कहां गुम हो गई चंपा : 'चंपा नदी की धारा को लौटाने की कवायद में अब सरकार सकारात्मक पहल करेगी'
चंपा नदी की धारा लौटाने की कवायद में अब बिहार राज्य सरकार सकारात्मक पहल करेगी। जल संसाधन मंत्री संजय झा ने इसकी घोषणा की। जिप अध्यक्ष ने भी सीएम से इस विषय पर बात की।
भागलपुर, जेएनएन। चानन से बहने वाली चंपा नदी की धारा को लौटाने की कवायद में अब सरकार सकारात्मक पहल करेगी। गुरुवार को भूलनी गांव में आयोजित सभा में जल संसाधन मंत्री संजय झा ने मंच से इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री ने चंपा नदी के जीर्णोद्धार का आदेश दिया है। इसके लिए कार्ययोजना तैयार कर शीघ्र कार्य शुरू किया जाएगा। बेरमा के मुहाने से बरारी तक की धारा में जो भी अवरोध होगा उसे दूर करेंगे। चंपा नदी के गौरवशाली इतिहास को विलुप्त नहीं होने देंगे। जल-जीवन-हरियाली अभियान में जितने भी जल स्रोत हैं उसे अतिक्रमण मुक्त कराकर जीर्णोद्धार किया जाएगा। कहां गुम हो गई चंपा अभियान के दौरान मंत्री ने जागरण को पत्र भेजकर अभियान की सराहना की थी और आश्वासन दिया कि नदी के पुनर्जीवन के लिए जल संसाधन विभाग इसे अपने एजेंडे में शामिल करेगा। साथ ही उन्होंने शहरवासियों से भी नदी के पुनर्जीवन में सहयोग करने की अपील की थी।
जिला परिषद अध्यक्ष ने उठाया चंपा नदी का मुद्दा
मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक में जिला परिषद अध्यक्ष टुनटुन साह ने चंपा नदी का मुद्दा उठाया। उन्होंने इसके पुनर्जीवन की मांग की। जिला परिषद अध्यक्ष ने कहा कि जब चंपा नदी में पानी रहता था तो हजारों एकड़ भूमि में अच्छी फसल होती थी। धान और गेहूं की अच्छी पैदावार होती थी। आज यह नदी सूख गई है। इसकी धार मर गई है। इसने इलाके की खेती-किसानी को प्रभावित किया है। जहां से यह नदी निकलती है, वहां बालू की इतनी खोदाई कर ली गई है कि पानी चंपा नदी में नहीं आ पा रहा है। उन्होंने शाहकुंड में कोझी डैम का निर्माण कार्य शुरू कराने की मांग की। मुख्यमंत्री ने इस पर काम शुरू कराए जाने का भरोसा दिया। समीक्षा बैठक के बाद मुख्यमंत्री भीखनपुर स्थित अपने मित्र उदयकांत मिश्र के घर पहुंचे और उनकी मां का आशीर्वाद लिया। इस दौरान शिक्षाविद राजीवकांत मिश्र ने मुख्यमंत्री से चंपा नदी के पुनर्जीवन को लेकर चर्चा की।
भूलनी गांव में आयोजित मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सभा में भागलपुर नगर निगम के उप महापौर राजेश वर्मा ने कहा कि चंपा नदी हुआ करती थी, जिसकी अविरल धारा से किसानों को सिंचाई का लाभ मिलता था। नदी के कारण भूजल गर्भ का स्तर भी बना हुआ था। लेकिन, नदी विलुप्त हो चुकी है। जल जीवन हरियाली के तहत नदी को बचाया नहीं गया तो स्थिति भयावह होगी।