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'चीन हमसे इसलिए आगे है कि वहां का शासन ताकतवर है, राजनीतिक हस्तक्षेप भी नहीं'

आज वर्ल्ड मार्केट पर चीन का दबदबा इसलिए है कि वह मार्केट का नब्ज जान गया है। वह दूसरे देशों के लोगों की इच्छाओं का बेहतर आकलन कर सकता है। इसलिए वह भारत पर हाबी है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Tue, 26 Mar 2019 11:05 AM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2019 05:04 PM (IST)
'चीन हमसे इसलिए आगे है कि वहां का शासन ताकतवर है, राजनीतिक हस्तक्षेप भी नहीं'

भागलपुर [जेएनएन]। दैनिक जागरण की बौद्धिक सत्र में आर्थिक मामलों के जानकार सीए रवि साह ने चीन की आर्थिक दबदबे का सामना किस तरह से किया जा सकता विषय पर अपने विचारों को रखा। रवि साह ने कहा कि कभी जापान विश्व के औद्यौगिक मानचित्र पर चमकता था। तब चीन दुनियां के अन्य कई देशों से काफी पीछे था। लेकिन वह मजबूत शासन, बेहतर संसाधन और राजनीतिक दखल ना होने से तेजी से आर्थिक शक्ति में उभर कर जापान क्या अन्य सभी देशों को पीछे छोड़ दिया।

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आज वर्ल्‍ड मार्केट पर उसका दबदबा इसलिए है कि वह मार्केट का नब्ज जान गया है। वह दूसरे देशों की मार्केट में इसलिए छा गया है कि वह दूसरे देशों के लोगों की इच्छाओं का बेहतर आकलन कर सकता है। आज तो हमारे घरों में उसकी दखल है। उसे यह पता है कि हम कैसे जूते लाइक करते हैं। हमारे जूते की हिल कैसी होगी? हमारे देवता की आकृति और वेशभूषा कैसे हैं उसे पता है। चीन हमारी दिनचर्या को पढ़ रखा है।

लोगों की इच्छा जानने के लिए बाजार में अपने आदमी छोड़ रखे हैं। हमारे यहां मजबूत सरकार नहीं मिलती। मजबूत सरकार बन भी गई तो इतनी राजनीतिक दखल और मीनमेख होती कि विकास ठप हो जाता। हम भी विश्व आर्थिक शक्ति बन सकते हैं। इसके लिए मैन पावर वल्र्ड में बेहतर हों। कौशल विकास हो। बेहतर संसाधन मुहैया हो और राजनीतिक दखल ना हो तो मजबूत सरकार के बूते 15 साल में चीन को पछाड़ कर विश्व आर्थिक शक्ति बन सकते हैं। रवि साह ने कहा कि वल्र्ड लीडर बनने के लिए अपने देश में मजबूत सरकार जरूरी है। इंडस्ट्रियल ग्रो के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति भी जरूरी है।

हम मैन पावर को वेटर क्वालिटी देने के लिए प्रशिक्षण तक नहीं दे पा रहे हैं। हम कभी दूसरे देशों की मार्केट, वहां के लोगों की दिनचर्या, बाजार के उतार-चढ़ाव का अध्ययन नहीं कर पाते। हाल के दिनों में सड़क, रेल और पुल-पुलिया निर्माण की दिशा में सरकार की मजबूती और दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति का फायदा सामने आया है। लेकिन यह चीन के मुकाबले काफी कम है। ऐसा इसलिए कि यहां राजनीतिक दखल निचले स्तर तक पहुंच जाता। यहां भी किसी प्रोजेक्ट के लिए तुरंत जमीन मुहैया करा दिए जाएं। देखिए तरक्की तेजी से होने लगेगी।

कई परियोजनाएं वर्षों से जमीन अधिग्रहण को लंबित चली आ रही है। रवि साह ने सिल्क उद्योग का हवाला दिया कि हमारे यहां सिल्क इंडस्ट्री इसलिए कमजोर हुई कि हम अपने तसर और देसी मटके को सही तरीके से कभी भी विज्ञापित नहीं कर पाए। जबकि अपने तसर कपड़े के बीच-बीच में दिखने वाली गांठ उसकी प्राकृतिक खूबसूरती हुआ करती है, वह प्लेन दिखने वाली चाइनीज सिल्क में कभी नहीं मिलती। लेकिन उसका प्रसार-प्रचार लोगों के बीच नहीं हुआ। सरकार की कमजोरी सिल्क उद्योग में सामने है लेकिन ध्यान किसी का नहीं जाता। सरकार ने वीभर सेंटर बना दिया। करोड़ों का खर्च होता है लेकिन रिटर्न क्या है जीरो। कभी किसी सरकार ने यह पूछा कि ऐसा क्यों हो हुआ? सख्ती दिखाई कि इसे बंद कर देंगे? कभी नहीं दिखाई? इसके लिए सरकार की सख्ती जरूरी है।

चीनी शासन कहता है कि फलां देश के मार्केट को ध्यान में रखकर फलां प्रोजेक्ट लाना है। बस झट से काम होने लगता। समय पर प्रोजेक्ट पूरा हो जाता है। उस देश का मार्केट भी चीन पर आश्रित हो जाता। अपने यहां ऐसी बात नहीं। इसलिए हम पीछे हैं। देश की प्रतिभा यूरोप, यूएसए में बड़ी कंपनियों में सीइओ तक के ओहदे पर हैं। उन्हें वेटर ग्रो दे रहे हैं। उन प्रतिभा को रोकने की तरकीब सरकार के समक्ष नहीं है। हमें ऐसी सरकार चाहिए जो इंफ्रास्ट्रक्चर दें। व्यापार को सपोर्ट करे। राजनीतिक हस्तक्षेप ना करे। हम तेजी से दुनियां के मार्केट में छा जाएंगे। बौद्धिक सत्र का विषय प्रवेश संपादकीय प्रभारी संयम कुमार ने कराते हुए हाल के वर्षों में होने वाले विकास की चर्चा की।


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