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TMBU : गांधी के स्त्री संबंधी विचारों पर हुआ मंथन, हरेंद्र प्रताप सहित कई वक्‍ताओं ने रखे विचार Bhagalpur News

विभिन्न राज्यों से तिमांविवि भागलपुर आए विद्वतजनों ने गांधी के विवाह संबंधी विचार स्त्री शिक्षा और नारीवाद का आशय स्पष्ट किया। कुल चार तकनीकी सत्रों का आयोजन हुआ।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 07:36 AM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 07:36 AM (IST)
TMBU : गांधी के स्त्री संबंधी विचारों पर हुआ मंथन, हरेंद्र प्रताप सहित कई वक्‍ताओं ने रखे विचार Bhagalpur News
TMBU : गांधी के स्त्री संबंधी विचारों पर हुआ मंथन, हरेंद्र प्रताप सहित कई वक्‍ताओं ने रखे विचार Bhagalpur News

भागलपुर [जेएनएन]। भारतीय गांधी अध्ययन समिति (आइएसजीएस) के 42वें वार्षिक अधिवेशन के दूसरे दिन सामाजिक परिवर्तन में गांधी के विचारों की अनिवार्यता पर मंथन हुआ। विभिन्न राज्यों से आए विद्वतजनों ने गांधी के विवाह संबंधी विचार, स्त्री शिक्षा और नारीवाद का आशय स्पष्ट किया। कुल चार तकनीकी सत्रों का आयोजन हुआ। वक्ताओं ने राष्ट्र की सबलता और प्रगति के लिए स्त्री शिक्षा को आवश्यक बताया। टीएनबी कॉलेज और एसएम कॉलेज में दो-दो सत्र हुए। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) में चल रहे इस अधिवेशन की मेजबानी गांधी विचार विभाग कर रहा है।

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टीएनबी कॉलेज में आयोजित पहले तकनीकी सत्र के मुख्य वक्ता पूर्व विधान पार्षद और विचारक हरेंद्र प्रताप थे। उन्होंने 'गांधी और स्त्री शिक्षा' पर ज्ञानपरक जानकारी दी। इस सत्र की अध्यक्षता महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के गांधी विचार विभाग के प्रो. मनोज कुमार कर रहे थे। सह अध्यक्ष की भूमिका में डॉ. संजय कुमार झा थे। इस सत्र में समाजकर्मी शरद और शारदा श्रीवास्तव ने भी अपने विचार रखे।

वहीं दूसरे तकनीकी सत्र का विषय 'गांधी की नजर में नारी और समाज परिवर्तन' था। इस तकनीकी सत्र की मुख्य वक्ता पटना से आईं सरिता गुप्ता थी। अध्यक्षता सुरेंद्र कुमार कर रहे थे। सह अध्यक्ष टीएनबी कॉलेज के ही डॉ. मनोज कुमार को बनाया गया था। उन्होंने सामाजिक परिवर्तन में मां और गांव की भूमिका पर प्रकाश डाला। राष्ट्र सेवा संघ के सचिदानंद ने कहा कि समाज में बोलने वाले नहीं रहे। इस कारण गांव संकट में है। पंचायत के जनप्रतिनिधि सरकार के एजेंट की भूमिका ही निभा पा रहे हैं। हम सबको टोली बनाकर समाजिक बदलाव लाना होगा। समीक्षक की जिम्मेदारी समाजसेवी उदय निभा रहे थे। धन्यवाद गांधी विचार विभाग के मनोज कुमार दास ने दिया। दोनों सत्रों में दर्जनों प्रतिभागियों ने अपने आलेख प्रस्तुत किए। इसके पूर्व तकनीकी सत्र में आगत अतिथियों का स्वागत टीएनबी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय कुमार चौधरी द्वारा किया गया था।

जर्नल ऑफ गांधीयन स्टडीज का हुआ लोकार्पण

एसएम कॉलेज में गांधी और नारीवाद और गांधी के विवाह संबंधी विचार पर दो सत्र आयोजित हुए। प्राचार्या प्रो. अर्चना ठाकुर ने जर्नल ऑफ गांधीयन स्टडीज का लोकार्पण किया। इस अवसर पर आइएसजीएस की अध्यक्ष डॉ. शीला राय, महासचिव डॉ. एससी जेना, अधिवेशन के आयोजन सचिव डॉ. विजय कुमार व अन्य उपस्थित थे। जर्नल में 10 चुनिंदा शोध पत्रों के अलावा 35 आलेख भी प्रकशित किए गए हैं। जिसमें हिंदी के 24 और इंग्लिश के 11 आलेख शामिल हैं। एसएम कॉलेज में आयोजित सत्र में डॉ. उमेश प्रसाद नीरज, डॉ. सुधाशु शेखर, डॉ. अमित रंजन, डॉ. दीपक कुमार दिनकर शोधार्थी रौशन सिंह और नरेन नवनीत आदि शामिल थे।

