बिहार के शिक्षकों का दर्द: बिना वेतन बीत जाएगा दशहरा? अपनों से नजरें चुराने को विवश, उमड़ा जमुई के गुरुओं का दर्द
बिहार के शिक्षकों का दर्द कब कम होगा? ये सवाल लगातार पूछा जा रहा है। तीन महीने बीत गए हैं लेकिन नियोजित शिक्षकों को अबतक वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। दशहरे को अब कुछ ही दिन शेष हैं।
संवाद सहयोगी, जमुई: जिले में दशहरा पर्व को लेकर उत्सव का माहौल है, लेकिन नियोजित शिक्षकों के घर में उमंग का रंग फीका पड़ा है। शिक्षक अपनों से आंख चुराने को विवश हैं। दरअसल, जिले के लगभग छह हजार नियोजित शिक्षक बिना वेतन के दशहरा मना रहे हैं। इन्हें तीन माह, जुलाई से वेतन नहीं मिला है। जून माह में ही वेतन का दीदार हुआ था। ये सभी शिक्षकों का वेतन एसएसए मद से भुगतान होता है।
दुर्गा पूजा का दूसरा दिन भी बीत गया, लेकिन इनके खातों में राशि क्रेडिट होने का मैसेज नहीं आया। अलबत्ता दशहरा पर शुभकामना संबंधी मैसेज लगातार आ रहा है। कई शिक्षकों ने बताया कि हर दिन की सुबह और रात मोबाइल पर मैसेज देखने के साथ हो रही है। तीन महीने से वेतन नहीं मिलने के कारण पैसे का भी अभाव है। घर वालों और बच्चों से नजरे चुरानी पड़ रही है।
इस बार वेतन के साथ एरियल आने की उम्मीद थी लेकिन अब वेतन भी मिल जाए तो गनीमत होगा। शिक्षा विभाग द्वारा बताया कि वेतन मद में 26 करोड़ आवंटन प्राप्त हुआ है। आवंटित राशि स्थापना के खाते में हस्तांतरित होते ही शिक्षकों का वेतन भेज दिया जाएगा। शिक्षकों को जुलाई माह का वेतन भेजा जाएगा। विभाग द्वारा वेतन शीट तैयार कर ली गई है। बस खाता में हस्तांतरण होने का इंतजार है।
डीपीओ स्थापना शिव कुमार शर्मा ने कहा कि जुलाई माह की वेतन शीट तैयार कर ली गई है। बैंक खाते में पैसा आते ही शिक्षकों के खातों में वेतन की राशि हस्तांतरित कर दी जाएगी।
सोनो प्रखंड के शिक्षकों का दर्द
संवाद सूत्र, सोनो(जमुई): बीते तीन माह से प्रारंभिक विद्यालयों में कार्यरत नियोजित शिक्षको के वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। लिहाजा इन शिक्षकों के लिए दुर्गा पूजा का उमंग फीका पड़ रहा है। सोमवार को महालया के साथ दुर्गा पूजा प्रारंभ हो गया है। चारों ओर नवरात्री की धूम है। लोग दुर्गा पूजा मनाने के लिए अपने परिवार के साथ तैयारियों में लगे हैं लेकिन इसी भीड़ में शामिल बिहार के प्रारंभिक विद्यालयों के नियोजित शिक्षकों का दर्द काफी गहरा है। जून माह का वेतन पिछली बार शिक्षकों के खाते में आया था। उसके बाद से अब तक वेतन का भुगतान नहीं हुआ है।
शिक्षक नेता लखन मंडल, धर्मेंद्र कुमार सिंह, प्रणव शेखर, विनय कुमार दास, शशिकांत साह, अजीत कुमार मेहता, बिपिन कुमार सिंह, पंकज राम आदि ने बताया कि हम नियोजित शिक्षक भी हाड़ मांस से बने इंसान हैं। बिल्कुल किसी लोक कल्याणकारी राज्य में रहने वाले सभ्य नागरिक की तरह ही। जब पर्व-त्योहार आता है हमलोगों का मन कचोटता है। हम अपने परिवार में मां-बाप और बच्चों से नजर नहीं मिला पाते हैं। प्रतिदिन बैंक और एटीएम का चक्कर लगा रहे हैं लेकिन अभी तक निराशा ही हाथ लगी है।