सिर्फ नाम के चक्कर में दस साल से अधूरा है पुल, जानिए... क्यों अटका है निर्माण कार्य Bhagalpur News
सबौर के राजपुर-मुरहन-शिवायडीह पथ स्थित कतरिया नदी पर पुल बनाने का काम 2006 में शुरू हुआ। इसे 2009 में चालू हो जाना था।
भागलपुर [आलोक कुमार मिश्रा]। सरकारी सिस्टम की कछुआ चाल का खामियाजा आम जनता को किस तरह भुगतना पड़ता है, इसका उदाहरण भर है एक पुल। इसे दस साल पहले चालू हो जाना चाहिए था, लेकिन सिर्फ एजेंसी का नाम नहीं बदले जाने की वजह से यह आज तक अधूरा है।
सबौर के राजपुर-मुरहन-शिवायडीह पथ स्थित कतरिया नदी पर पुल बनाने का काम 2006 में शुरू हुआ। इसे 2009 में चालू हो जाना था। तीन करोड़ की राशि से बनने वाले पुल का कार्य वर्ष 2006 में एनबीसीसी को मिला था।
समय सीमा पर काम पूरा नहीं करने पर ग्रामीण कार्य विभाग (आरईओ) ने उसका एकरारनाम रद कर दोबारा निविदा निकाली। फिर देवघर की इंडिया प्रोग्रेसिव को काम दिया गया। एजेंसी ने पुल का गर्डर चढ़ा दिया। जब उसे ऑनलाइन भुगतान किया जाने लगा तो वहां एजेंसी का नाम एनबीसीसी दिख रहा था। इस वजह से इंडिया प्रोग्रेसिव को 40 लाख रुपये का भुगतान नहीं हो सका।
तीन साल पूर्व से हो रहा पत्राचार
इस संबंध में तीन साल से विभागीय पत्राचार हो रहा है। दिसंबर 2018 में विभाग द्वारा रिपोर्ट दी गई। फरवरी 2019 में नेशनल रूरल रोड डेवलपमेंट एजेंसी (नराडा) और मंत्रालय से आई संयुक्त सचिव की टीम को विभाग ने विस्तृत जानकारी उपलब्ध करा दी। इसके बावजूद अब तक सिस्टम से पुरानी एजेंसी का नाम हटाने का मामला फंसा हुआ है। इस वजह से पुल निर्माण बाधित है।
दो दर्जन से अधिक गांव प्रभावित
पुल निर्माण पूरा नहीं होने से कुरपट, अमडांड़, महेशपुर, सबौर, तातपुर रंगा, बैजलपुर, शिवायडीह, बैजनाथपुर, प्रशस्तडीह, सिमरोह समेत दो दर्जन से अधिक गांवों के 80 हजार से अधिक लोगों को बारिश में आवागमन की समस्या खड़ी हो जाती है। तीन माह नाव ही सहारा होता है।
ऑनलाइन भुगतान के दौरान पता चला कि एनबीसीसी का नाम सिस्टम से हटा नहीं है। पुल निर्माण का कार्य अभी भी इसी एजेंसी के नाम पर दिख रहा है। सिस्टम में एनबीसीसी का नाम हटाकर इंडिया प्रोग्रेसिव का नाम डालने के बाद ही राशि का भुगतान होगा। इसके बाद पुल और इसकी पहुंच पथ का निर्माण होगा। -उमेश कुमार, अधीक्षण अभियंता, ग्रामीण कार्य विभाग, भागलपुर।