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भारत-नेपाल को करोड़ों की राजस्व क्षति: मीरगंज पुल के क्षतिग्रस्त होने से व्यापार हुआ प्रभावित, अबतक नहीं मिला वैकल्पिक रास्ता

बिहार के अररिया जिले के इंडो नेपाल बार्डर के मीरगंज पुल के क्षतिग्रस्त हो जाने के बाद व्यापार में इसका खासा असर दिखाई दे रहा है। तीन दिनों में भारत को एक करोड़ रुपये का राजस्व का नुकसान हुआ। वहीं नेपाल का कहना है कि हर रोज करोड़ों का नुकसान...

By Shivam BajpaiEdited By: Published: Mon, 10 Jan 2022 04:03 PM (IST)Updated: Mon, 10 Jan 2022 04:03 PM (IST)
भारत-नेपाल को करोड़ों की राजस्व क्षति: मीरगंज पुल के क्षतिग्रस्त होने से व्यापार हुआ प्रभावित, अबतक नहीं मिला वैकल्पिक रास्ता
भारत-नेपाल को उठाना पड़ रहा नुकसान, हर रोज करोड़ों का घाटा।

अशोक झा, जोगबनी (अररिया): मीरगंज पुल के क्षतिग्रस्त होने के कारण भारत-नेपाल के बीच व्यापार प्रभावित हो रहा है। दोनों ओर के अधिकारी व्यवसायिक रिश्तों में आए गतिरोध को दूर करने को लेकर वैकल्पिक रास्ते के तलाश में लग गए हैं। तीन दिनों में भारत को लगभग एक करोड़ के राजस्व की क्षति होने का अनुमान लगाया जा रहा है। खासकर नेपाल को इससे भी अधिक के राजस्व की क्षति का अनुमान है। कस्टम अधिकारी की मानें तो रूट बदलने के बाद मालभाड़े में बढ़ोतरी हो जाएगी। इसका सीधा असर नेपाल पर पड़ेगा। भीमनगर से होकर विराटनगर भंसार आने में चालक को लगभग 100 किलोमीटर की दूरी अतिरिक्त तय करनी होगी। कस्टम के सहायक आयुक्त एके दास ने कहा कि पुल के क्षतिग्रस्त होने से दोनों देश के बीच कारोबार पर असर पड़ा है। वैकल्पिक व्यवस्था पर ध्यान दिया जा रहा है।

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इस संबंध में कारोबारी रामबाबू यादव का कहना है कि ट्रेडर्स की सुविधा को ध्यान में रखकर दो वैकल्पिक रूट जिसमें एक कुर्साकांटा होकर तथा दूसरा नव निर्माणाधीन पुल के पहुंच पथ को वाहनों के चलने योग्य बना कर किया जा सकता है। ताकि दोनों देश के बीच जारी व्यवसायिक गतिरोध समाप्त किया जा सके। वहीं, आईसीपी के वालमर लारी के प्रबंधक अक्षय कुमार ने बताया कि पुल के क्षतिग्रस्त होने से आईसीपी को भी राजस्व की क्षति हो रही है क्योंकि वाहनों के नहीं आने से आईसीपी के अन्दर पार्किंग शुल्क नहीं के बराबर आ रहा है।

जोगबनी नगर पंचायत के निवर्तमान मुख्य पार्षद प्रतिनिधि राजू राय ने कहा कि अगर समय पर एनएचआई द्वारा इस पुल के समानांतर बन रहे पुल को पूरा कर देता तो आज यह समस्या उत्पन्न नहीं होती। कस्टम क्लीयरेंस का कार्य करने वाले पवन यादव ने कहा दोनों देश के बीच व्यवसायिक रिश्ते में आई गतिरोध का सबसे बडा कारण एनएचआई द्वारा समय सीमा पर पुल तैयार नहीं होना है। वर्ष 2017 में आई भीषण बाढ से क्षतिग्रस्त हुए पुल का उसी समय यह बात सामने आ गई थी कि यह पुल कामचलाऊ है।

क्या कहते है कस्टम अधिकारी

इस संबंध में कस्टम के सहायक आयुक्त एके दास ने कहा कि पुल के क्षतिग्रस्त होने से दोनों देश के बीच कारोबार पर असर पड़ा है। इस मामले में सभी अधिकारी वैकल्पिक व्यवस्था की ओर ध्यान दिया जा रहा है जल्द ही रास्ता निकलेगा।

'नेपाल को पुल के क्षतिग्रस्त होने से 14.5 करोड का प्रतिदिन घाटा लग रहा है। जिस कारण वैकल्पिक व्यवस्था की तलाश करते हुए भीमनगर होकर ट्रेड को लाने की पहल तेज की जा रही हैं।'- रमेश बहादुर सहाय,अधिकारी

नेपाल भंसार अधिकृत


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