Corona effect : भागलपुरी शहद के निर्यात पर संकट, लीची के मंजर से होता है तैयार, खासियत अनेक
लीची के मंजर से तैयार होने वाले इस शहद की खासियत है कि यह जमता नहीं है। इसकी खुशबू और स्वाद सामान्य शहद से अलग होती है। यही वजह है कि यूरोप के देशों में इसे पसंद किया जाता है।
भागलपुर [नवनीत मिश्र]। लॉकडाउन के कारण इस बार भागलपुरी शहद के निर्यात पर संकट मंडरा रहा है। हर साल की तरह इस बार भी नवगछिया इलाके में डेढ़ हजार टन के करीब सुगंधित और स्वादिष्ट शहद तैयार है, लेकिन इसके खरीदार ही नहीं आ रहे हैं। अब मधुमक्खी पालकों को लॉकडाउन समाप्त होने का इंतजार है।
भागलपुर जिले से हर साल डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक का शहद यूरोप के देशों में भेजा जाता है। इसे पंजाब की कंपनी केजरीवाल बीकेयर प्राइवेट इंडिया लिमिटेड के एजेंट टुनटुन चौधरी और विनय कुमार खरीदने आते हैं। 120 से 180 रुपये प्रति किलो की दर से सौ टन से अधिक का कारोबार होता है। कंपनी इसकी प्रोसेसिंग और डिब्ब बंद कर ढाई सौ से तीन सौ रुपये प्रति किलो की दर से बेचते हैं।
लीची के मंजर से तैयार होने वाले इस शहद की खासियत है कि यह जमता नहीं है। इसकी खुशबू और स्वाद सामान्य शहद से अलग होती है। यही वजह है कि यूरोप के देशों में इसे पसंद किया जाता है।
उजियारपुर के मधुमक्खी पालक श्याम कुमार ने बताया कि समस्तीपुर के किसान राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय से अनुदान लेकर वह और अन्य लोग मधुमक्खी पालन करते हैं। लीची में मंजर आने से पहले ही बगीचे में बक्सा लगा देते हैं। इस बार श्याम कुमार, संजय चौधरी, सुमित कुमार, जितेंद्र सन्घई, सोनू मिश्रा आदि मधुमक्खी पालकों ने मिलकर 12 हजार से अधिक बक्से खरीक, बिहपुर, पकरा और नवगछिया स्थित बगीचों में लगाए थे। डेढ़ टन के करीब शहद तैयार हुआ है। बक्से में इटालियन मधुमक्खी थी। इसकी देखरेख से लेकर शहद तैयार होने तक पांच हजार लोग लगे रहे। बिक्री नहीं होने की वजह से मेहनताना भी नहीं मिल सका है।
- लीची की खुशबू और स्वाद इस शहद की है विशेषता
- लॉकडाउन के कारण पंजाब की कंपनी नहीं आ सकी भागलपुर
- लीची में मंजर आने के पहले बगीचे में शुरू हो जाता था मधुमक्खी पालन
- 12 हजार बक्सों में तैयार किया जाता है शहद
- 1.5 करोड़ रुपये का है कारोबार, पंजाब से आते हैं व्यापारी
- 1.5 टन शहद नवगछिया इलाके के बगीचों में तैयार हुआ है इस बार