आयुर्वेद को अपनाकर कोरोना संक्रमण से सुरक्षित बांका का एक गांव, यहां जड़ी-बूटियों का सेवन कर स्वस्थ रहते लोग
Corona Free village of Bihar बिहार के बांका में आदिवासियों का एग गांव है- पिरौटा। यहां के लोग जड़ी-बूटियों का प्रयोग करते हैं। एलोपैथिक दवाओं से दूर इस गांव में अभी तक कोरोना से संक्रमित एक भी व्यक्ति नहीं मिला है।
बांका, दिलीप कुमार सिंह। Corona Free village of Bihar बिहार के बांका जिला स्थित आदिवासी बहुल गांव पिरौटा (Pirauta Village) के बाशिंदे पीढि़यों से छोटी-बड़ी बीमारियों में जड़ी-बूटियों का प्रयोग कर रहे हैं। यहां लोग एलोपैथिक दवा का प्रयोग नहीं करते हैं। हम जिन्हें मामूली घास-पात समझते हैं, यहां के ग्रामीण उनके चिकित्सकीय गुण बताकर लोगों को दंग कर देते हैं। इस गांव में अभी तक एक भी व्यक्ति कोरोना से संक्रमित नहीं (Corona Free Village) हुआ है। ग्रामीणों का मानना है कि संयमित जीवनशैली और प्रभावकारी जड़ी-बूटियों के सेवन के कारण ऐसा हुआ है। गांव की आबादी 14 सौ के करीब है।
पुरखों की जीवन संस्कृति का पालन करते हैं लोग
पिरौटा निवासी व सादपुर पंचायत के उप मुखिया बाबूबाबू लाल मुर्मू ने बताया कि वे लोग पुरखों द्वारा अपनाई गई दैनिक जीवन संस्कृति का पालन कर रहे हैं। अपनी परंपराओं से दूर नहीं गए हैं। 74 वर्षीया राधा देवी ने बताया कि बुखार आने पर दूर्वा यानी दूब और अरवा चावल पीसकर लोग ललाट पर लगाते हैं। कटने-छंटने पर हरजोड़ा की लत को पीस कर लगाते हैं। पेट दर्द में इशरोड़ के पौधों की जड़ को पीस कर पिलाते हैं।
यहां के लोगों को है कई जड़ी-बूटियों का ज्ञान
ऐसी कई औषधियों का इन्हें ज्ञान है। बार-बार प्यास लगने पर सितावर खाना, पेट साफ रखने के लिए पाताल कोड़ा एवं दस्त में चीनीगाछ से ये इलाज करते हैं। इसके अतिरिक्त घर के सभी सदस्य जंगल से चिरौता व गुरीच (गिलोय) का भरपूर सेवन करते हैं। चीनी के बदले गुड़ का उपयोग करते हैं।
घर में नहीं आने देते हानिकारक सूक्ष्म जीव
गांव के सोनेलाल हेंब्रम, तालो टुडू, सुनील मुर्मू व उपेंद्र टुडू ने बताया कि घर में हानिकारक सूक्ष्म जीवों के प्रवेश को रोकने के लिए एक खास उपाय ये अपनाते हैं। ये धान के भूसे की राख मिट्टी में मिलाकर घर की भीतरी व बाहरी दीवार को लीपते हैं।
कोरोना को लेकर सजग हैं यहां के ग्रामीण
वार्ड सदस्य बताते हैं कि गांव को कोरोना मुक्त रखने में आम ग्रामीणों की व्यक्तिगत सजगता काफी महत्वपूर्ण है। बाहर से जब प्रवासी गांव आते हैं तो उन्हें गांव के किनारे बने विद्यालय भवन में कुछ दिन रखा जाता है।
गांव में अभी तक नहीं मिला एक भी संक्रमित
स्थानीय प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. संजीव कुमार सिंह बताते हैं कि पिरौटा में एक भी कोरोना संक्रमित नहीं मिला है। हां गांव-गांव में कैंप कर वैक्सीन दी जा रही है। वैक्सीन कोरोना से बचाव का उपाय है।