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अंगिका को आठवीं अनुसूची में शामिल करे सरकार, समर्थन में मानव श्रृंखला बनाने का लिया निर्णय Bhagalpur News

भागलपुर के अंगिका भाषा प्रेमी इसे 8वीं अनुसूची में शामिल करने के‍ लिए अब मानव श्रृंखला बनाएं। हाल में संपन्‍न अंगिका महोत्‍सव में भी इसकी गूंज रही।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Thu, 06 Feb 2020 10:18 AM (IST)Updated: Thu, 06 Feb 2020 10:18 AM (IST)
अंगिका को आठवीं अनुसूची में शामिल करे सरकार, समर्थन में मानव श्रृंखला बनाने का लिया निर्णय Bhagalpur News
अंगिका को आठवीं अनुसूची में शामिल करे सरकार, समर्थन में मानव श्रृंखला बनाने का लिया निर्णय Bhagalpur News

भागलपुर, जेएनएन। अंगिका भाषा बोलने वालों की संख्या बहुत अधिक है। इसलिए इस भाषा को भारतीय संविधान में आठवीं अनुसूची में शामिल करने की जरूरत है। ये बातें पत्रकारों से बातचीत करते हुए अंगिका महोत्सव के संरक्षक लखन लाल पाठक ने कही।

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उन्होंने कहा कि भागलपुर, बांका, मुंगेर, पूर्णिया, कटिहार, मधेपुरा, सहरसा, खगडिय़ा, गोड्डा, समेत कई इलाकों के लाखों लोगों की भाषा अंगिका है। अंग जनपद प्राचीन क्षेत्र रहा है। संपदा के दृष्टिकोण से भी देश में अपना स्थान रखता है। अंगिका में लोकगीत है। मैथिली, मगही को जब प्रतिष्ठा मिली है तो अंगिका को क्यों नहीं मिलनी चाहिए? हिंदी के प्रसिद्ध आलोचक अमरपुर के भीखनपुर निवासी डॉ. कामेश्वर शर्मा ने वर्ष 1965 में बिहार विश्वविद्यालय से इसी भाषा से पीएचडी किया था। भूगोल, सांस्कृतिक, धरोहर, संपदा आदि के आधार पर सरकार से अंगिका भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर 23 फरवरी को सैंडिस कंपाउंड में दोपहर 12 बजे से एक बजे तक मानव श्रृंखला बनाई जाएगी। इसके लिए जनप्रतिनिधियों, विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि व अंगवासियों से संपर्क किया जा रहा है।

डॉ. अमरेंद्र ने कहा कि चार मई को भागलपुर जिले का स्थापना दिवस है। इस दिन को अंग दिवस के रूप में मनाने की प्रशासन से मांग की जाएगी।

गौतम सुमन ने कहा कि दुनिया की प्राचीन भाषा अंगिका अंग महाजनपद की महारानी है। केवल भाषा ही नहीं बल्कि सभ्यता और संस्कृति का परिचायक भी है। उन्होंने दुनिया के इस प्राचीन भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की मांग लेकर 23 फरवरी को स्‍थानीय सैंडिस कंपाउंड में मानव श्रृंखला बनाई जाएगी।

डॉ. डीपी सिंह ने कहा कि अंगिका हमारी मातृभाषा है और मातृभाषा का सम्मान करना हमारा कर्तव्य बनता है। इस भाषा में जो शाब्दिक गूंज है वह किसी को भी प्रभावित कर सकता है। उन्होंने कहा कि उनके पास जो भी रोगी आते हैं उसमें 90 प्रतिशत लोग अंगिका में ही बात करते हैं। उन्होंने बताया कि अंगिका के पास वह सारी सामग्री मौजूद है जो राजभाषा होने और भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में आने की सारी प्रक्रिया को पूरा करती है, इसलिए सरकार को चाहिए कि अविलंब इस भाषा को अष्टम अनुसूची में सम्मिलित करें।

इस मौके पर अखिल भारतीय अंगिका साहित्य कला मंच के कार्यकारी अध्यक्ष गीतकार राजकुमार, पप्पू साह, कैलाश ठाकुर, त्रिलोकीनाथ दिवाकर, पप्पू साह, सुधीर कुमार सिंह प्रोग्रामर, अजीत सिंह, सच्चिदानंद किरण आदि उपस्थित थे।


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