TMBU : शिक्षकों की प्रोन्नति का मामला पहुंचा कोर्ट, जानिए किस कॉलेज का है यह मामला
मारवाड़ी कॉलेज के शिक्षकों की प्रोन्नति का मामला कोर्ट पहुंच गया है। पूर्व प्रभारी प्राचार्य ने प्रभारी की प्रोन्नति को नियम विरुद्ध बताकर हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
भागलपुर (जेएनएन)। मारवाड़ी कॉलेज के शिक्षकों की प्रोन्नति का मामला कोर्ट पहुंच गया है। पूर्व प्रभारी प्राचार्य डॉ. अखिलेश श्रीवास्तव ने प्रभारी डॉ. गुरुदेव पोद्दार की प्रोन्नति को नियम विरुद्ध बताकर हाईकोर्ट में चुनौती दी है। जिस पर कोर्ट ने तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय प्रशासन और डॉ. पोद्दार से पक्ष रखने को कहा है। इधर डॉ. पोद्दार ने अपनी प्रोन्नति को जायज ठहराते हुए डॉ. श्रीवास्तव की प्रोन्नति को गलत बताया है और कहा है कि वह उनकी प्रोन्नति को चुनौती देंगे।
मारवाड़ी कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य का पद विवादों में घिर गया है। पद को लेकर वर्तमान प्रभारी प्राचार्य डॉ. गुरुदेव पोद्दार और पूर्व प्रभारी प्राचार्य डॉ. अखिलेश श्रीवास्तव आमने-सामने हैं। दरअसल सरकार के आदेश पर नियमित प्राचार्य डॉ. निशा राय के अचानक रिटायर होने के बाद से ही कॉलेज में प्रभारी प्राचार्य के पद को लेकर विवाद चल रहा है। नियमित प्राचार्य के नहीं रहने पर कॉलेज के वरीयतम शिक्षक को ही प्रभारी प्राचार्य बनाया जाता है और वरीयता उनके पद, साथ ही संबंधित पद पर प्रोन्नति मिलने की तिथि से तय होती है। ऐसे में डॉ. श्रीवास्तव और डॉ. पोद्दार एक-दूसरे की प्रोन्नति पर उंगली उठा रहे हैं।
प्रोन्नति की तिथि में अंतर बता विवि प्रशासन ने डॉ. श्रीवास्तव की जगह डॉ. पोद्दार को प्रभारी प्राचार्य बनाया है। इसको डॉ. श्रीवास्तव ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। डॉ. श्रीवास्तव के वकील पुरुषोत्तम झा ने बताया कि इस मामले में हाईकोर्ट ने तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय प्रशासन और डॉ. गुरुदेव पोद्दार को पक्ष रखने को कहा है। नियमत: किसी मामले में फैसला सुनाने से पहले कोर्ट मामले से जुड़ी हर इकाई को पक्ष रखने का मौका देता है। इसी प्रक्रिया के तहत कोर्ट ने नोटिस जारी किया है।
उन्होंने बताया कि डॉ. पोद्दार को मेरिट प्रोमोशन स्कीम के तहत मिली प्रोन्नति गलत है, क्योंकि जब उन्हें प्रोन्नति मिली थी तब उन्होंने पीएचडी नहीं किया था। किसी अभ्यर्थी की नियुक्ति वैसे पद पर कैसे हो सकती है जिसके लिए जरूरी अर्हता उसके पास नहीं है। यही मामला इस केस में भी है। इधर, प्रभारी प्राचार्य का कहना है कि उनकी प्रोन्नति 22 दिसंबर 1986 की नियमावली के आधार पर हुई है।
प्रोन्नति के लिए पीएचडी या फिर रिसर्च वर्क आवश्यक था। जहां से वे रिसर्च वर्क कर रहे वहां चार साल रहना आवश्यक है। रिसर्च वर्क के आधार पर उनकी प्रोन्नति हुई है। जबकि अखिलेश श्रीवास्तव समस्तीपुर से 14 अगस्त 1987 को मारवाड़ी कॉलेज आए हैं। उन्हें 14 अगस्त 1990 के डेट से प्रोन्नति मिली है, जो गलत है। उनका चार साल मारवाड़ी कॉलेज में पूरा नहीं हुआ और उनको प्रोन्नति मिल गई।