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जाने कहां गए वो दिन.... अब बार बालाओं संग ठुमके नहीं लगा पाएंगे पार्षद

Direct elections for post of mayor and deputy mayor अब बार बालाओं संग ठुमके लगाने वाले पार्षदों को खुद करनी होगी जेब ढीली। मेयर और डिप्टी मेयर पद के सीधे चुनाव से छिन गया नेपाल दार्जलिंग गंगटोक मिरिक कलिंपोंग की सैर कराने के अवसर।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Wed, 21 Sep 2022 12:00 PM (IST)Updated: Fri, 23 Sep 2022 06:34 PM (IST)
Direct elections for post of mayor and deputy mayor : अब मेयर और डिप्टी मेयर की ही करनी होगी खुशामद।

कौशल किशोर मिश्र, भागलपुर। सुहाने दिन बीत जाने के गम में जाने कहां गए वो दिन... जैसे गीत गुनगुना कर उस सुहाने पल को याद कर दिल बहलाने वाले भले दिल बहला लेते लेकिन नगर निगम चुनाव में बीते चंद वर्षों में मौज-मस्ती करने वालों पर मानो ठनका ही गिरा दिया है। नगर निगम चुनाव में मेयर और डिप्टी मेयर का चयन वोटों के जरिये आम मतदाताओं से कराने के फैसले ने उन पार्षदों और उनके पतियों की मौज-मस्ती छीन ली जो मेयर और डिप्टी मेयर बनाने के दौर में नेपाल, दार्जलिंग, गंगटोक, मिरिक, कलिंपोंग पहुंचा करते थे। वहां की नाइट क्लबों में बार बालाओं के साथ ठुमके लगाया करते थे। उनके सैर-सपाटे, मौज-मस्ती में लाखों उड़ाने वाले तब उनकी तमाम फरमानों को अंदर ही अंदर दांत पीस कर ही सही माना करते थे। रसूखदार पद की लालसा में ऐसे पार्षदों, पार्षद पतियों और उनके खास-खुलास को लेकर एक-दो सप्ताह तक जिले से बाहर रहकर उनकी तमाम सुख-सुविधाओं का ख्याल रखा करते थे। उनकी मौज-मस्ती को लेकर बार बालाओं संग उनके ठुमके, वहां होने वाले बवाल आदि से जुड़े बीते तीन चुनाव में तब खूब वायरल हुए थे।

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काठमांडू में सिल्क सिटी से गए एक पार्षद पति ने तो ऐसा धमाल मचाया था कि वहां की एक नाइट क्लब प्रबंधन की शिकायत पर उन्हें हिरासत में भी ले लिया गया था। लेकिन उन्हें ले जाने वाली टीम के मुखिया का प्रबंधन ऐसा था कि चंद मिनटों में वह हिरासत से मुक्त करा लिए गए थे। उसके एवज में अच्छी खासी रकम भी देनी पड़ी थी। तब क्या मौज-मस्ती हुआ करती थी। उस दौरान उनकी मनपसंद के खाना-पीना, हवाई उड़ान, स्वीमिंग, पब, बार सब फ्री हुआ करती थी। अब वैसे मौज-मस्ती करने के लिए उन्हें खुद की जेब ढीली करनी होगी। अब उनके लिए मौज-मस्ती और सैर-सपाटे का इंतजाम कराने वाले नेता और उनकी टीम उनके पीछे नहीं रहेगी। ना ही उन्हें अब वैसा भाव ही मिलने वाला है।

मौज-मस्ती के उस दिन को याद कर एक पार्षद ने कहा कि अब चुनाव लड़ कर क्या करेंगे। अब तो किसी समिति में जाने के लिए सीधे चुने जाने वाले मेयर और डिप्टी मेयर का ही खुशामद करनी होगी। पार्षद बन जाने के बाद अब कोई उनकी वोट के लिए जोड़-तोड़, मोल-भाव भी नहीं करेगा। बहुत ही निराश होकर बोलने वाले उक्त पार्षद ने बताया कि तब तो ढाई साल बाद फिर बखेड़ा लगाकर जोड़-तोड़ और मोल-भाव का हिसाब हो जाता था। अब सब खत्म हो गया। हालांकि पार्षद चुनाव लड़ने के लिए उनके अपने उनपर खूब दबाव बना रखे हैं।


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