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Corona effect: घर लौटे प्रवासियों की मुसीबत नहीं हो रही कम, इलाज के लिए बेचना पड़ा जेवर

Corona Effect पूर्व बिहार कोसी और सीमांचल क्षेत्रों में आए प्रवासियों को काफी परेशानी हो रही है। उन्‍हें रोजगार नहीं मिल रहा। बीमार होने पर जेवर बेचना पड़ता है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sun, 07 Jun 2020 09:53 AM (IST)Updated: Sun, 07 Jun 2020 09:53 AM (IST)
Corona effect: घर लौटे प्रवासियों की मुसीबत नहीं हो रही कम, इलाज के लिए बेचना पड़ा जेवर

भागलपुर [नवनीत मिश्र]। घर लौटे प्रवासियों की मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही है। महिलाओं को काम के लिए इधर-उधर भटकना पड़ है। पति को काम मिला है तो आधी मजदूरी दी जा रही है। गर्भवती महिला को इलाज के लिए अपना जेवर बेचना पड़ा है। 

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कहलगांव प्रखंड के सदानंदपुर वैसा पंचायत के दो दर्जन परिवार झारखंड के बड़हरवा में ईंट भट्ठा पर काम करते थे। पति-पत्नी और बच्चे सभी ईंट भट्ठे पर ईंट बनाने का काम करते थे। मालिक एक हजार ईंट बनाने के एवज में ४८० रुपये देते थे। सभी के रहने-खाने की व्यवस्था कंपनी की ओर से की गई थी। लॉकडाउन के बाद ईंट भट्ठा को बंद कर दिया गया। कुछ दिनों तक भट्ठा मालिक ने रखा। इसके बाद इनको खुद ही भोजन की व्यवस्था करने के लिए कह दिया गया। २० दिन पहले जगह खाली करने के लिए कह दिया गया। वहां से ५० की संख्या में प्रवासी महिला, पुरुष और बच्चे पैदल की घर की ओर निकल पड़े। वहां से घर लौटने पर भदेश्वर पहाड़ क्वारंटाइन सेंटर में इन्हें रख दिया गया। दस दिन भी पूरा नहीं हुआ कि क्वारंटाइन सेंटर खाली करने के लिए कहा दिया। घर पहुंचने पर जो जमा-पूंजी थी, वह खाने-पीने और इलाज में खत्म हो गई। गुलशन की पत्नी मालती देवी, जो गर्भवती है ने बताया कि घर लौटने पर बीमार रहने लगे। पति को काम नहीं मिलने के कारण अपने इलाज और भोजन के लिए मुझे जेवर बेचना पड़ा। एक छोटा बेटा है। पल्टू की पत्नी कारी देवी ने बताया कि घर लौटने पर सोचा कि काम मिल जाएगा। काम मांगने घर पर जाने से कह दिया जाता है कि बाहर से आए हो, अभी काम नहीं कराएंगे। ऐसी ही बात गब्बर की पत्नी पिंकी देवी, कृष्ण ऋषि की पत्नी ननकी देवी, कन्हाय की पत्नी सीता देवी व अजय ऋषि की पत्नी शांति देवी भी कहती हैं। इन महिलाओं का कहना है कि कोई भी घर वाला काम देने के लिए तैयार नहीं है। पति को किसी दिन काम मिलता है तो किसी दिन काम नहीं मिलता है। गुलशन ने बताया कि पत्नी गर्भवती है। एक छोटा बच्चा है। काम नहीं मिलने की वजह से भरपेट भोजन भी नहीं मिल पाप रहा है। पत्नी का इलाज उसकी शादी में मिले जेवर को बेचकर कराया है। गुलशन व गब्बर ने बताया कि कभी मिर्च के खेत में कोडऩी का काम मिल जाता है। मजदूरी के नाम पर दो से ढाई सौ रुपये मिलते हैं। इससे परिवार का गुजर-बसर नहीं हो पा रहा है।


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