प्रतिभागियों ने किया जैन मंदिर का परिभ्रमण

अधिवेशन में शिरकत करने आए प्रतिभागियों को सुबह में नाथनगर स्थित प्रसिद्ध जैन मंदिर का परिभ्रमण कराया गया। उक्त मंदिर के ऐतिहासिक महत्व से लोग अवगत हुए। मंदिर परिसर में इन प्रतिभागियों का स्वागत मंदिर प्रबंधन समिति के सचिव सुनील जैन एवं प्रकाश चंद्र गुप्ता ने किया।

दुनिया का भविष्य नारी जाति के हाथ में

टीएनबी कॉलेज में आयोजित सत्र में मुख्य वक्ता सुप्रसिद्ध विचारक एवं पूर्व विधान पार्षद हरेंद्र प्रताप गांधी की दृष्टि में स्त्री पर सारगर्भित और ज्ञानपरक विचार रखे। उन्होंने कहा कि गांधी यह मानते थे कि स्त्री सेवा, त्याग, तपस्या एवं प्रेम की प्रतिमूर्ति है। उसकी प्रकृति में ही अङ्क्षहसा निहित है। इस कारण दुनिया का भविष्य नारी जाति के ही हाथ में है।

उन्होंने कहा कि गांधी शरीर बल की तुलना में नैतिक और आत्मबल को अधिक महत्व देते थे। इस बल में स्त्री पुरुषों से अनंत गुणा बलशाली हैं। नारी को अबला कहना उनका अपमान करना है। गांधी स्त्री अधिकारों के प्रबल हिमायती थे। उन्होंने स्त्रियों के अधिकारों के मामले में कभी भी समझौता नहीं किया। पर्दाप्रथा, दहेज प्रथा एवं अन्य बुराइयों का विरोध किया। स्त्रियों को स्वाबलंबी बनाने पर जोर दिया। चरखा, खादी एवं ग्रामोद्योग स्त्री स्वाबलंबन एवं राष्ट्र निर्माण का कार्यक्रम था। गांधी की प्रेरणा से बड़ी संख्या में महिलाओं ने आजादी के आंदोलन और विभिन्न रचनात्मक कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी निभाई। गांधी स्त्री शिक्षा के प्रबल पक्षधर थे। वे यह मानते थे कि स्त्री जाति को शिक्षा के द्वारा ही अपनी शक्ति का भान होगा। स्त्री शिक्षा का प्रयोग परिवार से शुरू होना चाहिए। प्रकृति ने स्त्री और पुरुष दोनों को एक-दूसरे का पूरक बनाया है। दोनों को मिलकर एक सुंदर समाज, राष्ट्र एवं विश्वास का निर्माण करना है।

अधिवेशन का समापन आज

भारतीय गांधी अध्ययन समिति (आइएसजीएस) के 42वें वार्षिक अधिवेशन के अंतिम दिन समीक्षा एवं मूल्यांकन सत्र का आयोजन पीजी गांधी विचार विभाग के स्वराज कक्ष में किया जाएगा। गांधी विचार विभाग के हेड व कांफ्रेंस के आयोजन सचिव डॉ. विजय कुमार ने बताया कि सुबह नौ बजे से यूथ कॉन्क्लेव का आयोजन होगा। इसमें युवाओं से गाँधी के विचारों को जाना जाएगा। इस सत्र में छात्र, शोधार्थी और युवा सामाजिक कार्यकर्ता भाग लेंगे। मुख्य रूप से इस सत्र में जर्मनी से आए दो युवा प्रतिभागी बेन्जैमिन ग्रेसबर्ट और इमायली दमण अपने विचार रखेंगे। ग्यारह बजे से विभाग में मूल्यांकन सत्र तथा समापन समारोह होगा। उन्होंने बताया कि प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी दिए जाएंगे।


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