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कोसी और सीमांचल में गांवों की सियासत से घुल रहा जहर, गहरी अदावत की पड़ रही नींव....

गांव की सियासत से विवाद बढ़ रहा है। दरअसल पंचायत चुनाव को लेकर हर दालान की अपनी-अपनी कहानी है। फिलहाल कहीं पुलिस प्रशासन का भय तो कहीं पक्ष-विपक्ष के आमने-सामने हो जाने का भय से सब कुछ सामान्य दिख रहा है।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 01:41 PM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 01:41 PM (IST)
कोसी और सीमांचल में गांवों की सियासत से घुल रहा जहर, गहरी अदावत की पड़ रही नींव....
गांव की सियासत से विवाद बढ़ रहा है।

पूर्णिया [प्रकाश वत्स]। बदली परिस्थिति में पंचायतों की सरकार का ग्लैमर चरम पर है। जिले में चुनाव के साथ मतगणना का क्रम भी जारी है। अब तक आधा दर्जन प्रखंडों में चुनाव संपन्न हो चुका है और चार प्रखंडों के परिणाम भी घोषित हो चुके हैं। शेष प्रखंडों में भी क्रमवार चुनाव की तिथि तय है और कहीं एनआर कटाने, कहीं नामांकन तो कहीं प्रचार-प्रसार का सिलसिला जारी है।

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इधर गांवों की इस सियायत से समाज में जहर भी खूब घुल रहा है। चुनावी मौसम से ग्रामीण परिवेश लगभग बेपटरी हो चुकी है। कहीं कहीं तो इसको लेकर गहरी अदावत की नींव पडऩे लगी है। फिलहाल कहीं पुलिस प्रशासन का भय तो कहीं पक्ष-विपक्ष के आमने-सामने हो जाने का भय से सब कुछ सामान्य दिख रहा है।

एक साथ छह पद के चुनाव से चरम पर है खेमेबाजी

बता दें कि जिला परिषद सदस्य, मुखिया, सरपंच, पंचायत समिति सदस्य, वार्ड सदस्य व पंच मिलाकर कुछ छह पदों का चुनाव हो रहा है। उसी अनुरुप प्रत्याशियों की संख्या भी अधिक रह रही है। जिला परिषद सदस्य को छोड़कर शेष पदों का पंचायत से लेकर गांव व टोलों तक का नाता है। इस कारण खेमेबाजी चरम पर पहुंच रही है। कहीं कहीं एक टोले में दो-दो प्रत्याशियों के रहने से आम लोगों के लिए कुंए व खाई वाली स्थिति बन जा रही है।

ज्यों-ज्यों आ रहा परिणाम, विषाक्त हो रही स्थिति

जिले में अब तक चार प्रखंडों में हुए चुनाव के परिणाम घोषित किए जा चुके हैं। रविवार को दो अन्य प्रखंडों में चुनाव संपन्न हो गया है। फिलहाज बनमनखी, बड़हरा, भवानीपुर व धमदाहा प्रखंडों के चुनाव परिणाम घोषित हो चुके हैं, वहां के गांवों की स्थिति ज्यादा विषाक्त है। कहीं जीत का अति जश्न अदावत की नींव डाल रहा है तो कहीं हार के कारणों की पड़ताल से इसकी नींव पड़ रही है।

विजयी प्रत्याशी अपनी खुशी पर काबू नहीं पा रहे हैं तो हार वाले को गम सोने नहीं दे रहा है। विजयी व पराजित पक्ष की ओर से एक-दूसरे के समर्थकों को पर्दे के पीछे से आंखें दिखाई जा रही है।

गांवों के माहौल को लेकर पुलिस सतर्क

इधर पंचायत चुनाव को लेकर गांवों के माहौल पर पुलिस की पैनी नजर टिकी हुई है। खासकर पूर्व से अति संवेदनशील पंचायत के गांवों पर पुलिस द्वारा लगातार नजर रखी जा रही है। पुलिस ऐसे तत्वों पर भी नजर रख रही है, जो किसी गांव अथवा खास स्थान पर विवाद खड़ा कर सकता है।  


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