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भागलपुर में मां के लिए बेटी ने नहीं सजाई अरमानों की 'डोली', बेटे भी नहीं निभा सकते ऐसे फर्ज!

आकाशवाणी भागलपुर की पूर्व कर्मी पुष्‍पा मिश्रा का निधन हो गया। उनकी बेटी स्‍मृति मिश्रा ने इसलिए शादी नहीं कि उनकी मां की सेवा कौन करती। स्‍मृति ने यह साबित कर दिया कि बेटे और बेटी में कोई फर्क नहीं है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Tue, 22 Jun 2021 04:04 PM (IST)Updated: Tue, 22 Jun 2021 04:04 PM (IST)
आकाशवाणी भागलपुर की पूर्व कर्मचारी पुष्‍पा मिश्रा का निधन। फाइल फोटो।

भागलपुर [संजय सिंह]। शहर का लालूचक मुहल्ला आज फिर एक बार स्तब्ध है। मोहल्ले के लोग अपने बीच रहने वाली बिटिया स्मृति मिश्रा के जज्बे की सरहना करते थक नहीं रहे हैं। इस बिटिया ने मां की सेवा के लिए अपना सबकुछ न्यौछावर कर दिया। यहां तक कि अपने को शादी के बंधन में बांधना भी मुनासिब नहीं समझा। आज उस मां की 12वीं का रश्म भी वह अपने हाथों अदा कर रही है।

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स्मृति के पिता सचिंद्र कुमार मिश्र सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में अधिकारी थे। इनका निधन 18 जनवरी 1987 को हो गया था। तब मां पुष्पा मिश्रा ने अपनी तीन बेटियों को बड़ी जतन से पाला। पति के निधन के बाद बच्चों की परवरिश के खातिर मां को आकाशवाणी भागलपुर के पुस्तकालय में नौकरी मिल गई। बड़ी पुत्री स्वीकृति मिश्रा पढ़ाई लिखाई पूरी करने के बाद उत्तरप्रदेश के चंदौली में एसोसिएट प्रोफेसर बन गए। सबसे छोटी बेटी दीप्ती मिश्रा मध्य प्रदेश स्थित ग्वालियर में मेंटल हॉस्पीटल में एसोसिएट प्रोफसर हैं। दोनों का दांपत्य जीवन सुखमय तरीके से बीच रहा है। बीच वाली पुत्री स्मृति मिश्रा ने महज इस कारण शादी नहीं की कि मां की सेवा भाव में कोई कमी ना रह जाए। स्मृति आज शहर में आर्ट ऑफ लिविंग की शिक्षिका में रूप में जानी जातीं हैं।

उन्होंने कुछ दिनों तक बतौर अतिथि शिक्षक शहर के प्रसिद्ध एसएम कॉलेज में शिक्षिक के तौर पर नौकरी भी की। दुर्भाग्यवश जिस मां पुष्पा मिश्रा के लिए स्मृति ने इतना बड़ा त्याग किया, उनका निधन 10 जून को उनके पैतृक आवास लालूचक में हो गया। गांव-समाज के लोगों के मना करने के बावजूद स्मृति अपनी मां की शवयात्रा में भी गईं। तमाम मान्यताओं को तोड़ते हुए अपनी मां को मुखाग्नि भी दी। स्मृति ने मां के श्राद्धकर्म में भाग लेने के लिए जो आमंत्रण पत्र छपवाया उसमें अपने ही नामों का इस्तेमाल किया। आज उनकी मां का 12वीं का कर्म है, जिसमें वे पंडितों के साथ मिलकर पूरे विधि विधान से श्राद्धकर्म कर रहीं हैं। स्वयं उन्होंने ही पिंडदान किया। स्मृति ने कहा कि आज बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं है। नारी सशक्तिकरण का युग है। लड़कियां किसी से काम नहीं है। हर काम कर सकती हैं बेटियां।

आकाशवाणी में दी श्रद्धांजलि, जताया शोक

पुष्‍पा मिश्रा के निधन पर आकाशवाणी भागलपुर के वरीय उद्धघोषक डॉ. विजय कुमार मिश्रा 'विरजू भाई', ब्रह्मदेव मंडल, कार्यक्रम अधिशासी डॉ प्रभात नारायण झा, ब्रजकिशोर रजक, ब्रजेश कुमार, पार्वती, सौरभ कुमार, मो सरसार अहमद, प्रकाश झा, जितेंद्र कुमार, एसके गुप्ता, गिरेंद्र प्रसाद साह, वीरेंद्र कुमार ठाकुर, नीतीश कुमार, मो रफी खान, पवन वर्मा, संजीब कुमार, गीतकार राजकुमार आदि ने शोक जताया है।

डॉ विजय कुमार मिश्र ने कहा कि पुष्पा दीदी सभी के लिए आदर्श थीं। उनका स्वभाव शांत, सरल और विनम्र था। कार्यालय के कार्य को पूरी इमानदारी के साथ करतीं थीं। सबों के साथ उनका प्रेमपूर्ण व्यवहार था। इसी के करण उन्हें सभी लोग पुष्‍पा दीदी कहकर बुलाते थे। पुष्पा मिश्रा आकाशवाणी भागलपुर में प्रवर श्रेणी लिपिक के पद पर थी और दिनांक 30 जून 2002 को सेवानिवृत हुई थीं।


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