Corona effect : इन अस्पतालों में गर्भवती के लिए लॉकडाउन नहीं, ऐसे कराएं इलाज
गर्भवती को सात से नौ महीने के बीच में टीके लगाए जाते हैं। इधर जब से लॉकडाउन हुआ है इन्हें टीके नहीं लगाए गए हैं। हालांकि कुछ स्वास्थ्य केंद्रों में गर्भवती को टीके लग रहे हैं।
भागलपुर, जेएनएन। लॉकडाउन में भले ही सरकारी अस्पतालों में आउटडोर सेवा बंद है। लेकिन, इमरजेंसी सेवा की तरह गर्भवती महिलाओं का भी इलाज हो रहा है। मेडिकल अस्पताल, सदर अस्पताल से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्य विभाग ने पुख्ता व्यवस्था कर रखी है। प्रखंड के स्वास्थ्य केंद्रों में महिलाओं के प्रसव के लिए आशा, नर्स और चिकित्सक भी हैं। जरूरत पडऩे पर सर्जन भी पहुंच रहे हैं। प्रसव के बाद नियमित रूप से महिलाओं टीके भी दी जा रही है। दरअसल, लॉकडाउन के कारण अस्पतालों में इमरजेंसी सेवा के लिए रोस्टर के हिसाब से चिकित्सकों की ड्यूटी लगाई है।
प्रसव से पहले नहीं लग रहे टीके
गर्भवती महिलाओं को सात से नौ महीने के बीच में टीके लगाए जाते हैं। इधर, जब से लॉकडाउन हुआ है, इन्हें टीके नहीं लगाए गए हैं। हालांकि सदर अस्पताल, मेडिकल अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पहुंचने वाली ऐसी महिलाओं को टीके लग रहे हैं। आशा कार्यकर्ता घर-घर नहीं जा रही है। जिले में हर दिन औसतन 12 से 16 प्रसव हो रहे हैं। जेएलएनएमसीएच के गायनी विभाग में सभी महिला चिकित्सक पहुंच रही है। यहां गर्भवती को इलाज के बाद सुरक्षित प्रसव कराए जा रहे हैं।
इमरजेंसी सेवाएं चालू हैं। सभी सरकारी अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों में प्रसव हो रहे हैं। प्रसव के बाद टीके भी लगाए जा रहे हैं। लॉकडाउन से पहले गर्भवती महिलाओं को टीके लगाए गए थे। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मेडिकल टीम तैनात हैं। -डॉ. विजय कुमार सिंह, सिविल सर्जन।