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मधेपुरा में गरीबी के कारण जलाने के बदले दफना रहे शव

कहीं श्मशान की कमी तो कहीं लकड़ी खरीदने के पैसे नहीं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 29 Sep 2018 03:22 PM (IST)Updated: Sat, 29 Sep 2018 03:22 PM (IST)
मधेपुरा में गरीबी के कारण जलाने के बदले दफना रहे शव
मधेपुरा में गरीबी के कारण जलाने के बदले दफना रहे शव

मधेपुरा (धर्मेद्र भारद्वाज)। अंतिम संस्कार की परंपरा पर भी गरीबी भारी पड़ रही है। श्मशान की कमी और लड़की खरीदने के पैसे नहीं होने के कारण कई लोग शव का दाह-संस्कार करने के बदले उसे जला रहे हैं। मधेपुरा के कुछ गांवों में ऐसा चलन शुरू हुआ है।

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पिछले दिनों कुमारखंड प्रखंड की लक्ष्मीपुर चंडीस्थान पंचायत के केवटगामा गांव में ऐसा मामला सामने आया था। ऐसे मामले गम्हरिया, घैलाढ़ व आलमनगर में भी हैं। कबीर अंत्येष्टि योजना की राशि समय पर नहीं मिलने के कारण भी गरीबों की मजबूरी बढ़ जाती है। शुरुआत में कुछ लोगों ने दाह-संस्कार के पैसे नहीं होने पर नदी में शव फेंकना शुरू कर दिया। बाद में इसपर प्रशासन ने रोक लगा दी। इसके बाद ग्रामीण नदी के किनारे ही शव दफनाने लगे। कुमारखंड के केवटगामा टोला के 265 में से 230 परिवार एसटी-एससी समुदाय से हैं। ये सभी परिजन की मौत के बाद शव दफना रहे हैं। इसके अलावा घैलाढ़ की भतरंघा परमानपुर पंचायत के जागीर परमानपुर, बरदाहा पंचायत के चकला, झिटकिया पंचायत के बैलोखरी आदि गांवों में यह परंपरा शुरू हुई है। जिले की कई पंचायतों में कबीर अंत्येष्टि योजना की राशि का आवंटन नहीं किया गया है। इस कारण राशि मिलने में देर होती है। केवटगामा गांव में पूर्व पंचायत समिति सदस्य के पिता परमेश्वरी ऋषिदेव, मां कविया देवी, भाई भोगी ऋषिदेव और सास दुखनी देवी के शव को उनके घर के सामने ही दफन किया गया है। इसी गांव के आनंद कुमार, बादैर ऋषिदेव, खट्टर ऋषिदेव, फुदिया देवी व सविया देवी के अलावा घैलाढ़ के शोभन ऋषिदेव व मंगनी देवी का भी शव भी दफनाया गया। केवटगामा के पूर्व मुखिया बेचन ऋषिदेव, कैलू ऋषिदेव, सदनाद ऋषिदेव, योगी ऋषिदेव, विनोद ऋषिदेव, कैलाश ऋषिदेव कहते हैं कि गरीब के कारण लकड़ी खरीदने में परेशानी होती है। बैसाखी ऋषिदेव, बृहस्पति ऋषिदेव, मनेश कुमार, शंकर ऋषिदेव, कलानंद ऋषिदेव, सिकंदर ऋषिदेव, कला देवी, मनेशिया देवी, दुखनी देवी, महसोनिया देवी, कारी देवी आदि ने बताया कि कबीर अंत्येष्ठी योजना की राशि समय पर नहीं मिलने के कारण शवों को जलाने के बदले दफनाने की मजबूरी हो जाती है।

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कबीर अंत्येष्टि योजना के तहत मृत्यु के बाद परिजन को तत्काल राशि दी जाती है। कहीं आवंटन की कमी है तो इसे तत्काल सुधारा जाएगा। जिले में श्मशान के लिए जमीन चिह्नित करने का निर्देश दिया गया है।

- नवदीप शुक्ला

डीएम, मधेपुरा


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