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बिहार के इस रेलखंड में नक्सलियों की धमक, फिर भी मुस्तैद हैं रेलवे कर्मचारी और अधिकारी

90 किलोमीटर के दायरे में दर्जनों स्टेशन हैं और यहां कई बार नक्सलियों ने हमला भी किया है। बावजूद इसके रेलवे अधिकारी और कर्मचारी ड्यूटी दे रहे हैं। चिंता नौकरी की है तो चिंता जान की भी। ऐसे में नक्सली एक्टिविटी पर लगाम कब लगेगी ये बड़ा सवाल है।

By Shivam BajpaiEdited By: Published: Mon, 02 Aug 2021 04:32 PM (IST)Updated: Mon, 02 Aug 2021 04:32 PM (IST)
बिहार के इस रेलखंड में नक्सलियों की धमक, फिर भी मुस्तैद हैं रेलवे कर्मचारी और अधिकारी
जसीडीह से जमुई स्टेशन के बीच रेलखंड की दूरी 90 किमी।

आशीष सिंह चिंटू,जमुई। हावड़ा-दिल्ली मेन रूट पर जसीडीह से जमुई स्टेशन के बीच रेलखंड की दूरी तकरीबन 90 किलोमीटर है। इस बीच छोटे-बड़े 12 रेलवे स्टेशन हैं, जहां सैकड़ों अधिकारियों-कर्मचारियों की तैनाती है। नौकरी की मजबूरी है, हालांकि जान-माल की सुरक्षा की चिंता सबको व्याकुल किए रहती है। कारण यह कि इस 90 किलोमीटर के दायरे में नक्सलियों की गहरी पैठ है, जबकि महज तीन स्टेशनों पर ही सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। पहाड़ और जंगल के बीच गुजरते इस रेलखंड पर नक्सलियों ने एक दर्जन से अधिक बार कहर बरपाया है। साथ ही रेल परिचालन को बाधित कर दिया है। यह आंकड़ा 2005 के बाद से अब तक का है।

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इस रेलखंड पर नक्सली वारदात में अब तक 11 जवान व पदाधिकारी शहीद हो चुके हैं, जबकि नक्सलियों द्वारा 51 आग्नेयास्त्र लूटे जा चुके हैं। इसके अलावा छह-सात बार रेल ट्रैक व स्टेशन भवन को उड़ाया गया है। जब-तब रेल कर्मियों को बंधक भी बनाया गया है। हालांकि बीते शनिवार को चौरा स्टेशन पर घटित घटना और दो घंटे तक परिचालन बाधित होने को लेकर एसआरपी जमालपुर आमीर जावेद ने जांच टीम गठित कर दी है। किउल डीएसपी, इंस्पेक्टर व झाझा थानाध्यक्ष को जांच का जिम्मा दिया गया है।

तीन स्टेशन पर है तैनाती

झाझा, जमुई स्टेशन पर आरपीएफ व जीआरपी जबकि सिमुलतला में सिर्फ आरपीएफ की तैनाती है। इसमें झाझा को छोड़कर दोनों स्टेशन पर डंडा पाटी द्वारा ही काम चलाया जाता है। गिद्धौर स्टेशन पर भी आरपीएफ की तैनाती होने की बात बताई जाती है लेकिन यात्री सहित स्थानीय लोगों ने उन्हें कभी देखा नहीं है।

नरगंजो स्टेशन पर छह बार नक्सलियों ने बरपाया कहर

झाझा-जसीडीह रेलखंड में नरगंजों स्टेशन पर नक्सलियों ने छह बार कहर बरपाया है। रेल ट्रैक, केबिन तक को विस्फोटक से उड़ा दिया है। घोरपारन स्टेशन पर दिन में ही नक्सलियों ने डयूटी स्टेशन मास्टर, पोर्टर, अभियंता के समेत 16 मजदूरों को अगवा कर लिया था। 21 अप्रैल 2006 को नक्सलियों ने नरगंजो स्टेशन को विस्फोटक से उड़ा दिया। 8 अप्रैल 2007 को नरगंजो स्टेशन के समीप नक्सलियों के हमले में दो जवान शहीद हो गए। 5 हथियार लूट लिए गए।

इसी साल 20 अप्रैल को नरगंजो स्टेशन पर कब्जा कर तीन रेल कर्मियों को बंधक बना लिया और परिचालन बाधित कर दिया। वर्ष 2008 में झाझा स्टेशन पर नक्सलियों के हमले में पांच पुलिस कर्मी शहीद हो गए जबकि 44 हथियार लूट लिए गए। इसी साल नरगंजो के समीप रेल ट्रैक को उड़ा दिया गया। वर्ष 2009 में नरगंजो व घोरपारण के बीच डाउन लाइन तथा वर्ष 2010 में 6 फरवरी को नरगंजो व रजला के बीच डाउन एवं अप दोनों रेल लाइन को केन बम से उड़ा दिया गया। इसके दो दिन बाद यानि 8 फरवरी को नरगंजो स्टेशन के पैनल रूम में आग लगा दी। यात्री शेड को क्षतिग्रस्त करते हुए शक्तिशाली विस्फोट कर रेल लाइन को उड़ा दिया था। 2012 में नरगंजो स्टेशन मास्टर को अगवा किया गया था। इसके अलावा कटौना, चौरा स्टेशन को भी नक्सलियों ने निशाना बनाया है।

जमुई से जसीडीह के बीच अवस्थित स्टेशन के नाम

जमुई, चौरा, गिद्धौर, दादपुर, झाझा, रजला, नरगंजो, घोरपारन, सिमुलतला, टेलवा बााजार, लाहावन, तुलसीटांड, जसीडीह।

'सभी स्टेशनों पर दिन में सादी वर्दी में पुलिस की तैनाती रहती है। रात में लाइट इंजन से पेट्रोलिंग की जाती है।'-हीरा सिंह, सहायक कमांडेंट, आरपीएफ, झाझा।


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