अब बेगूसराय का नहीं लगाना पड़ेगा चक्कर, सहकारिता बैंक खुलने से कोसी की समितियों को मिलेगा लाभ
अब कोसी के लोगों को बेगूसराय का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। कोसी इलाके में इस बैंक को खोला जाएगा। सहरसा व मधेपुरा के अलावा अलग- बगल के जिले को भी इस बैंक से जोड़ा जाएगा। इससे यहां के लोगों को लाभ होगा।
सहरसा, जेएनएन। कोसी प्रमंडल में सहकारिता बैंक के अभाव में किसानों और सहकारी समितियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अबतक इस इलाके की सहकारी समितियों के बैंकों का सारा काम बेगूसराय जिले के बीहट को-ऑपरेटिव बैंक से संपादित कराना पड़ता है। किसानों व समितियों की यह समस्या अब दूर होनेवाली है। सुपौल में सहकारी बैंक खुलने से इस वर्ष को सुपौल जिले की समितियों को इस संबंद्ध किया जा रहा है। जबकि अगले वर्ष प्रमंडल के सहरसा व मधेपुरा के अलावा अलग- बगल के जिले को भी इस बैंक से जोड़ा जाएगा। इससे इलाके के किसान और सहकारी समितियां काफी लाभांवित होगी।
2003 से बंद हो गया कोसी का को- ऑपरेटिव बैंक
वर्ष 2003 से पूर्व कोसी प्रमंडल में मधेपुरा- सुपौल को- ऑपरेटिव बैंक कार्यरत था। इस बैंक के संचालन से इलाके के किसानों व समितियों को ऋण, केसीसी व बीमा की सुविधा प्राप्त होती थी। जुलाई 2003 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंक की परिसमापन रद कर दिया। इसके बाद से कोसी क्षेत्र के किसानों की परेशानी बढ़ गई। किसानों के फसल बीमा भी नहीं हो पाता था। बीच- बीच में बीहट बैंक द्वारा सहरसा में कैंप कर किसानों के फसल का बीमा किया गया, परंतु अधिकांश किसान इससे वंचित होते रहे। धान- गेहूं के क्रय के बाद किसानों को भुगतान के लिए बीहट बैंक का चक्कर लगाना पड़ता है। अब यह समस्या दूर हो जाएगी। अगले वर्ष प्रमंडल के सहरसा व मधेपुरा के अलावा अलग- बगल के जिले को भी इस बैंक से जोड़ा जाएगा। इससे इलाके के किसान और सहकारी समितियां काफी लाभांवित होगी।
अबतक इलाके में को- आपरेटिव बैंक नहीं रहने के कारण किसानों को काफी परेशानी होती थी। सुपौल में बैंक खुलने से इलाके के किसान को काफी लाभ पहुंचेगा। अगले वर्ष सुपौल के अलावा अन्य जिले की समितियों को भी इससे जोड़ दिया जाएगा। अरविंद पासवान, सुपौल जिला को- ऑपरेटिव बैंक।