गरीबी उन्मूलन का जरिया है सहकारिता
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर ग्रामीण अर्थशास्त्र एवं सहकारी प्रबंधन विभाग की ओर से भारत के सामाजिक आर्थिक सशक्तिकरण का एक यंत्र विषय पर दिनकर भवन में व्यख्यानमाला का आयोजन किया गया।
भागलपुर। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर ग्रामीण अर्थशास्त्र एवं सहकारी प्रबंधन विभाग की ओर से 'भारत के सामाजिक आर्थिक सशक्तिकरण का एक यंत्र' विषय पर दिनकर भवन में व्यख्यानमाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता मगध विश्वविद्यालय के पीजी अर्थशास्त्र विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. विक्रमा सिंह और मुख्य अतिथि के रूप में ललित नारायण विश्रि्वद्यालय दरभंगा के प्रो. शैलेंद्र कुमार झा थे।
प्रो. विक्रमा सिंह ने कहा कि सहकरिता एक स्वायत्त संस्था है, जिसके सदस्य संगठित होकर संयुक्त स्वामित्व एव प्रजातात्रिक तरीके से इसका प्रबंधन करते हैं। उन्होंने कहा कि सहकारिता गरीबी उन्मूलन का एक जरिया है। भारत मे सहकारी आदोलन की शुरुआत 1904 में हुई। वर्तमान में सात लाख से ज्यादा सहकारी समितिया हैं, जिसमें 33 करोड़ से ज्यादा सदस्यों की संख्या है। सहकारी समितियों का नेटवर्क 70 फीसदी गावो और 30 फीसदी शहरी क्षेत्रों में है। ये समितिया देश के 371 जिले के 53 फीसदी साख की जरूरतें पूरा करती हैं।
अथितियों का स्वागत विभागाध्यक्ष प्रो. चन्द्रप्रकाश सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. राम प्रवेश सिंह ने किया। मौके पर प्रो. राघवेंद्र कुमार सिंह, डॉ. रंजना सिन्हा, श्रवण कुमार सहित अन्य मौजूद थे।