corona effect : 550 KM का सफर, ठेले पर घायल पिता और दिव्यांग मां, जानें... आज के श्रवण कुमार की कहानी
corona effect श्रवण कुमार को तो आप जानते ही होंगे लेकिन आज भी ऐसे कुछ श्रवण कुमार हैं जिन्होंने अपने माता-पिता की लॉकडाउन में कुछ इस प्रकार सेवा की।
अररिया [ज्योतिष झा]। 550 किलोमीटर का सफर, ठेले पर घायल पिता और एक आंख से दिव्यांग मां। 11 वर्षीय बालक तबारक अपने पिता और मां को वाराणसी से अररिया जिले के जोकीहाट ले आया। रास्ते में जिसने भी यह देखा, तबारक की हौसला-आफजाई की। कइयों ने वीडियो बनाई और उसे आज के श्रवण कुमार का नाम दे दिया। सफर आसान नहीं था। नौ दिन का सफर, पेट्रोल पंप पर रातें गुजारी।
बीमार पिता और दिव्यांग मां का बना सहारा
मु. तबारक ने बताया कि उनके पिता मु. इसराफिल बनारस में ठेला चलाने के साथ मजदूरी भी करते थे। मजदूरी के दौरान पैर पर पत्थर गिरने से वह चोटिल होकर काम करने से असमर्थ हो गए थे। बीमार पति को देखने के लिए तबारक की मां बेचैन थीं। इस कारण लॉकडाउन के पूर्व ट्रेन से मां को लेकर तबारक बनारस चला गया। इसके लगभग एक सप्ताह बाद लॉकडाउन शुरू हो गया। पहले से ही संकट में घिरा तबारक का परिवार इस कारण एक-एक दाने को वहां मोहताज हो गया। एक दिन तबारक ने मां-पिता को ठेले पर बिठाया और घर की ओर चल पड़ा। रातें रास्ते में मिलने वाले पेट्रोल पंप पर गुजरती थीं।
किसी दिन भोजन किया तो किसी दिन वह भी नहीं
इस दौरान किसी रात खाना बनता तो किसी रात कोई खाना दे जाता। नौ दिनों के सफर के बाद तबारक जोकीहाट पहुंचा। उसे परिवार समेत उदा हाई स्कूल में क्वारंटाइन कर दिया गया।
तबारक को अंगवस्त्र देकर किया सम्मानित
जोकीहाट के विधायक शाहनवाज आलम ने तबारक को पांच हजार रुपये और अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया। गांव के समाजसेवी शाहबाज आलम ने बताया कि तबारक का हौसला वाकई चकित कर देने वाला है। तबारक कक्षा दो का छात्र है। पढ़ाई में उसकी रुचि है, लेकिन गरीबी मार्ग में बाधक बनकर खड़ी है। ग्रामीणों की इच्छा है कि बिहार सरकार तबारक की पढ़ाई का खर्च उठाए। तबारक की इस प्रकार की साहस और भक्ति भरी कहानी की चर्चा हर ओर हो रही है।