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Bihar: .. और दफना दिया मां-बाप का शव, पड़ोसी ने भोजन तक नहीं दिया मृतक के तीनों संतानों को

बिहार के अररिया में कोरोना संक्रमित दंपती का निधन चार-पांच दिन के अंतराल में हो गया। हिंदू होने के बावजूद मजबूर बेटी ने दोनों के शव को अपने जमीन में दफना दिया। वे शव को जला नहीं पाए। मृतक के तीनों संतान जिल्‍लत भरी जिंदगी जी रहे हैं।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Sun, 09 May 2021 01:15 PM (IST)Updated: Sun, 09 May 2021 01:15 PM (IST)
Bihar: .. और दफना दिया मां-बाप का शव, पड़ोसी ने भोजन तक नहीं दिया मृतक के तीनों संतानों को
हिंदू होकर भी शव को नहीं जला सके।

अररिया [तपेश कुमार यादव]। रानीगंज प्रखंड के विशनपुर पंचायत के मधुलता गांव में कोरोना ने जहां तीन बच्चों के माथे से मां बाप का साया उठा लिया। वहीं आसपड़ोस के लोग झांकने भी नहीं आ रहे हैं। अब बच्चे भूख से बिलबिला रहे हैं। ये कोई बनवटी कहानी नहीं है। मधुलता गांव की सोनी, चांदनी व नीतीश की है। सोमवार को पिता वीरेंद्र मेहता की मौत कोरोना से हो गई। इसके बाद मां की मौत भी कोरोना के कारण शुक्रवार को हो गई। इस विपदा की घड़ी में कोई इस परिवार को देखने वाला नहीं है। पहले सोमवार को पिता की मौत होने पर गांव में ही घर के पास बाड़ी में दफनाया। फिर मां की मौत के बाद मां के शव को उसी जगह दफना दिया। लेकिन मां-पिता की मौत के बाद कोरोना के डर से कोई मदद के लिए भी आगे नहीं आए।

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पिता व मां के श्राद्ध का भी नहीं है पैसा

पिता व मां की मौत के बाद सोनी सहित तीनों भाई बहन के पास अब कुछ भी नहीं बचा है। अगर कुछ है फूस का घर ही है। जो जमीन व मवेशी था वह सभी पिता के इलाज में बिक गया। मां के मौत के बाद तो माने अब सबकुछ तबाह हो गया है। सोनी दैनिक जागरण से बातचीत करते करते रो पड़ी। सोनी का कहना था कि उनके चार चाचा है सभी पास में ही अलग रहते हैं। लेकिन कोरोना का जो खौफ है उसके कारण कोई भी पूछने तक नहीं आया है।

दाने दाने को मोहताज है तीनों भाई-बहन : महज कुछ दिन पूर्व तक घर बकरी और गाय भी थी। लेकिन अब कुछ भी नहीं है। घर में खाने के भी लाले पड़ गए हैं। आम तौर पर किसी के घर में मौत होने पर पड़ोसी तक खाना देने नहीं पहुंचे। इस कोरोना ने मानवता को भी शर्मसार करवा दिया है। कोरोना के कारण कोई पड़ोसी धर्म भी नहीं निभा रहे।

कोई रिश्तेदार नहीं आया देखने

पिता बीरेंद्र महतो व मां प्रियंका देवी की मौत के बाद कोई रिश्तेदार भी झांकने नहीं आया है। दस साल का नीतीश पिता व मां को आग देने के बाद एकदम से बेसुध हो गया है। कुछ पूछने पर रो पड़ता था। वो कहता है कुछ भी जरूरत होने पर मां व बाबूजी के पास रूठ जाते थे। उसकी हर मांग पूरी होती थी। लेकिन अब किसके पास रूठेंगे। बच्चों की दादी का रो रोकर बुरा है हाल अपने पुत्र व पुत्रवधू को खोने वाली चनिया देवी का रो रोकर बुरा हाल है। वे हालांकि दूसरे पुत्र के साथ रहती है। लेकिन पुत्र व पुत्रवधु की मौत से उनके आंसू भी नहीं थम रही है। बू्ढ़ी दादी का कहना है कि वे तो खुद बूढ़ी है उनकों पोता पोती के परवरिश की चिंता सता रही है।

विशनपुर के मुखिया सरोज कुमार महतो ने कहा कि वे यथायीघ्र घर में बच्चों को अनाज उपलब्ध करा देंगे। वे अभी कोरोना संक्रमित हैं। इसलिए अपने से नहीं जा सकते हैं। लेकिन वे हर हाल में बच्चों को मदद करेंगे। किसी हालत में बच्चों के भूखे नहीं रहना होगा।

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