Corona effect : अनलॉक बाजार में फूलों की खुशबू गायब, अब सरकार से मांग रहे अनुदान
corona effect कोरोना काल में फूल के कारोबारियों को काफी परेशानी हुई। बाहर से फूल नहीं लाये जा रहे हैं। समारोह भी नहीं हो रहे जिस कारण फूल की बिक्री हो।
भागलपुर [रजनीश]। लॉकडाउन की वजह से फूल कारोबारियों की बगिया उजड़ गई है। तीन महीने से शहर में फूल का व्यापार पूरी तरह बंद है। जाफरानी, वेली, गुलाब और रजनीगंधा की खुशबू संग भागलपुर का फूल बाजार सजता था। लेकिन, लॉकडाउन के कारण बाजार बेजार हो गया। अनलॉक-एक में सुंगधित फूलों की खुशबू गायब हो गई है। ट्रेन और वाहन नहीं चलने से बाहर से फूल नहीं आ रहे हैं। कुछ कारोबारी फूल मंगवा भी रहे हैं, तो उन्हें कोई पूछने वाला नहीं है। लगन और किसी तरह का उत्सव और समारोह नहीं होने का असर भी फूल बाजार पर पड़ा है। इस कारोबार से जुड़े कारोबारियों के चेहरे भी मुरझा गए हैं।
20 मार्च को भागलपुर आई थी आखिरी खेप
फूल कारोबारियों ने बताया कि पश्चिम बंगाल से रजनीगंधा, गुलाब, वेली सहित अन्य फूलों की आपूर्ति होती है। ज्यादातर फूल हावड़ा से आने वाली ट्रेन से भागलपुर पहुंचती थी। दो दिन बीच कर भागलपुर में फूल पहुंचते थे। 20 मार्च को फूलों की आखिरी खेप ट्रेन से पहुंची। 23 मार्च से ट्रेन परिचालन बंद होने के बाद आपूर्ति भी नहीं हो रही है।
फूल की आपूर्ति पश्चिम बंगाल से होती थी। अभी बंद है। कम संख्या में फूल मंगाए जा रहे हैं। मार्च से पहले जो फूल 60 रुपये लड़ी बिकते थे। उन फूलों को अभी 15 रुपये भी नहीं कोई पूछ रहा है। घर की माली हालत खराब है। सरकार को फूल कारोबारियों के लिए कुछ अनुदान या राहत देना चाहिए। -नंदकिशोर प्रसाद, फूल विक्रेता।
-डेढ़ दर्जन के करीब लोग फुल के कारोबार करते हैं। लगन नहीं होने से कमोबेश सात से आठ हजार का कारोबार हर दिन होता है। लगन या समारोह रहने पर कारोबार डबल हो जाती है। लेकिन, इस दौर में फूलों की बिक्री प्रभावित है। इसकी भरपाई करना मुश्किल है। सरकार को फूल कारोबारियों को लेकर चिंतित नहीं है। कुछ अलग से अनुदान राशि की व्यवस्था होना चाहिए। -रोशन मालाकार, फूल विक्रेता।
मुख्य बातें
-20 से 25 लाख के बीच मार्च से पहले फूल का होता था कारोबार
-45 से 50 लाख का कारोबार लगन के मौसम में होता था
-04 तरह के फूल पश्चिम बंगाल से ट्रेन से मंगाए जाते हैं।
-16 से ज्यादा थोक व्यापारी हैं फूल के कारोबार से जुड़े
-25 से 30 हजार के बीच हर एक व्यापारी करते हैं कारोबार
-150 से तीन हजार रुपये तक के बुके मिलते हैं शहर में
-04 से पांच लाख बुके की खरीदारी हर महीने होती थी
-दो से तीन सौ के बीच बुके हर दिन बिकते थे, अभी सब बंद है
-03 महीने से पूरी तरह व्यवसाय है ठप, दुकान का किराया जुटाना मुश्किल