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संकट में गौशाला, पशुधन के भूखे रहने की आ सकती नौबत, जानिए वजह

खगड़िया जिला का गौशाला 192 पशुधन से भरा पड़ा हैा विगत वर्ष कोरोना के कारण प्रसिद्ध गौशाला मेला नहीं लगने से यहां की आर्थिक स्थिति चरमरा गई हैा बहरहाल फरवरी माह तक यहां चारे की व्यवस्था हैा इसके बाद की स्थित नाजूक हो सकती हैा

By Amrendra kumar TiwariEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 01:48 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 01:48 PM (IST)
संकट में गौशाला,  पशुधन के भूखे रहने की आ सकती नौबत, जानिए वजह
मात्र फरवरी तक का गौशाला के पास है पशुचारा

खगडिय़ा [निर्भय] । वर्ष 2020 में कोरोना के कारण प्रसिद्ध गौशाला मेला का आयोजन नहीं हुआ। इससे खगडिय़ा गौशाला की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। गौशाला की आर्थिकी का मूल आधार यह मेला है। 2019 में मेला से 32 लाख 50 हजार की आमदनी हुई थी। 2018 में 30 लाख के आसपास की आमदनी मेला से हुई। इस वर्ष गौशाला मेला के साथ लगने वाला काष्ठ मेला (यह महीनों चलता है) भी समय पर नहीं लग सका। देर से प्रशासनिक स्वीकृति मिलने के कारण लगभग एक दर्जन काष्ठ दुकानदार आए हैं। जिससे मात्र 50 हजार की आमदनी गौशाला को हुई है। वर्ष 2019 में 80 के आसपास काष्ठ दुकानदार आए थे।

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प्रशासिनक मदद नहीं मिली तो गायों के भोजन पर आफत

मेला नहीं लगने के कारण गौशाला के सामने पशुचारा का संकट कायम हो गया है। खगडिय़ा गौशाला संचालन समिति के सदस्य अनिरुद्ध जालान ने कहा कि मात्र फरवरी तक का भूषा है। अगर समय रहते प्रशासनिक मदद नहीं मिली, तो गायें भूखी रहेगी। प्रतिवर्ष गेहूं की कटाई के समय (मार्च-अप्रैल) गौशाला संचालन समिति की ओर से भूषा की खरीदारी की जाती है। उस समय सस्ती दर पर पर्याप्त गेहूं का भूषा मिल जाता है। मार्च-अप्रैल में सात-आठ रुपये किलो की दर से भूषा मिलता है, जो अभी 12.50 रुपये किलो है। ऐसे में समय पर आर्थिक मदद नहीं मिलने से गौशाला के पशुधन के सामने भूखे रहने की नौबत आ जाएगी। गौशाला के पास 192 पशुधन है। दुधारू 50 गायें हैं। प्रतिदिन 160 लीटर के आसपास दूध होता है।

क्या कहते हैं संचालन समिति के सदस्य

संचालन समिति के सदस्य अनिरूद्व जालान ने कहा कि गौशाला की आमदनी का मुख्य श्रोत प्रतिवर्ष छठ के बाद लगने वाला मेला है। जो कोरोना के कारण 2020 में नहीं लग सका। इससे आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। फरवरी तक का ही भूषा गौशाला के पास है। हमलोगों ने आमजन से भी सहायता की अपील की है।


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