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कुपोषण से लड़ाई में कारगर हैं मोटे अनाज, जानिए... इस अनाज की खासियत Bhagalpur News

मोटे अनाज में शामिल ज्वार बाजरा सांवा रागी चिना जौ जई कुटकी कोदो में मौजूद पोषक तत्वों के चलते आहार में इसे जरूरी माना जाने लगा है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Mon, 02 Sep 2019 09:37 AM (IST)Updated: Mon, 02 Sep 2019 09:37 AM (IST)
कुपोषण से लड़ाई में कारगर हैं मोटे अनाज, जानिए... इस अनाज की खासियत Bhagalpur News
कुपोषण से लड़ाई में कारगर हैं मोटे अनाज, जानिए... इस अनाज की खासियत Bhagalpur News

भागलपुर [ललन तिवारी]। हाल के वर्षों में बाजार में मोटे अनाजों की मांग बढ़ी है। इस अनाज में शामिल ज्वार, बाजरा, सांवा, रागी, चिना, जौ, जई, कुटकी, कोदो में मौजूद पोषक तत्वों के चलते आहार में इसे जरूरी माना जाने लगा है। यही वजह है कि किसानों में भी इसकी खेती की तरफ रुझान बढ़ा है। विशेषज्ञों की मानें तो महिला एवं बच्चों को कुपोषण से बचाने में यह कारगर है।

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कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) सबौर की गृह विज्ञान की वैज्ञानिक अनिता कुमार की मानें तो मोटे अनाज उच्च रेशा युक्त, विटामिन, खनिज लवण और प्रोटीन से भरपूर होते है। इनमें कैल्शियम, आयरन, फॉसफोरस की प्रचुर मात्रा रहती है। पहले हमारे देश का यह परंपरागत आहार हुआ करता था। जीवन शैली में आए बदलाव के चलते इसकी मांग कम होती चली गई। लेकिन अब संतुलित आहार के लिए इसे जरूरी माना जा रहा है।

सालोंभर होगी खेती

केवीके के इंचार्ज वरीय वैज्ञानिक डॉ. विनोद कुमार कहते हैं कि मोटे अनाजों की खेती सालोभर की जा सकती है। धान और गेहूं सिर्फ खाद्य सुरक्षा देता है जबकि मोटे अनाज खाद्य सुरक्षा, पशुचारा, पोषण, आजीविका, पर्यावरण सुरक्षा और स्वस्थ जीवन। इसकी खेती में खाद और कीटनाशक की जरूरत भी नहीं है। जलवायु परिवर्तन और जैविक खेती के परिप्रेक्ष्य में यह बेहतर विकल्प है।

मोटे अनाज में पोषक तत्व

चावल की तुलना में प्रोटीन एक से दो गुना, रेशा 40 से 50 गुना, खनिज पांच से 10 गुना, आयरन 10 से 20 गुना, कैल्शियम 30 गुना अधिक पाया जाता है।

इस रूप में कीजिए आहार में शामिल

मोटे अनाज को आटा, सत्तू, रोटी, लिट्टी, लड्डू, विस्किट, ब्रेड, पॉपकर्न, भूंजा, शिशु आहार, पेय, नूडल, सूप, इटली-डोसा, पकोड़ा और अंकुरित कर आहार में शामिल किया जा सकता है।

पीरपैंती और कहलगांव के किसानों ने लगाया मडुआ

कृषि विज्ञान केंद्र सबौर के प्रयास से पीरपैंती किर्तनियां के किसान रामजी महतो और कहलगांव अकबरपुर के किसान कुंदन सिंह ने एक-एक एकड़ में मडुआ की फसल लगाई है। प्रथम पंक्ति प्रत्यक्षण के तहत केवीके ने किसानों को बीज दिया है। किसान उत्साहित हो इसकी खेती कर रहे हैं। किसानों की मानें तो बाजार में इसकी मांग है। अन्य किसान भी मोटे अनाज की खेती के लिए उन्मुख हो रहे हैं।


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