और वह हाथ खींच लेता है मौत के मुंह से Banka News
बांका जिले के शंभूगंज प्रखंड की सीडीपीओ को जैसे ही पता चलता है कि कन्हीं सड़क दुर्घटना हुई हैं। वे बेझिझक मदद करने पहुंच जातीं हैं।
बांका [राहुल कुमार]। सड़क पर लहूलुहान व्यक्ति। बेबस निगाहें मदद मांग रहीं, पर तमाशबीन भीड़ सिर्फ कैसे हुआ, कौन था जैसे सवाल पूछती हुई कि अचानक एक हाथ बढ़ता है और उसे सहारा देते हुए उठा लेता है। यह हाथ होता है चंचला कुमारी का। मौत के मुंह से निकालकर नई जिंदगी देने वाली एक देवी।
चंचला पिछले डेढ़ साल से शंभूगंज में सीडीपीओ के पद पर कार्यरत हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों पर सक्रियता के कारण एक अलग पहचान है। इससे भी ज्यादा घायलों को जीवन देने वाली के रूप में। कहीं भी कोई घायल दिखा नहीं कि दौड़ पड़ती हैं। ऐसी करीब डेढ़ दर्जन हाल के उदाहरण हैं, जब उन्होंने सड़क दुर्घटना के शिकार घायलों की जिंदगी बचाई।
दौड़ पड़ती हैं मदद को
पिछले ही साल की बात है, जब शंभूगंज-इंग्लिश मोड़ पर सात साल का एक बच्चा किसी वाहन के धक्के से गंभीर रूप से जख्मी हो गया। भीड़ उसे बस घेरे खड़ी थी। शंभूगंज से बांका आ रहीं चंचला ने गाड़ी रोकी, बच्चे को गोद में उठाया और सीधे अस्पताल। उसकी जिंदगी बच गई। ऐसे ही भागलपुर जाने के दौरान अमरपुर के पास दुर्घटनाग्रस्त एक महिला पर नजर पड़ी। सबसे मदद मांगी, एक एंबुलेंस को भी इशारा किया। कोई नहीं रुका। उन्होंने उसे अपनी कार में लिटाया और मायागंज अस्पताल पहुंच गईं। दो साल पहले नाथनगर के पास ट्रक और ऑटो की टक्कर में छह लोग जख्मी हो गए थे। संयोग से वे आ रही थीं। तीन को अपनी कार में और तीन को दूसरी गाड़ी से लेकर अस्पताल पहुंच गईं।
संवेदना और साहस का संदेश
चंचला गिरिडीह (झारखंड) की रहने वाली हैं। मैट्रिक तक की शिक्षा वहीं ली। एमए विनोवा भावे विवि, हजारीबाग से किया। वे बताती हैं कि जब वह चौथी कक्षा में थीं, तभी जख्मी हुई सहेली को खुद लेकर अस्पताल गई। परिजन बाद में पहुंचे। तब से यह सब करना उनके जीवन का हिस्सा बन गया। सड़क पर कोई भी दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है, पर लोग मदद को नहीं बढ़ते। कोई एक भी आगे बढ़े तो दूसरे भी आ जाएंगे। वे लोगों को यह बताने की कोशिश कर रही हैं कि थोड़ी संवेदना और थोड़े साहस के साथ किसी की जिंदगी बचा ली तो इससे बड़ा पुण्य कार्य और क्या हो सकता है।