corona effect : क्योंकि, मां हमेशा सही होती है, बोलीं-अस्पताल जाकर जांच कराओ... फिर घर आना
corona effect ललन मुंबई से किसी तरह ट्रेन बस व काफी दूर तक पैदल चलकर थका-मांदा घर की देहरी पर पहुंचा। उसने अंदर जाने की कोशिश की लेकिन मां ने दरवाजे बंद कर लिए।
मुंगेर, केएम राज। एक बच्चे की तड़प मां ही समझ सकती है। उसकी छोटी से छोटी तकलीफ, उसकी भावनाएं। एक मां ही बचपन से लेकर जवानी तक कोमल-कठोर फैसले लेकर बच्चे को सुरक्षित रखती है। यदि मां बच्चे को खुद से दूर करे, तो समझ जाना चाहिए कि उसकी बहुत बड़ी मजबूरी है। जमालपुर के छोटी केशोपुर में कुछ ऐसा ही देखने को मिला। यहां मां ने मुंबई से काफी तकलीफें सह घर पहुंचे बेटे को घर में नहीं घुसने दिया। उसे समझाया कि उसकी और सबकी सुरक्षा के लिए यह जरूरी है।
छोटी केशोपुर निवासी स्व. जगदीश शाह का बेटा ललन कुमार मुंबई से किसी तरह ट्रेन, बस व काफी दूर तक पैदल चलकर थका-मांदा घर की देहरी पर पहुंचा। उसने अंदर जाने की कोशिश की, लेकिन मां चंदा देवी ने दरवाजे बंद कर लिए। बेटा परेशान होने की दुहाई देता रहा, लेकिन मां की ममता ने सबकी सुरक्षा को प्राथमिकता दी। बेटे के काफी गिड़गिड़ाने पर भी उसने दरवाजा नहीं खोला। बेटे से कहा कि पहले अस्पताल से जांच करवाकर आओ, इसके बाद घर में प्रवेश मिलेगा। इस दौरान बेटा बार-बार यह समझाता रहा कि उसे कोरोना नहीं हुआ है। इसकी जानकारी पूर्व पार्षद सनम पासवान को मिली तो वह स्वास्थ्य कर्मियों के साथ पहुंची और ललन की जांच करवाई। इसके बाद बीडीओ को सूचना देकर उसे क्वारंटाइन सेंटर भेज दिया।
ललन ने बताया कि वह मुंबई से कई ट्रेन बदलकर लखीसराय पहुंचा। कभी मालगाड़ी पर बैठा तो कभी टे्रन के इंजन पर। लखीसराय से उसे बस से मुंगेर भेज दिया गया। बस चालक ने क्वारंटाइन सेंटर के बदले उसे रास्ते में ही उतार दिया। वहां से ललन पैदल ही घर पहुंचा। चंदा देवी ने बताया कि इस संकट के समय थोड़ी सी लापरवाही बड़ी परेशानी खड़ी कर सकती है। बेटा क्वारंटाइन अवधि पूरी कर आएगा, तो उसे बड़े प्यार से रखूंगी। बेटे और परिवार की सुरक्षा के लिए कलेजे पर पत्थर रखकर उसे घर आने से रोकना पड़ा। सनम ने बीडीओ को भी इसकी सूचना दी।