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Bihar Cabinet Expansion: ... आखिर क्‍यों कटा बांका के भाजपा विधायक रामनारायण मंडल का पत्‍ता, दो बार से थे मंत्री, कहीं... वजह यह तो नहीं

Bihar Cabinet Expansion बिहार में मंत्रीमंडल के विस्‍तार के दौरान बांका के भाजपा के विधायक रामनारायण मंडल को मंत्रालय नहीं मिला। उन्‍हें इस बार मंत्री नहीं बनाया है। वे लगातार दो बार से बिहार सरकार में मंत्री थे।

By Dilip Kumar shuklaEdited By: Updated: Wed, 10 Feb 2021 11:51 AM (IST)
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भाजपा विधायक रामनारायण मंडल। (1990 से छठी बार कर रहे बांका विधानसभा का प्रतिनिधित्व)
जागरण संवादाता, बांका। Bihar Cabinet Expansion: बिहार मंत्रीमंडल में पुराने चेहरों को आराम देकर युवा चेहरों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के अभियान में भाजपा ने दो बार से मंत्री रहे बांका विधायक रामनारायण मंडल का भी पत्ता साफ कर दिया। पहले शपथ ग्रहण में जगह नहीं मिलने के बाद दूसरे विस्तार में भी उनका नाम किनारे पड़ा रह गया। जबकि रामनारायण मंडल 2015 के विधानसभा चुनाव में भागलपुर प्रमंडल में इकलौते विधायक बने थे। 2020 के चुनाव में भी उन्हें जिला में सबसे बड़ी जीत मिली। इतने वरिष्‍ठ और अनुभवी नेता को मंत्री पद न दिया जाना उनके समर्थकों को पच नहीं रहा है। भीतर ही भीतर नाराजगी भी देखी जा रही है।  

यह बांका सीट पर छठी जीत के साथ उनकी सबसे बड़ी जीत भी बनी। राजद और जदयू कोटे से मंत्री रह चुके जावेद इकबाल अंसारी को उन्होंने तीन महीने पहले के चुनाव में 17 हजार से अधिक मतों के अंतर से पराजित किया। नीतीश कुमार के पिछले मंत्रीमंडल में रामनारायण मंडल के पास राजस्व एवं भूमि सुधार जैसा बड़ा मंत्रालय रहा। इसके पहले वाले मंत्रीमंडल में भी वे मत्स्य एवं पशुपालन मंत्री रहे थे। यह उनका पहला मंत्रालय था। लेकिन इस मंत्रीमंडल में उम्र उनके सामने बाधक बन कर खड़ा हो गया। 

उनके मंत्रीमंडल साथी मंगल पांडेय और प्रमोद कुमार को तो मौका मिल गया। लेकिन रामनारायण मंडल, नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार की कतार में खड़े कर दिए गए। इनके मंत्री  न बनने की बड़ी वजहों में एक चुनाव से ठीक पहले राजस्व मंत्रालय में सीओ के ट्रांसफर पोस्टिंग पर खड़ा हुआ बखेड़ा भी है। दूसरी तरफ वैश्य और अतिपिछड़ा जाति से भाजपा ने पहले ही दो-दो उपमुख्यमंत्री बना रखा है। उनके मंत्री नहीं बनने पर मंगलवार को उनके आवास पर सन्नाटा पसरा रहा। वे खुद पटना में हैं। क्षेत्र में भी कार्यकर्ताओं के बीच उदासी छायी हुई है। हर जुबान पर बस यहीं चर्चा है कि आखिर इतने वरिष्‍ठ नेता को मंत्री पद से वंचित रखने का कारण क्‍या हो सकता है। यह सवाल सबके मन में कुरेद रहा है। 

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