गई थी। इसके बावजूद अध्यक्ष सहित 20 पार्षद गायब थे।
सदस्यों ने आवेदन देकर लगाए थे आरोप
-जिप की बैठक नियमित नहीं बुलाई जाती है।
-दो वर्षों में एक भी योजना का कार्यान्वयन नहीं हुआ
-करोड़ों का आवंटन खर्च नहीं हुआ
-जिप में सरकारी राशि के गबन का मामला प्रकाश में आया
-दो वर्षों में स्थाई समितियों का गठन नहीं हुआ
-विकास कार्य नहीं हुआ है।